एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला इबोला वायरस एक गंभीर संक्रमण है, जो जानवरों के काटने और संपर्क में आने से तेज़ी से फैलता है। हाल ही में साइंसडायरेक्ट मैगज़ीन में प्रकाशित लेख के अनुसार चीन की हेबई मेडिकल यूनिवर्सिटी में एक ऐसा वायरस तैयार किया गया है, तो महज तीन दिन में किसी व्यक्ति की जान ले सकता है। इबोला वायरस (Ebola) के समान संक्रमण तैयार करने के लिए सिंथेटिक वायरस की मदद ली गई। मगर क्या ये सिंथेटिक वायरस भी इबोला की तरह घातक हो सकता है? क्या हो सकते हैं इसके लक्षण, आइए जानते हैं विस्तार से।
इबोला वायरस रोग एक ऐसा गंभीर रोग है, जो छूने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organization) के अनुसार किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है। दरअसल, छींकने और खांसने से स्लाइवा (sliva) के कण आसपास बिखर जाते हैं, जिससे इबोला का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा इंफेक्टेड जानवर को पकाने और खाने से भी इस समस्या का खतरा बना रहता है।
संक्रमित व्यक्ति के यूरिन और सीमन से ये समस्या बढ़ने लगती है। शरीर पर लगने वाले किसी कट, घाव या फिर आंख, नाक या मुंह को छूने ये संक्रमण शरीर में प्रवेश करता है। इस बीमारी की शुरुआत में बुखार, थकान और सिरदर्द का सामना करना पड़ता हैं।
इबोला रोग वायरस का एक समूह है, जिसे ऑर्थोबोलावायरस (orthobolavirus) कहा जाता है। ये वायरस गंभीर बीमारी का कारण बनने लगता है। समय पर इलाज न मिलने पर इससे मौत का जोखिम बढ़ जाता है। इबोला वायरस का नाम मध्य अफ्रीका के नार्थन कांगो बेसिन में इबोला नदी के नाम पर रखा गया है। जहां ये पहली बार सन् 1976 में पाया गया। इबोलावायरस जीनस मारबर्गवायरस से संबंधित हैं। ये दोनों फिलोविरिडे के मेंबर हैं जो एपिडेमिक हयूमन डिज़ीज़ का कारण साबित हुई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इबोला संक्रमण के लक्षण शरीर मे अचानक से नज़र आने लगते हैं। इसके चलते शरीर में बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और गले में खराश महसूस होने लगती हैं। इसके बाद नॉज़िया, दस्त, रैशेज़ और है। इंटरनल व एक्सटरनल ब्लीडिंग होने लगती है। इबोला ऐसा गंभीर वायरस है, जिससे उबरने के बाद भी दो साल तक शरीर में कुछ लक्षण नज़र आने लगते हैं।
सिरदर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है
आंखों में दर्द और विज़न लॉस का जोखिम बना रहता है
बालों का झड़ना और त्वचा पर रैशेज और खुजली होने लगती है
सोने में बाधा का सामना करना पड़ता है और नींद न आने की समस्या बनी रहती है।
तनाव से जूझना पड़ता है। अधिकतर लोग डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी का शिकार हो जाते हैं।
साइंस डायरेक्ट मैगज़ीन की रिपोर्ट के अनुसार चीन के हेबई मेडिकल यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों के एक समूह ने इबोला वायरस की तर्ज पर न्यू वायरस डेवल्प किया है। इस वायरन की चौंकाने वाली बात ये है कि इसकी चपेट में आने के महज तीन दिन के अंदर किसी व्यक्ति की जान जा सकती है। इबोला वायरस को कॉपी करने के लिए सिंथेटिक वायरस तैयार किया गया है।
इस वायरस के परीक्षण के लिए हैर्म्स्टस को लिया गया है। रिसर्च के लिए 5 मेल और 5 फीमेल हेमस्टरों में वायरस करे इंजैक्ट किया गया है। हैम्स्टरों में तीन दिन के भीतर इस रोग के लक्षण नज़र आने लगे और शरीर कमज़ोर होने लगा। आंखों से संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। इस संक्रमण से ग्रस्त सभी हैम्स्टरों की तीन दिन में ही मौत हो गई। शरीर की कोशिकाओं को संक्रमित करने वाला ये संक्रमण तेज़ गति से शरीर में फैलने लगता है।
हाथों की स्वच्छता का ख्याल रखें और हाथों को बार-बार धोएं।
ऐसे लोग जो इस संक्रमण का शिकार है, उसके संपर्क में आने से बचें।
इस संक्रमण से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबध बनाने से बचना चाहिए।
वे लोग जिनकी मौत इबोला से हुई है, उनकी बॉडी के नज़दीक जाने से बचें।
इबोला से बचने के लिए डॉक्टरी जांच और वैक्सीन की मदद अवश्य लें।
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