जानिए क्यों कुछ लोगों को भीषण ठंड में भी नहीं होता है सर्दी का अहसास
हमारा शरीर बहुत सारे जीन से मिलकर बना है। अपने जीन के हिसाब से हम अलग-अलग तरह से व्यवहार करते हैं। वहीं खानपान और परिवेश बहुत हद तक हमारे व्यवहार का नियंत्रित करता है। इसके बावजूद कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जो बिल्कुल कॉमन हैं। यानी जनवरी के इस ठिठुरते दिन में आपको भी ठंड लगेगी ही। फिर चाहें आप बादाम उबाल कर खाएं या हर रोज चिकन सूप पिएं। दिसंबर अंत से ही पूरे उत्तर भारत में शीत लहर चलने लगी है। पर इस मौसम में भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बिल्कुल ठंड नहीं (not feeling cold in winter) लगती! पर ऐसा कैसे हो सकता है?
ये जानने के लिए हमने बात की डॉ ऋषि गौतम से। डॉ गौतम जीडब्ल्यू स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज में मनोचिकित्सा के सहायक प्रोफेसर हैं। इसके साथ ही वे जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, बाल्टीमोर में इंस्ट्रक्टर (पीडियाट्रिक्स) भी हैं।
पहले समझिए क्यों लगती है ठंड या गर्मी (Why you feel cold)
इस बारे में डॉ ऋषि गौतम कहते हैं, “हमारे तंत्रिका तंत्र में मौजूद गर्म और ठंडे रिसेप्टर्स के माध्यम से तापमान को महसूस किया जाता है। शरीर में वसा प्रतिशत, मांसपेशियों के प्रकार के फाइबर, समग्र शारीरिक स्वास्थ्य और कंडीशनिंग यह निर्धारित करते हैं कि एक व्यक्ति को बहुत कम या ज्यादा ठंड लग सकती है। कभी-कभी कुछ लोगों को बिल्कुल ठंड नहीं लगती।”
विशेष मानते हैं कि ठंड सहिष्णुता एक बहु-तथ्यात्मक घटना है, जिसके कई पहलुओं को हम अभी तक अच्छी तरह से नहीं समझ पाए हैं। एक व्यक्ति को ठंड या गर्मी महसूस होना निश्चित रूप से परिवेश के वातावरण पर निर्भर करता है, लेकिन आनुवंशिकी और जीव विज्ञान इसमें बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
क्यों अलग-अलग होती है ठंड के प्रति संवेदना (Cold tolerance)
विभिन्न शोध अब तक इस बारे में ठीक से कुछ भी समझ नहीं पाए हैं कि क्यों एक ही कमरे में बैठे दो व्यक्तियों में से एक को गर्मी या सर्दी ज्यादा लगती है, जबकि दूसरा वहां पूरी तरह आराम से बैठा होता है। इसे समझने के लिए वर्ष 2004 में फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया, जिसे जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित किया गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि त्वचा के नीचे स्थित परिधीय तंत्रिका तंत्र में मौजूद गर्म और ठंडे तंत्रिका कोशिका रिसेप्टर्स आपको अपने आसपास के तापमान को पहचानने में मदद करते हैं। यही वे रिसेप्टर्स हैं, जो आपको किसी गर्म चीज से टच होने पर हाथ वापस खींचने के लिए प्रेरित करते हैं, वहीं ठंंड के मौसम में यही रिसेप्टर्स आपको हथेलियां रगड़कर गर्मी पैदा करने के लिए प्रेरित करते हैं। वास्तव में ये इतने तीव्र होते हैं कि ठंड महसूस होने पर आपकी रीढ़ की हड्डी को भी ठंडा कर देते हैं।
थायराइड हॉर्मोन भी हो सकता है इसके लिए जिम्मेदार (Thyroid imbalance)
डॉ गौतम इसे हाइपरथायरायडिज्म का भी संकेत मानते हैं। वे कहते हैं, “हालांकि थायराइड हार्मोन गर्मी-सर्दी सहनशीलता को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। यदि आप दूसरों की तुलना में बहुत अधिक ठंडा महसूस करते हैं, वजन बढ़ रहा है, बाल झड़ रहे हैं और त्वचा में बदलाव देख रहे हैं, तो थायराइड फंक्शन टेस्ट करवाना आपके लिए जरूरी हो जाता है। ये सभी हाइपोथायरायडिज्म के संकेत हो सकते हैं।
इसी तरह हाइपरथायरायडिज्म वाले लोग बेहद गर्मी महसूस करते हैं, पसीने से तर हो जाते हैं, दिल की धड़कन तेज हो सकती है, वजन कम होता है और कुल मिलाकर ठंड के मौसम में भी उन्हें बिल्कुल ठंड महसूस नहीं होती।”
तब क्या ठंड न लगना किसी समस्या के संकेत हैं?
हालांकि किसी एक को ज्यादा ठंड क्यों लग रही हैं और किसी दूसरे को बिल्कुल नहीं लग रही, इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता। पर जब यह थायराइड के कारण हो तो विशेषज्ञ इस बारे में सतर्क होने का सुझाव देते हैं। क्या हाइपरथायरायडिज्म के कारण ठंड महसूस न होना किसी तरह के जोखिम से जुड़ा है? इस पर डॉ गौतम कहते हैं, “हां हाइपरथायरायडिज्म से ठंड सहनशीलता बढ़ जाती है।
इसलिए व्यक्ति को सामान्य से कम ठंड लगती है। यह एक चिकित्सीय स्थिति है जिसके लिए उपचार की आवश्यकता होती है। थायराइड हार्मोन के अत्यधिक उत्पादन से लोग बीमार हो जाते हैं। उपचार थायरॉइड रोधी दवा है, कुछ लोगों को थायरॉयड ग्रंथि को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है।”
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मेनोपॉज, हायपोथायराइडिज़्म या पीरियड्स के आसपास होने वाले हार्मोनल बदलाव आपको ज्यादा ठंड महसूस करने के लिए उत्तेजित कर सकते हैं। विशेषज्ञ कुछ स्थितियों में लो ब्लड प्रेशर को भी ठंड से जोड़कर देखते हैं। जबकि इसके विपरीत स्थितियों को ठंड कम महसूस करने के लिए इंगित किया जाता है। पर अगर आपको ठंड के दिनों में भी ठंड महसूस नहीं हो रही, तो इसके लिए थायराइड चेक करवाना बेहतर होगा।
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