इस बात को हमें मान ही लेना चाहिए, यह महामारी अभी लम्बे समय तक चलने वाली है। जैसे-जैसे 2020 खत्म होने के करीब बढ़ रहा है, हमने कोरोनावायरस के साथ एक वर्ष जीवन व्यतीत कर लिया है।
लेकिन कोरोनावायरस के साथ जीने का सबसे बुरा रूप देखा है उन लोगो ने जो इस संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। जैसा कि हम देख रहे हैं कि दोबारा इन्फेक्ट होने का खतरा भी है और नए शोध में पाया गया कि कई महीनों तक लक्षण नजर आ सकते हैं, यह कहना गलत नहीं होगा कि कोविड-19 के साथ जीवन और बदतर होता जा रहा है।
यहां तक कि दो स्टडी ऐसा बताती हैं कि संक्रमित होने के तीन महीने बाद तक मरीज को कोविड-19 के लक्षण रह सकते हैं। इन स्टडी के अनुसार यह भी पता चला है कि जितना गम्भीर इंफेक्शन होगा, लक्षण उतने ही लम्बे समय तक रहेंगे।
स्पेन के डॉक्टर और शोधकर्ताओं ने 108 मरीजों का डेटा देखा। इनमें से 44 गंभीर रूप से बीमार थे। संक्रमण डायग्नोस होने के 12 हफ्ते बाद भी 76 प्रतिशत लोगों में लक्षण नजर आ रहे थे। इनमें से 40 प्रतिशत मरीजों में कोरोनावायरस से जुड़ी बीमारी थी। यह शोध पेपर ‘मेड्रिक्स‘ नामक जर्नल में प्रकाशित है।
मरीजों में सबसे अधिक शिकायत सांस फूलना, कमजोरी, खांसी, सीने में दर्द, जी घबराना, दिल की धड़कन एकदम से बढ़ जाना और साइकोलॉजिकल डिसॉर्डर की थीं।
ऐसी ही एक अमेरिकन स्टडी जिसमें 233 कोविड-19 के मरीजों के डेटा को स्टडी किया गया, जिनमें से आठ गंभीर रूप से बीमार थे, तीन महीने बाद भी चार में से एक व्यक्ति में लक्षण नजर आ रहे थे।
इस स्टडी में भी गंभीर मरीजों में ही लक्षण अधिक थे। एक महीने बाद लगभग 59.4 प्रतिशत मरीजों में लक्षण थे और तीन महीने बाद 40.6 प्रतिशत मरीजों में लक्षण दिखाई दे रहे थे।
जर्नल medRxiv को स्टेटमेंट देते हुए इस स्टडी के मुख्य लेखक कहते हैं,”माइल्ड और ऐसे केसेस जहां शुरुआत में लक्षण थे भी नहीं, 14.3 प्रतिशत लोगों में हल्के लक्षण एक महीने तक रहे हैं।”
यूएस की स्टडी में सबसे प्रमुख लक्षण थे स्वाद और गन्ध न आना, ध्यान लगाने में समस्या, सांस फूलना, याद्दाश्त पर असर, कंफ्यूजन, सर दर्द, बदन दर्द, धड़कने तेज होना, सीने में दर्द और चक्कर।
जर्नल ‘साइंस इम्यूनोलॉजी‘ में प्रकाशित दो रिपोर्ट यह बताती हैं कि कोविड-19 की एंटीबॉडी भी कम से कम तीन महीने रहती हैं।
इन दोनों स्टडीज में 750 मरीज थे, जिनमें इममुनोग्लोबिन G (igG) एंटीबॉडी सबसे अंत तक रहीं।
जहां एक ओर एंटीबॉडी किस तरह शरीर को सुरक्षित रखती हैं अभी मालूम नहीं पड़ा है, यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो की प्रोफेसर और इस स्टडी की ऑथर जेन गौममेरमान कहती हैं,”हमारी टीम ने वायरस को स्टेबल और इनएक्टिव करने वाली एंटीबॉडी की स्टडी की है। यह न्यूट्रैलाइसिंग एंटीबॉडी होती हैं जो वायरस को बेअसर कर देती हैं।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की भी ऐसी ही स्टडी है जिसमें समान ही परिणाम आये हैं।
यह नई जानकारी वैक्सीन बनाने के लिए बहुत मददगार साबित हो सकती हैं।
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