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मधुमेह और मोटापे की दवाओं से हो सकता है कोविड-19 का उपचार, शोध में आया सामने

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के ताजा शोध में सामने आया है कि मोटापे और डायबिटीज की दवाओं से कोविड-19 के उपचार में भी मदद मिल सकती है।
नए शोध के अनुसार डायबिटीज और मोटापे की दवा से कोविड-19 का उपचार किया जा सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
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मधुमेह (Diabetes), मोटापे (Obesity) और बढ़ती उम्र संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मौजूदा दवाओं का उपयोग संभावित रूप से कोविड-19 के इलाज (Covid-19 treatment) के लिए किया जा सकता है। यह बात भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल के एक अनुसंधान में सामने आयी है।

टीम ने हाल ही में कोविड-19, उम्र बढ़ने और मधुमेह के बीच जैव-आणविक संबंधों की समीक्षा प्रकाशित की है। समीक्षा को ‘मॉलिक्यूलर एंड सेल्युलर बायोकैमिस्ट्री’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है और यह कोविड-19 चिकित्सा विज्ञान में भविष्य की दिशा में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

क्या कहता है शोध 

आईआईएसईआर, भोपाल के इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप (IICE) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमजद हुसैन ने कहा, ”ऐसे में जब लगभग दो साल से कोविड-19 महामारी दुनिया को प्रभावित किये हुए है। हम धीरे-धीरे वायरस और उसके काम करने के तरीके को समझने लगे हैं। अब यह ज्ञात है कि वायरल संक्रमण का प्रभाव अधिक आयु वाली आबादी और मधुमेह से पीड़ितों पर अधिक होता है।”

कोविड-19 के मामले उम्र दराज और डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में ज्यादा देखने में आते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

उन्होंने कहा, ”कोविड-19 संक्रमण के अल्पकालिक और दीर्घकालिक परिणामों पर बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों और मधुमेह के प्रभावों पर दुनिया भर में अध्ययन किए जा रहे हैं।”

प्रकाशित समीक्षा से पता चलता है कि मधुमेह, बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियां और कोविड-19 की स्थितियां ऑक्सीडेटिव तनाव से जुड़ी हैं। साथ ही प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कमी और उनसे उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से हृदय संबंधी विकार, नेत्र रोग, तंत्रिका रोग और गुर्दे की समस्याओं जैसी कई अन्य बीमारियों की शुरुआत होती है।

हुसैन ने बताया,”हमारे पास रैपामाइसिन जैसी कुछ मौजूदा संभावित एंटी-एजिंग दवाओं के भी सुबूत हैं। जिन्हें इन बीमारियों से जुड़े सामान्य जैव रासायनिक मार्गों के कारण कोविड-19 उपचार के लिए इनके इस्तेमाल की संभावना खोजी जा सकती है।

ऐसा ही एक और उदाहरण एक दवा मेटफॉर्मिन है जिसे आमतौर पर रक्त शर्करा नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है।”

वायरस के बदलते प्रभावों पर भी किया गया है अध्ययन 

वैज्ञानिकों ने यह दिखाने के लिए कम्प्यूटेशनल अध्ययन भी किया है कि कोशिका झिल्ली में मौजूद लिपिड कोरोनावायरस संक्रामकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कोरोनावायरस के म्यूटेशन पर भी शोध किया गया है। चित्र: शटरस्‍टॉक

प्रमुख शोधकर्ता ने कहा, “संभावित यौगिकों के मौजूदा पूल से प्रभावी चिकित्सा विज्ञान का चयन करने की तत्काल आवश्यकता है। एक नई दवा की खोज और इसकी मंजूरी में अधिक समय लगता है।”

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि करक्यूमिन और रेस्वेराट्रोल जैसे प्राकृतिक यौगिकों और मौजूदा दवाओं जैसे मेटफॉर्मिन और रैपामाइसी में कोविड-19 और पोस्ट-कोरोनावायरस सिंड्रोम के उपचार के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण किए जाने की क्षमता है।

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