गर्मी और बरसात के साथ ही मच्छर जनित बीमारियों का जोखिम भी बढ़ने लगता है। ऐसी ही एक मॉस्किटो बॉर्न डिजीज है वेस्ट नाईल डिजीज (West nile disease)। इज़राइल में हाल ही में इस संक्रमण से 4 लोगों की मौत हो गई है। इस वायरस के छ: नए मामले मिलने से इससे ग्रसित लोगों की तादाद 48 पहुंच चुकी है। जहां 36 लोग अस्पताल में भर्ती हैं, तो उन्हीं में से 5 की हालत गंभीर बनी हुई है।
इज़राइल एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एंड हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार मॉस्किटो इंफेक्टिड वायरस के फैलने की पुष्टि बेन ग्यूरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर की गई है। इससे पहले मई 2024 में भारत के केरल में वेस्ट नाइल वायरस से एक व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया है। इसके अलावा त्रिशूर, मलप्पुरम और कोझिकोड जिलों से भी इस वायरस के छ: अन्य मामले मिले हैं। दरअसल, वेस्ट नाइल वायरस एक मॉस्किटो बॉर्न डिज़ीज़ (mosquito borne disease) है। ये संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से मनुष्यों और जानवरों में फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
केरल में इस संक्रमण का सबसे पहला मामला 2011 में प्रकाश में आया। उसके बाद साल 2019 में इस संक्रमण से 7 साल के बच्चे की मौत हुई। इसके अलावा साल 2022 में एक 47 वर्षीय व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हुआ और उनकी मौत हो गई। इस संक्रमण के लक्षण 2 से 14 दिन तक किसी व्यक्ति में रहते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजे़शन के अनुसार वेस्ट नाइल वायरस मनुष्यों में पनपने वाले न्यूरोलॉजिकल डिज़ीज़ (neurological disease) है। इस बीमारी की खासियत ये है कि इससे संक्रमित होने वाले लगभग 80 फीसदी लोगों में कोई भी लक्षण नज़र नहीं आता है। इस बीमारी के अधिकतर मामले अफ्रीका, यूरोप, नॉर्थ अमेरिका और वेस्ट एशिया में पाए जाते हैं। वेस्ट नाइल वायरस फ्लेविवायरस जीन्स का एक मेंबर है और फ्लेविविरिडे फैमिली के जापानी एन्सेफलाइटिस एंटीजेनिक कॉम्प्लेक्स से संबंधित है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वेस्ट नाइल वायरस (west nile virus) यानि डब्ल्यू एन वी (WNV) का सबसे पहला मामला 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल जिले में में पाया गया था। महिला में पाए गए इस संक्रमण की पहचान नील डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों यानि कौवे और कोलम्बिफोर्मेस में की गई थी। 1999 में ये बीमारी इज़राइल और टूनिशिया में फैलने लगी। वहीं केरल में साल 2011 में इस वायरस का पहला मामला सामने आया था।
वेस्ट नाइल वायरस मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से लोगों में फैलता है। ये वायरस ब्रेन और रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे प्रभावित करने लगता है। मनुष्यों के अलावा ये संक्रमण घोड़ों में तेज़ी से फैल रहा है और उनकी मौत का कारण बन रहा है। घोंड़ों में बढ़ रही इस बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, मगर दूसरी ओर अभी मनुष्यों के लिए इस पर रिसर्च जारी है। दरअसल, मच्छरों के काटने और पशु पक्षियों को खाना खिलाने के दौरान उनके संपर्क में आने से इस बीमारी का खतरा बना रहता है।
इस बारे में बातचीत करते हुए पल्मोनोलॉजी, सीनियर कंसल्टेंट डॉ अवि कुमार बताते हैं कि वेस्ट नाइल संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलता है। इसके चलते सिरदर्द, मस्तिष्क में सूजन और दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा बुखार और आंखों में दर्द जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं। इस संक्रमण से ग्रस्त केवल 1 फीसदी लोगों में गंभीर संकेत देखने को मिलते हैं। बच्चों या फिर 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में इसका खतरा बढ़ने लगता है। वे लोग जो डायबिटीज़, हृदय रोगों और किडनी के रोग से ग्रस्त है, उन लोगों में इस रोग की गंभीरता बढ़ने लगती है।
इस से संक्रमण ब्लड में घुल जाता है। इसके चलते बुखार, सिरदर्द, थकान, वॉमिटिंग और बदन दर्द का सामना करना पड़ता है। ये लक्षण केवल 20 फीसदी लोगों में ही देखने को मिलते हैं। इस घातक वायरस की चपेट में आने के बाद संक्रमण व्यक्ति के ब्लड में घुलने लगता है और कई गुणा बढ़ने लगता है। इससे पूरा शरीर प्रभावित होने लगता है और शरीर का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने लगता है। अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है, तो उसके चलते इस संक्रमण का सामना किया जा सकता है।
खुद को मच्छरों से प्रोटेक्ट करने के लिए फुल स्लीव कपड़े पहनें और इनसेक्ट रेपिलेंट का इस्तेमाल करें। आउटडोर एक्टीविटी को अवॉइड करें। इसके अलावा मच्छरदानी और कॉइल का इस्तेमाल करें। साथ ही गहरे रंगों को पहनने से भी बचें।
जानवरों और पक्षियों को फीड करवाने से पहले दस्ताने पहन लें। इससे उनके बाइट करने और स्लाइवा से बचा जा सकता है। इसके अलावा बीमारी से ग्रस्त जानवरों से दूरी बनाकर रखें, जिससे संक्रमण की रोकथाम की जा सकती है। पालतू जानवरों को निगरानी में बाहर लेकर जाएं, ताकि उन्हें स्रकमण से बचाया जा सके।
मक्खी और मच्छरों से दूर स्वस्थ और हेल्दी मील्स लें। रोड साइड फूड खाने से संक्रमण के फैलने का खतरा बना रहता है। साथ ही गर्मी में स्वस्थ रहने के लिए पानी को बॉइल करके पीना फायदेमंद साबित होता है।
गर्मी के दिनों में बाल्टी, टब और कूलर को लंबे वक्त तक भरकर न रखें। इससे उसमें मच्छरों के पनपने की संभावना बढ़ जाती है। घर की साफ सफाई का ख्याल रखें और मच्छरों से बचाव के लिए कूलरों की साफ सफाई का पूरा ख्याल रखें और वॉटर स्टोरज के लिए स्वच्छता का ख्याल रखें। इसके लिए पानी को बदलते रहें।
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