अभी विश्व कोविड-19 और मंकीपॉक्स के दोहरे खतरे से उभरा भी नहीं है और एक और जूनोटिक वायरस यानी पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला संक्रमण, का खतरा मंडराने लगा है। चीन में पशुओं से होने वाले एक नए प्रकार के वायरस हेनिपावायरस के फैलने का पता चला है। लैंग्या हेनिपावायरस (Langya Henipavirus) नाम का यह वायरस अब तक चीन के शेडोंग और हेनान प्रांतों में 35 लोगों को संक्रमित कर चुका है। जानिए क्या है यह और इस वायरस से बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए।
यह एक नए प्रकार का लैंग्या हेनिपावायरस (Langya Henipavirus या LAV) है, जिसे हेनिपावायरस भी कहा जाता है। यह पूर्वी चीन में बुखार (Febrile cases) की शिकायत करने वाले लोगों के गले से लिए गए स्वैब के नमूनों में पाया गया है। हालांकि यह कितना गंभीर या घातक हो सकता है, अभी तक इस बारे में कुछ भी सामने नहीं आया है।
अध्ययन में भाग लेने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, खोज में इस नए वायरस हेनिपा वायरस का पता चला है। संभव है कि यह जानवरों से आया है। इस वायरस से संक्रमित लोगों में बुखार, थकान, खांसी, एनोरेक्सिया, मायलगिया (Myalgia) और मतली सहित कई लक्षण देखे जा रहे हैं।
वर्तमान में लैंग्या वायरस अर्थात हेनिपावायरस के लिए कोई टीका या उपचार नहीं है। इससे उभरे कॉम्प्लीकेशंस को मैनेज करने के लिए एकमात्र उपचार सपोर्टिव केयर या मरीज की देखभाल ही है। ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल में उभरते संक्रामक रोगों के कार्यक्रम से जुड़े प्रोफेसर वांग लिनफा के अनुसार, लैंग्या हेनिपावायरस के मामले अब तक घातक या बहुत गंभीर नहीं हैं। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।
इसके बावजूद इससे मनुष्यों को सतर्क होना बहुत जरूरी है। क्योंकि प्रकृति में मौजूद कई वायरस मनुष्यों को संक्रमित करते समय अप्रत्याशित परिणाम देने वाले साबित हो चुके हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के शेडोंग और हेनान प्रांतों में हुई जांच में यह पाया गया कि लैंग्या हेनिपावायरस संक्रमण के 35 में से 26 मामलों में बुखार, चिड़चिड़ापन, खांसी, एनोरेक्सिया, मायलगिया, मतली, सिरदर्द और उल्टी जैसे क्लिनिकल लक्षण विकसित हुए हैं।
ताइवान के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि ह्यूमन टू ह्यूमन वायरस ट्रांसमिशन है या नहीं। जो 35 लोग संक्रमित हुए हैं, उनका एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क या कॉमन एक्सपोजर का इतिहास नहीं रहा है। हालांकि शोधकर्ताओं ने ह्यूमन टू ह्यूमन वायरस ट्रांसमिशन से इंकार नहीं किया है।
इस पर अभी रिपोर्ट आनी बाकी है। ताइवान के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल द्वारा वायरस के प्रसार की निगरानी के लिए न्यूक्लिक एसिड परीक्षण मेथड का प्रयोग कर रहा है। लैंग्या हेनिपावायरस मनुष्यों के साथ-साथ अन्य जानवरों की प्रजातियों को भी प्रभावित करता है। इसमें छछूंदर (shrews) भी शामिल हैं। यह इस वायरस का अनुमानित मूल मेजबान हो सकता है।
मनुष्यों को कई तरह से लाभान्वित करने वाले पशु कभी-कभी हानिकारक जर्म भी अपने साथ कैरी करने लगते हैं। पशुओं के द्वारा ये जर्म मनुष्यों तक पहुंच जाते हैं और बीमार कर देते हैं। यही जूनोटिक डिजीज है। जूनोटिक डिजीज वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट्स या फंगल इंफेक्शन से फैल सकता है।
ये जर्म मनुष्यों और पशुओं में कई तरह की बीमारियों की वजह बन सकते हैं। ये बीमारी माइल्ड से लेकर सीरियस यहां तक कि मौत के भी कारण बन सकते हैं।
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