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गठिया और बदहजमी जैसी समस्याएं भी दे सकता है प्रदूषण, जानिए क्या कहता है यह महत्वपूर्ण शोध

रुमेटाइड ऑर्थराइटिस और कब्ज उन ऑटो इम्यून बीमारियों में शामिल हैं, जिन्हें वायु प्रदूषण का परिणाम माना जा रहा है।
वायु प्रदुषण से हो सकती है कई बीमारियां। चित्र : शटरस्टॉक
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प्रदूषण (Pollution) पर्यावरण के लिए खतरनाक है। अगर आप दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में रहते हैं, तो आप इसके स्वास्थ्य जोखिमों से भी भली-भांति परिचित होंगे। पर क्या आप जानते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से आपको आंखों और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का ही सामना नहीं करना पड़ता, बल्कि ये कई ऑटोइम्यून बीमारियों का भी कारण बनता है। 

क्या आपने कभी अपने शहर का एयर इंडेक्स चेक किया है? आज के वक्त में प्रदूषण किसी भी प्रकार का क्यों न हो इस संसार में मौजूद हर जीवित प्राणी पर दुष्प्रभाव डालता है। हाल ही में हुआ एक अध्ययन इस बात का दावा करता है कि ज्यादा लंबे वक्त तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से आपको ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune disease) हो सकती है। चलिए अध्ययन के बारे में जानने से पहले ऑटोइम्यून डिजीज के बारे में समझ लेते हैं।

क्या होती हैं ऑटोइम्यून डिजीज?

ऑटोइम्यून डिजीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम हमारे हेल्दी सेल्स और वायरस बैक्टीरिया में अंतर नहीं समझ पाता और गलती से हमारे उन अंगों पर वार करता है, जो स्वस्थ होते हैं। इसके कारण हमें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है। इम्यून सिस्टम का काम हमारे शरीर को एंटीबॉडी के माध्यम से वायरस और बैक्टीरिया से बचाना होता है, लेकिन ऑटोइम्यून डिजीज में हमारा इम्यून सिस्टम भ्रमित हो जाता है।

बदहजमी का भी कारण बन सकता है प्रदुषण। चित्र: शटरस्टॉक

 हमारे हेल्दी सेल पर अटैक करने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम प्रोटीन का निर्माण करता है, जिसको हम एंटीबॉडीज के नाम से जानते हैं। ऑटोइम्यून बीमारी में रुमेटाइड गठिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस और ल्यूपस का सबसे आम रूप के साथ-साथ अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे इंफ्लेमेंट्री बॉवेल डिजीज शामिल हैं।

प्रदूषण के बारे में क्या कहती है स्टडी?

यह स्टडी वेरोना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है। यह अध्ययन बताता है “वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने सेऑटोइम्यून बीमारी, विशेष रूप से संधिशोथ और इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। यह शोध छोटे वायुजनित प्रदूषकों, जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के रूप में जाना जाता है, से स्वास्थ्य के खतरे के और सबूत प्रदान करता है, जो वाहन के निकास, सामग्री के जलने, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन और औद्योगिक उत्सर्जन से उत्पन्न होते हैं।

यह अध्ययन PM10 और PM2.5 के रूप में प्रदूषण के कणों के संभावित प्रभाव पर केंद्रित है, जो कुछ निश्चित सीमा से ऊपर मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। वायु प्रदूषण को आणविक स्तर पर प्रतिरक्षा प्रणाली से जोड़ा गया है।

जानिए कैसे किया गया यह अध्ययन ?

इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय इटालियन फ्रैक्चर रिस्क डेटाबेस का अध्ययन किया। साथ ही साल 2016 और नवंबर 2020 के बीच करीब 35 सौ से अधिक डॉक्टरों द्वारा प्रस्तुत 81363 पुरुषों और महिलाओं पर व्यापक चिकित्सा जानकारी प्राप्त की। अध्ययन के बाद यह स्पष्ट किया गया कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से ऑटोइम्यून डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्रदूषण आपको पंहुचा सकता है नुकसान। चित्र:शटरस्टॉक

इस पूरे अध्ययन का नेतृत्व कर रहे वेरोना विश्वविद्यालय के रुमेटोलॉजिस्ट डॉ जियोवानी अदामी कहते हैं,”हमने पाया कि वायु प्रदूषण का लंबे समय तक संपर्क ऑटोम्यून्यून बीमारियों के उच्च जोखिम से जुड़ा था। विशेष रूप से, पीएम 10 पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रूमेटोइड अर्थराइटिस से जुड़ा था। जबकि पीएम 2.5 के संपर्क में रूमेटोइड गठिया, संयोजी ऊतक रोग और सूजन आंत्र रोग शामिल थे।

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अक्षांश कुलश्रेष्ठ

सेहत, तंदुरुस्ती और सौंदर्य के लिए कुछ नई जानकारियों की खोज में ...और पढ़ें

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