कैल्शियम हड्डियों और मसल्स को मजबूती देता है। हृदय, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को भी ठीक से काम करने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कैल्शियम विटामिन डी के साथ मिलकर हड्डियों के स्वास्थ्य के अलावा कैंसर, मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर से भी बचाव कर सकता है। मगर जरूरत से ज्यादा कैल्शियम लेना और गलत तरीके से लेना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए एक्सपर्ट से जानते हैं क्या है कैल्शियम लेने (Right way to have calcium) का सही तरीका और समय।
अधिक कैल्शियम का सेवन हार्ट हेल्थ के लिए नुकसानदायक है। हालिया अध्ययन बताते हैं कि रात के खाने में कैल्शियम का सेवन अधिक करने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसकी बजाय नाश्ते में इसका सेवन करना चाहिए।
बीएमसी पब्लिक हेल्थ (BMC) जर्नल में कैल्शियम के सेवन पर अध्ययन प्रकाशित हुआ। इसमें 2003- 2018 के बीच 36,000 से अधिक अमेरिकी एडल्ट के डाइट कैल्शियम सेवन की जांच की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले 17456 पुरुष और 18708 महिलाएं थीं।
इसमें 4040 हृदय रोग के रोगी थे। उनके सुबह और शाम के भोजन से कैल्शियम सेवन को लगातार जांचा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि रात के खाने में कैल्शियम के सेवन से 5% हृदय रोग का जोखिम बढ़ गया।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निरंजन बताते हैं, ‘कैल्शियम के सेवन को नाश्ते में लेने से यह जोखिम कुल मिलाकर 6% कम हो गया। लेखकों ने माना कि रात में कैल्शियम सेवन करने से हृदय रोग का खतरा बढ़ने के जोखिम के सबूत पर्याप्त नहीं हो सकते हैं। इसके बावजूद अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि बहुत अधिक या बहुत कम कैल्शियम का सेवन हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।’
एक्सपर्ट बताते हैं कि कैल्शियम दोपहर या शाम को नहीं लेना चाहिए। कैल्शियम आसानी से जमा हो जाता है। इसमें जमा होने की क्षमता होती है। कैल्शियम ऑक्सालेट आसानी से बनने के कारण अन्य बीमारियों जैसे कि किडनी स्टोन, यूरीनरी ब्लैडर स्टोन, कब्ज और आमतौर पर बच्चों में सोने में परेशानी का खतरा बढ़ जाता है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निरंजन बताते हैं, ‘आम तौर पर कैल्शियम की कमी वाले वयस्क को एक दिन में लगभग 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। यदि कोई व्यक्ति कैल्शियम सप्लीमेंट ले रहा है, तो इसे नाश्ते और दोपहर के भोजन के बाद दो भागों में बांट लें। इससे शरीर कैल्शियम को धीरे-धीरे अवशोषित कर सकेगा। यह अधिक प्रभावी होता है। दोपहर या शाम को कैल्शियम नहीं लेना चाहिए, खासकर रात 9 बजे के बाद। इससे कैल्सिफिकेशन की संभावना बढ़ जाती है।’
कैल्शियम इस बात का संकेत देता है कि आर्टरी में कितना फैट जमा हुआ है। इस जमी हुई सामग्री में कैल्शियम होता है। हार्ट आर्टरी में प्लाक दिल के दौरे का मुख्य कारण है। यदि प्लाक का कोई टुकड़ा टूट जाता है, तो उसके चारों ओर ब्लड क्लॉट हो सकता है। इससे हृदय में ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन की आपूर्ति अवरुद्ध हो सकती है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि कैल्शियम मस्तिष्क को नींद लाने वाले पदार्थ मेलाटोनिन के निर्माण में मदद करता है। यह एमिनो एसिड ट्रिप्टोफैन का उपयोग करने में मदद करता है। डेयरी प्रोडक्ट में ट्रिप्टोफैन और कैल्शियम दोनों होते हैं। यह नींद लाने वाले शीर्ष खाद्य पदार्थों में से एक हैं। इसलिए सोने से पहले दूध पीने की सलाह दी जाती है।
दूध के साथ कैल्शियम सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए। इसका कारण यह है कि दूध में कैल्शियम की मात्रा और कैल्शियम की गोलियों में कैल्शियम की मात्रा अवशोषण प्रक्रिया में एक- दूसरे के गुणों पर प्रभाव डाल सकती है।
इससे कैल्शियम को अवशोषित करने में शरीर की प्रभावशीलता कम हो जाती है। कैल्शियम को नाश्ते के लगभग 1 घंटे बाद और दूध लेने के समय से काफी पहले लेना सबसे अच्छा होता है।
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