हार्ट अटैक से हुई 8 माह प्रेगनेंट मलयालम अभिनेत्री की मृत्यु, एक्सपर्ट बता रहीं हैं प्रेगनेंसी में हार्ट अटैक के जोखिम

प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह के कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं। उनमें से एक है हार्ट अटैक का जोखिम। हाल में 8 माह प्रेग्नेंट मलयालम टेलीविजन ऐक्ट्रेस डॉ. प्रिया का हार्ट अटैक से निधन हो गया। विशेषज्ञ बता रही हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट डिजीज के लक्षणों को कैसे समझें।
malyalam tv actress pregnancy ke dauran heart attack se mar gayeen.
आठ महीने की प्रेग्नेंट मलयालम टेलीविजन ऐक्ट्रेस डॉ. प्रिया का दिल का दौरा पड़ने से निधन होने की खबर सामने आई। स्रोत : इन्स्टाग्राम
स्मिता सिंह Published: 2 Nov 2023, 17:03 pm IST
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इनपुट फ्राॅम

इन दिनों हार्ट अटैक के मामले सबसे अधिक सामने आ रहे हैं। हाल में 35 वर्षीय मलयालम टेलीविजन ऐक्ट्रेस डॉ. प्रिया का दिल का दौरा पड़ने से निधन (Malyalam TV actress Dr. Priya death) की खबर सामने आई। ऐक्ट्रेस आठ महीने की प्रेग्नेंट थीं। दिल का दौरा पड़ने से कुछ दिन पहले अभिनेत्री ने अस्पताल में नियमित प्रेगनेंसी टेस्ट भी करवाए थे। उनका नवजात शिशु फिलहाल आईसीयू में है। इन दिनों कम उम्र में हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के मामले तो बढ़े ही हैं, लेकिन अब प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट अटैक के कई सारे मामले भी सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञ से जानते हैं कि क्या प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है? क्या इसका कोई संकेत मिलने लगता है? इससे पहले जानते हैं कि अभिनेत्री डॉ. प्रिया कौन थीं?

कौन थीं अभिनेत्री डॉ. प्रिया (Malyalam TV actress Dr. Priya) 

डॉ. प्रिया मलयालम टेलीविजन की एक जानी-मानी हस्ती थीं। वे  दक्षिण में टीवी शो ‘करुथामुथु’ में अपनी दमदार भूमिका के कारण लोकप्रिय थीं। शादी के बाद उन्होंने अभिनय से ब्रेक ले लिया था। वे खुद भी एक डॉक्टर थीं। वे एमडी की पढ़ाई कर रही थीं और तिरुवनंतपुरम के पीआरएस अस्पताल में काम भी कर रही थीं। उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक समस्या नहीं थीं और वे 8 महीने से गर्भवती थीं। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रेगनेंसी के दौरान भी हार्ट अटैक हो सकते हैं?

क्यों होता है हार्ट अटैक का जोखिम  (Heart Attack Risks during Pregnancy)

प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट अटैक कॉमन है। प्रेगनेंसी के दौरान या डेलिवरी के 6 हफ्ते तक महिलाओं की होने वाली मौतों के 25 प्रतिशत मामले आमतौर पर हार्ट अटैक के कारण होते हैं। चूंकि हार्ट डिजीज के लक्षण प्रेगनेंसी के लक्षण से ओवरलैप कर जाते हैं। इसलिए ज्यादातर मामलों में लोग इसे गंभीर रूप से नहीं ले पाते हैं। इसमें सबसे अधिक कॉमन है चेस्ट पेन की शिकायत। आमतौर पर इसे प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली ब्लोटिंग या इनडायजेशन का दर्द समझ लिया जाता है। इसलिए उचित मेडिकल हेल्प मिलने में समय लग जाता है।

क्या हैं कारण (Heart Attack in Pregnancy causes)

प्रेगनेंसी के दौरान हीमोग्लोबिन लो हो जाता है। यदि किसी अन्य कारण से भी महिला का हीमोग्लोबिन बहुत कम हो रहा है, तो उसके हार्ट पर बहुत ज्यादा असर पड़ सकता है। इससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। यदि महिला की हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री रही है या उन्हें प्रीवियस प्रेगनेंसी में क्लोट्स की शिकायत रही है, तो उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए। किसी भी बीमारी की दवा लेने, किडनी और थाइरॉयड प्रोब्लम रहने पर कभी-भी सीने में दर्द को कम नहीं समझना चाहिए। ये सभी हार्ट अटैक के जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं।

pregnancy ke dauran heart attack ka jokhim sabse adhik hota hai.
किडनी और थाइरॉयड प्रोब्लम हार्ट अटैक के जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक

और भी हैं गर्भावस्था के दौरान दिल का दौरा पड़ने के कारण (kyon pregnancy ke dauran heart attack adhik hote hain)

गर्भावस्था के दौरान बढ़ते भ्रूण को (growing fetus) एकोमोडेट करने के लिए शरीर में ब्लड की मात्रा बढ़ जाती है। एक्स्ट्रा ब्लड को सही तरीके से पंप करने के लिए हार्ट बीट बढ़ जाती है। इस अतिरिक्त तनाव से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इस लिए प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट डिजीज या हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है। गर्भावस्था से जुड़े 75% से अधिक हार्ट अटैक 30 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में होते हैं।

प्रेगनेंसी में दिखें ये लक्षण, तो इग्नोर न करें (Don’t Ignore these Symptoms) 

गर्भावस्था के दौरान हृदय रोग होने पर कुछ संकेत मिलने लगते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान महिला बहुत घबराहट की शिकायत करती है, बदन में बहुत अधिक सूजन है, तो यह हार्ट डिजीज के संकेत हैं। चेस्ट में दर्द, चक्कर आना या बेहोश हो जाना, थकान, तेज हार्ट बीट (tachycardia), प्रति मिनट 100 से अधिक बार हार्ट बीट होने पर हृदय रोग होने के संकेत मिलने लगते हैं। रात में बार-बार यूरीन होना, लगातार खांसी, सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत होना, पैरों, हाथों, टखनों और कंधों में सूजन होना भी इसके लक्ष्ण हो सकते हैं

गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) और प्री-एक्लेमप्सिया या गर्भ के दौरान हाई ब्लड प्रेशर भी प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट डिजीज के लिए जोखिम बढ़ा देते हैं। यदि किसी महिला को इन दोनों की समस्या है, तो उन्हें विशेष रूप से सतर्क हो जाना चाहिए

pregnancy ke dauran dikhne wale kuch lakshan gambheer hote hain.
गर्भकालीन मधुमेह और गर्भ के दौरान हाई ब्लड प्रेशर प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट डिजीज के लिए जोखिम बढ़ा देते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

 हार्ट डिजीज से कैसे बचा जा सकता है (How to prevent heart attack during pregnancy)

इसके लिए लाइफस्टाइल में पूरी तरह चेंज करना होगा। डॉक्टर के निर्देशानुसार नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी होगी। हार्ट हेल्दी फ़ूड लेना होगा। यदि किसी महिला का वजन अधिक है, तो वजन घटाने के विकल्पों के बारे में डॉक्टर से बात करनी होगी। तनाव का प्रबंधन करना होगा। साथ ही, शराब और सिगरेट के सेवन से बचना होगा। डॉक्टर से रेगुलर चेकअप भी कराना होगा।

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