देश भर में नर्सिंग फेसिलिटीज में से 80 परसेंट महिलाएं हैं। देश भर के डॉक्टर्स में महिलाओं की संख्या 29 प्रतिशत है। फोर्ब्स इंडिया की एक रिपोर्ट ये बात कहती है। लेकिन जब बात महिलाओं के इलाज और उनके स्वास्थ्य के देख रेख की आती है तो यही आँकड़े उलट जाते हैं। जबकि ये बात बड़ी आसान है कि महिलाओं के अंदर शारीरिक बदलाव, उम्र के अलग अलग पड़ाव का असर पुरुषों के मुकाबले ज्यादा पड़ता है। इसलिए महिलाओं को उम्र के अनुसार अपना खान-पान, अपनी दिनचर्या रखनी पड़ेगी वरना इसके असर उनके स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ सकता है। उम्र के अलग अलग पड़ाव पर महिलाओं को अपने खान-पान में क्या चीजें शामिल करनी चाहिए, आज हम यही समझेंगे, एक्सपर्ट की मदद से।
ये एक ऐसी अवस्था है जब महिलाओं का शरीर तेजी से बदल रहा होता है और कई हार्मोनल बदलाव प्रक्रिया में होते हैं। बचपन के ठीक बाद का ये फेज महिलाओं के ग्रोथ के नजरिए से बहुत जरूरी है और उतना ही है जरूरी है इस दौरान खाने का ध्यान रखना भी।
प्रोटीन- इस उम्र में शरीर के ग्रोथ के लिए शरीर को प्रोटीन की जरूरत होती है। खाने में दाल, अंडे और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल करना बेस्ट ऑप्शन है ताकि आपके शरीर में प्रोटीन बना रहे। दालें, अंडे, दूध और मांसाहार इसमें मदद करते हैं।
कैल्शियम- महिलाओं के शरीर में कई हड्डियाँ इस दौरान भी ग्रो कर रही होती हैं ऐसे में हड्डियों को पोषण देना जरूरी है और इसके लिए कैल्शियम सबसे बेहतर ऑप्शन है। डेयरी प्रोडक्ट्स को खाने में शामिल कर के आप आप ये काम आराम से कर सकते हैं। इसके साथ विटामिन डी के लिए प्रॉपर सन लाइट भी जरूरी है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम खाना चाहिए। इसके लिए दूध, दही और पनीर अच्छे होते हैं।
आयरन- यही वो उम्र होती है जब लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत होती है और इस वजह से कई बार कमजोरी कॉमन है। इस दौरान आयरन की कमी हो जाती है। ऐसे में खाने में हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दाल हमेशा शामिल रखें ताकि शरीर में आयरन कम ना हो।
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को सबसे ज्यादा खान-पान पर ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि इस दौरान उनका अपना शरीर तो कमजोर होता ही है लेकिन उसके साथ उनके ऊपर एक बच्चे के स्वास्थ्य की भी जिम्मेदारी होती है।
फॉलिक एसिड – महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान खाने के लिए ये सबसे जरूरी तत्व है। फॉलिक एसिड ना सिर्फ महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बल्कि बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में एक जरूरी भूमिका निभाता है। हरी सब्जियां, कुछ फल जैसे ब्रोकली और अगर आप नॉन वेज हैं तो मछली का नियमित खाने में शामिल रहना शरीर में फॉलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में पहुंचाएगा।
आयरन – पीरियड्स की ही तरह या यूं कहूँ कि कभी कभी उससे भी भयानक, आयरन की कमी से महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान गुजर सकती हैं। ऐसे में खाने में हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दाल हमेशा शामिल रखें ताकि शरीर में आयरन कम ना हो।
प्रोटीन- प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे के विकास के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन से भरी हुई चीजें खाने में लेनी जरूरी है। इसके लिए आप दाल नियमित तौर पर खाइए। अगर नॉन वेज हैं तो मीट, मछली और अंडे डाइट में शामिल करें। हाँ लेकिन मीट या मछली बनाते वक्त हमेशा ध्यान रखना है कि मसाले का इस्तेमाल कम से कम हो।
महिलाओं के लिए 30 से 40 के बीच की यह उम्र स्वास्थ्य के नजरिए से ज्यादा जरूरी है। इस दौरान बूढ़ापे में आने वाली कई बीमारियों की आहट भी सुनी जा सकती है, इसलिए बेहतर यही है कि खानपान बेहतर रख कर बूढ़ापे को स्वस्थ बना दिया जाए।
कैल्शियम और विटामिन D- इस उम्र में अक्सर महिलाएं हड्डियों की समस्या से दो-चार हो सकती हैं। यानी जोड़ों के दर्द की शुरुआत या हड्डियों की पुरानी चोट इस उम्र में उभर सकती है। ऐसे में हड्डियों के लिए कैल्शियम और विटामिन D बहुत जरूरी होते हैं। इसके लिए दूध, दही, पनीर खाने में शामिल करें और हाँ रोज थोड़ी देर धूप में समय बिताइए।
फाइबर- मिड एज से गुजरती महिलाओं में अक्सर पेट की समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इन कब्ज और पेट की समस्याओं से बचने के लिए फाइबर का सेवन करना जरूरी है और इसके लिए खाने में साबुत अनाज, फल, और सब्जियाँ पर्याप्त मात्रा में शामिल करें।
प्रोटीन- कामकाजी महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पातीं इसलिए अक्सर उनके शरीर का वजन तो बढ़ता जाता है लेकिन वो कमजोर होती चली जाती हैं। शरीर की ताकत बनाए रखने के लिए प्रोटीन जरूरी है और इसके लिए दाल, मांस, मछली और अंडे जैसी चीजों को खाने में शामिल करना जरूरी है।
एंटीऑक्सीडेंट्स- सारी बातों के बीच स्किन केयर को भूलना नहीं है। और इसमें आपकी मदद करेंगे एंटीऑक्सीडेंट्स। ये स्किन से नुकसानदायक चीजों को निकालने में मदद करते हैं। गाजर, अंगूर और नींबू जैसे फलों को अपने डाइट में शामिल करके आप एंटीऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में पा सकते हैं।
मेनोपॉज महिलाओं के जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट है। इस वक्त उनका शरीर कई बदलावों से गुजर रहा होता है। हार्मोनल चेंज भी इस वक्त बहुत आम है। ऐसे में उनके शरीर में किसी तत्व की कमी या किसी चीज की बहुतायत भी हो सकती है।
ठीक इसी वक्त जरूरी डाइट प्लान आपकी मदद कर सकता है। रजोनिवृत्ति के समय महिलाओं का शरीर बहुत सारे बदलावों से गुजरता है। इस समय महिलाओं के लिए सही आहार (diet plan for different age) और पोषण का ध्यान रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
फाइटोएस्ट्रोजेन्स
मेनोपॉज में होने वाले बदलाव हमारे दिमाग के साथ हमारे शरीर पर असर डालते हैं। इस दौरान मूड स्विंग, पसीना आना जैसे लक्षण कॉमन हैं। ऐसे में हमारे शरीर को फाइटोएस्ट्रोजेन्स की जरूरत पड़ती है ताकि हमारा शरीर हार्मोनल इंबैलेंस से लड़ सके। सोया प्रोडक्ट्स और अलसी के बीज इसके लिए सही ऑप्शन हैं ताकि आपको मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं से जूझना ना पड़े।
विटामिन B12
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को अक्सर हार्मोनल बदलावों के कारण नर्वस सिस्टम में डैमेज की समस्या से गुजरना करना पड़ सकता है। ऐसा शरीर में विटामिन B12 की कमी की वजह से होता है। इसलिए आपको अपने खाने में ऐसी चीजें जैसे चिकन, मटन, मछली, अंडे, और डेयरी प्रोडक्ट्स बढ़ाने होंगे। अगर आप वीगन हैं तो हरी सब्जियों को अपने हर खाने में शामिल करें।
पानी
पानी को इस वक्त बिल्कुल नजरंदाज ना करें। मेनोपॉज के दौरान अक्सर महिलाओं को गर्मी होने की समस्या से गुजरना पड़ता है। इसके असर के तौर पर उन्हें स्किन इन्फेक्शन, पेट की समस्या या फिर कब्ज-अपच हो सकते हैं। ऐसे में पानी बहुत जरूरी है। रोजाना कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीने की कोशिश करें। आप नारियल पानी या ऐसे फल या सब्जियां जिसमें पानी अच्छी मात्रा में होता है, उन्हें अपने डाइट (diet plan for different age) में शामिल कर के भी पानी की जरूरत पूरी कर सकती हैं।
महिलाओं के लिए ये दौर सबसे मुश्किल हो सकता है। स्वास्थ्य को किन्हीं भी कारणों से नजरंदाज करती आईं महिलाएं इस दौर में सबसे ज्यादा भुगतती हैं। ऐसे में इस वक्त उन्हें अपने डाइट (diet plan for different age) पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। अगर आप अपने माँ-बाप को स्वस्थ और बीमारी मुक्त रखना चाहते हैं तो इन चीजों का विशेष ध्यान रखें कि उन्हें क्या खाना चाहिए –
प्रोटीन
मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए प्रोटीन जरूरी है शरीर में प्रोटीन का इंटेक बढ़ाने के लिए आप दाल, अंडे, मीट और मछली को अपनी नियमित डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।
कैल्शियम और विटामिन D
हड्डियों को मजबूत रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन D का शरीर में जाना जरूरी है। कैल्शियम और विटामिन D के लिए दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स से बेहतर कुछ भी नहीं है। जाड़े में खासकर जब लोग सूरज की रौशनी पर्याप्त मात्रा में नहीं ले पाते, तब भी विटामिन डी की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कुछ सूरज की रौशनी में जरूर बिताएं।
आयरन और विटामिन C
बूढ़ापे में अक्सर शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। ऐसे में इस कमी को पूरा करने के लिए हमें हरी सब्जियों की तरफ रुख करना पड़ेगा। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां खाना या फिर रोज एक सेब खाना एक अच्छा ऑप्शन है।
अच्छे फैट
फैट का केवल एक ही प्रकार नहीं है जिसे हम जानते हैं कि वो शरीर को नुकसान करता है। कुछ अच्छे फैट भी होते हैं और बूढ़ापे के वक्त जो जरूरी होते हैं, खास कर दिल के अच्छे स्वास्थ्य के लिए। इन्हें अपने शरीर में पहुंचाने के लिए अखरोट, फ्लेक्स सीड्स और मछली नियमित तौर पर खाते रहिए।
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