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इस शोध के अनुसार आबादी का अधिकांश हिस्सा टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम से जूझ रहा है, जानिए कैसे

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करे सत्तू की नमकीन तासीर का सेवन, यह आपको मधुमेह से देगा छुटकारा। चित्र: शटरस्‍टॉक
मीठा और मधुमेह एक ही नदी के दो किनारे है। चित्र: शटरस्‍टॉक

डायबिटीज दुनिया में सबसे तेजी से फैल रही बीमारी है। विश्व की आबादी का एक बड़ा तबगा इस बीमारी का शिकार है, और इस दर में बढ़ोतरी होने की सम्भावना है, मानता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

एक नई स्टडी में पाया गया है कि हममें से अधिकांश लोगों को डायबिटीज होने का खतरा है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि इंसुलिन एक एवोल्यूशन cul-de-sac पर पहुंच गई है, जिसके कारण यह मोटापे के अनुसार ढल नहीं सकती। यही कारण है कि हम सभी टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम से गुजर रहे हैं।

इंडिआना स्कूल ऑफ मेडिसिन, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और केस वेस्ट रिज़र्व यूनिवर्सिटी द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि इंसुलिन बनाने वाला जीन अब और बदलाव करने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि हमारे शरीर मे जो इंसुलिन है, वह हमारे आज के लाइफस्टाइल के अनुसार ढल नहीं पाता। और बच्चों में भी डायबिटीज देखने को मिल रही है।

क्‍या कहती है स्टडी

इस स्टडी में बायोफिजिकल तरीकों का इस्तेमाल कर के प्रोटीन केमिस्ट्री को पढ़ा गया है। इंसुलिन बनाने के लिए बीटा सेल्स नामक विशेष सेल होते हैं। इसका मुख्य कदम होता है प्रोइन्सुलीन नामक बायोसिंथेटिक कर्सर के फोल्ड होने का। इसी कदम से हमें थ्री डायमेंशनल इंसुलिन मिलती है।

इससे पहले की कई स्टडी में पाया गया था कि म्युटेशन यानी जीन्स के बदलाव के कारण इंसुलिन फोल्ड होने में समस्या या आसानी हो सकती है। इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि क्या इस जेनेटिक बदलाव में कोई रुकावट आ गयी है।

प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित इस स्टडी ने यह जवाब ढूंढ निकाला है और जवाब है- हां।

आपको डायबिटीज के ये संकेत पहचानने चाहिए।

इस स्टडी के प्रमुख अन्वेषक और IU स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर, डॉ माइकल वीस बताते हैं,”कोई भी प्राकृतिक प्रक्रिया आमतौर पर बदलाव से गुजरती रहती है। इसे हम एवोल्यूशन कहते हैं। यही हमें जन्म के समय होने वाले डिफेक्ट्स और परिवार में चल रही बीमारियों से बचाता है। लेकिन डायबिटीज के साथ यह नहीं हो रहा है।”

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डॉ वीस और उनकी टीम ने मनुष्यों की इंसुलिन और गाय और सेही के इंसुलिन को स्टडी किया। मनुष्यों के जीन्स में म्युटेशन रुक गयी है, ऐसा देखा जा सकता है।

वीस ने कहा कि अध्ययन में पिछले 540 मिलियन वर्षों में इंसुलिन के विकास में महत्वपूर्ण लेकिन छिपे हुए कारक के रूप में, फोल्ड के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।

इन्सुलिन जीन में म्युटेशन के कारण ही मनुष्य विकसित हुआ है। यह म्युटेशन मधुमेह के एक दुर्लभ मोनोजेनिक रूप को रेखांकित करती है। वर्तमान मोटापे से संबंधित डायबिटीज के लिए एक एवोल्यूशन की संभावना प्रदान करती है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह खोज वयस्कों और बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के विकास की बेहतर समझ में एक महत्वपूर्ण दर्शन प्रदान करती है।

मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति थकान जैसी समस्या से भी पीड़ित रहता है।चित्र: शटरस्‍टॉक
मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति थकान जैसी समस्या से भी पीड़ित रहता है।चित्र: शटरस्‍टॉक

“यह अध्ययन इंसुलिन के संरचनात्मक बायोलॉजी के महत्वपूर्ण तत्वों को उजागर करने वाला एक ‘टूर -डी-फोर्स’ है जो इसके कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है। लेखक इस तथ्य को उजागर करते हैं कि इंसुलिन के कार्य या बीटा सेल्स को बिगाड़ने वाले म्युटेशन के लिए इंसुलिन जीन बहुत संवेदनशील है, ”हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन बारबरा कान और जॉर्ज आर मिनोट कहते हैं।

“जब हम इंसुलिन की खोज की 100 वीं वर्षगांठ के करीब पहुंच रहे हैं, इन स्टडी और ऑब्‍जर्वेशन की मदद से हम इंसुलिन की कार्य प्रणाली को बेहतर समझ सकते हैं,” प्रोफेसर कान बताती हैं।

यह अध्ययन टाइप -2 मधुमेह के बेहतर समाधान में योगदान दे सकता है

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो कोल्वर डायबिटीज सेंटर के निदेशक लुइस फिलिप्सन ने माना है कि निष्कर्ष से इस क्षेत्र में अनुसंधान के भविष्य के दृष्टिकोण को नया आकार मिल सकता है।
अब आगे, यह टीम पूरी तरह बीटा कोशिकाओं में प्रोइंसुलिन के फोल्ड्स को पढ़ने में काम करेगी।

उनकी आशा है कि यह काम अंततः दवाओं की एक नई श्रेणी के लिए जिम्मेदार बनेगा, जो कि प्रोइंसुलिन की अनिश्चितता के कारण सेलुलर तनाव को कम करता है और बीटा कोशिकाओं में सेलुलर तनाव को लक्षित करता है, जिससे सबसे अधिक जोखिम वाले रोगियों के लिए इंसुलिन-उत्पादन हो सकता है।

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