महिलाएं लगभग 2,000,000 अंडों के साथ पैदा होती हैं, जो कि उनके जीवनभर का ओवरी रिजर्व होता है। इसलिए इसे सहेजना बहुत आवश्यक है। जबकि खराब जीवनशैली इन्हें नुकसान पहुंचाती है। खराब जीवनशैली आपके समग्र स्वास्थ्य के साथ-साथ आपकी प्रजनन क्षमता (Fertility) को भी प्रभावित कर रही है। इतना ज्यादा कि ये आपके अंडों की क्वांटिटी और उनकी क्वालिटी में भी कमी ला रही है। यकीनन किसी भी महिला के लिए यह सुनना थोड़ा चौंकाने और डराने वाला हो सकता है, लेकिन यह सच है। आपकी खराब आदतें और जीवनशैली आपके ओवरी रिजर्व (Ovary reserve) पर नकारात्मक रूप से असर डाल सकती है। आज इंटरनेशनल डे ऑफ एक्शन फोर वुमेन्स हेल्थ (International Day of Action for Women’s Health 2022) के अवसर पर अपने स्वास्थ्य के इस जरूरी पहलू पर ध्यान देना है जरूरी।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के अनुसार इनएक्टिविटी (Inactivity) यानी गतिविधि की कमी इनफर्टिलिटी (Infertility) का कारण बन सकती है। इसकी वजह से आपके ओवरी रिजर्व में कमी आ सकती है।
इंटरनेशनल डे ऑफ एक्शन फॉर वुमन्स हेल्थ 2022, जो हर साल 28 मई, को मनाया जाता है, का उद्देश्य महिलों की रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाना है। महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में बातचीत होना आवश्यक है।
इसलिए इस बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए हमने एच एन रिलायंस फॉउंडेशन हॉस्पिटल, मुंबई की प्रसूति एवं स्त्री रोग और निदेशक डॉ आशा दलाल, से बात की। जानिए इस बारे में क्या है उनका कहना। मगर सबसे पहले जान लेते हैं कि क्या होता है ओवरी रिजर्व।
ओवरियन रिजर्व (Ovarian Reserve) शब्द का उपयोग ओवरी की क्षमता को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। जो एग सेल्स प्रदान करती है ताकि वे निषेचन में सक्षम हों जिसके परिणामस्वरूप एक स्वस्थ और सफल गर्भावस्था हो।
डॉ आशा का कहना है कि ”उम्र और कई कारकों की वजह से ओवरी रिजर्व में कमी आती है। जो आगे चलकर इनफर्टिलिटी का कारण बनते हैं। यह सभी उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। कम रिजर्व के कारण अन्य कारकों में प्रदूषण और तनाव शामिल है।”
लो ओवरी रिजर्व वाली महिलाओं में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के साथ गर्भधारण की सफलता बहुत कम होती है। इसके अलावा, कम अंडे की गुणवत्ता के कारण अपने स्वयं के अंडों के साथ आईवीएफ के माध्यम से गर्भ धारण करना और भी मुश्किल हो जाता है, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
एनसीबीआई के अनुसार शारीरिक निष्क्रियता समाज में मोटापे (Obesity) के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं में मोटापा न सिर्फ मां की हेल्थ को खराब करता है बल्किऑफ स्प्रिंग के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। भारत में बांझपन एक आम समस्या है जो 13-19 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है।
सामान्य वजन वाले व्यक्तियों की तुलना में अधिक वजन वाले और मोटे व्यक्तियों में बांझपन अधिक आम है। महिलाओं में बांझपन के लिए ओवेरियन रिजर्व का कम होना एक महत्वपूर्ण कारक है। डॉ आशा के अनुसार बढ़ी हुई बीएमआई (BMI) भी अंडों की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
खानपान का भी प्रजनन स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं नर्सेज हेल्थ स्टडी के अनुसार, यदि आप स्वस्थ आहार लें तो आपकी प्रजनन क्षमता में अच्छी वृद्धि हो सकती है। यहां तक कि डॉक्टर आशा के नौसार भी, अंडाशय के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आहार भी एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंइसलिए अपने खानपान का ख्याल रखें और शारीरिक गतिविधि बनाए रखें, ताकि आपको आगे चलकर कनसीव करने में किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।
यह भी पढ़ें : मेंस्ट्रुअल कप हैं ईको फ्रेंडली पीरियड प्रोडक्ट, जानिए कैसे करना है इसका इस्तेमाल