अभी हाल में इनफ़ोसिस के फाउंडर नारायण कृष्णमूर्ति ने कहा था कि एम्प्लाइज को सप्ताह के 7 दिन काम करना चाहिए। उनके इस बयान के बाद डॉक्टरों ने रिसर्च के आधार पर बताया कि पूरे सप्ताह काम करने से हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, अवसाद जैसी स्वास्थ्य समस्याएं सामने आने लगती हैं। कोरोना बाद से वर्क फ्रॉम होम का चलन तेज़ी से बढ़ा है। अब शोध में में यह बात सामने आई है कि वर्क फ्रॉम होम में लोग बीमार होते हुए भी काम करते रहते हैं। इससे सेहत पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं। आइए जानते हैं कि बीमार होते हुए भी काम (working while being sick) करते रहना, आपकी सेहत को कैसे प्रभावित करता है।
एशिया पेसिफिक जर्नल ऑफ हेल्थ मैनेजमेन्ट के अनुसार, घर से काम करना लोगों को सुविधाजनक लगता है। यह घर से दफ्तर और दफ्तर से घर आने में लगने वाले समय की बचत करता है। इसमें आपका रुटीन लचीला रहता है, जिससे आपकी प्रोडक्टिविटी में सुधार होता है।
पर इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। यह लंबे समय में व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। इसके कारण व्यक्ति खुद को अलग-थलग महसूस करने लगता है। छुट्टियां बचाने के लिए लोग वर्क फ्रॉम होम के दौरान बीमार होते हुए भी काम करते रहते (working while being sick) हैं। इसके कारण शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
कनाडा लाइफ ग्रुप इंश्योरेंस कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले कर्मचारियों पर एक अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि लगभग 90% एम्प्लॉई बीमार होते हुए भी काम करते रहते हैं। कनाडा जैसी स्थिति भारत सहित कई एशियाई देशों में भी है। खासतौर से सर्दी, जुकाम, फ्लू जैसी स्थितियों में वे छुट्टी लेने की बजाए, काम करते रहते हैं।
कर्मियों को लगता है कि घर पर वे अपनी सेहत को ज्यादा अच्छी तरह से मैनेज कर सकते हैं। जबकि स्टडी में यह सामने आया कि तबियत ठीक न होने पर काम करते रहना आपकी सेहत दूरगामी नुकसान देता है।
डॉक्टर सुझाव देते हैं कि यदि आपको सर्दी-जुकाम है और आप नहीं चाहते कि कार्यस्थल पर किसी को भी यह बीमारी हो, तो आपको घर पर ही रहना चाहिए। फ्लू और इन्फ्लूएंजा से लड़ते समय ऑफिस से परहेज करना जरूरी है। गले में खराश अक्सर सर्दी का प्रारंभिक संकेत होता है। क्योंकि सर्दी बहुत संक्रामक होती है। लेकिन मुश्किल तब और बढ़ जाती है जब गंभीर बीमारी के बावजूद लोग लगातार काम करते रहते हैं।
जानिए क्या होता है आपकी सेहत पर असर जब आप बीमारी में भी काम करते रहते हैं (Side effects of working while being sick)
आपके सिर में दर्द है, सर्दी-जुकाम है या आप किसी लंबी बीमारी के साइड इफेक्ट्स का सामना कर रहे हैं, हर स्थिति में आप शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर महसूस कर रहे होते हैं। इसके बावजूद किन्हीं भी कारणों से काम करते रहना आपके शरीर और दिमाग पर अतिरिक्त बोझ डालता है। जो आगे चलकर और कई स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बन सकता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ वर्कप्लेस मैनेजमेंट के अनुसार, ज्यादातर मामलों में वर्क प्रेशर या ऑफिस प्रेशर के कारण व्यक्ति बीमार होने के बावजूद काम करते रहते (working while being sick) हैंI वर्कप्रेशर के कारण वे अधिक काम करने लग जाते हैं। यह उन्हें वर्कहोलिक बना देता है।
काम की लत लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम पैदा करती है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं, जैसे अवसाद, एंग्जाइटीऔर नींद की कठिनाइयों का कारण बन जाती है। वर्कहोलिज्म खराब मानसिक स्वास्थ्य का कारण भी हो सकता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एनवायर्नमेंटल रिसर्च ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार, बीमार रहते हुए प्रति सप्ताह लगभग 55 घंटे से अधिक काम करने पर हृदय रोग का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। यह समय के साथ बढ़ते तनाव, रक्तचाप में वृद्धि का भी कारण बन जाता है।
अधिक काम करने से लंबे समय में तनाव हो सकता है। इससे कोर्टिसोल और एड्रेनेलीन जैसे स्ट्रेस हार्मोन का स्राव शुरू हो सकता है। इन हार्मोनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। ये दोनों हार्ट डिजीज के जोखिम कारक हैं।
शारीरिक रूप से कम सक्षम होने के बावजूद लगातार वर्क फ्रॉम होम’ के कारण व्यक्ति पूरी तरह अपने ऑफिस वर्क से अलग नहीं होता (working while being sick) है। अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम का आनंद लेना उसके लिए मुश्किल हो सकता है। इससे व्यक्ति अलगाव और अकेलापन की समस्या से जूझने लग सकता है। व्यक्ति सामाजिक अलगाव भी झेलने लग सकता है।साथ ही साथ व्यक्ति की प्रोडक्टिविटी भी प्रभावित हो जाती है।
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