इन दिनों भारत में लड़कियों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। युवावस्था में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों का बढ़ना चिंताजनक है। भारत में उम्र के तीसरे और चौथे दशक से गुजर रही महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का सामने आना चिंताजनक है। इसके पीछे कोई एक कारण न होकर बहुत-सी ऐसी वजहें हैं, जो मिलकर कम उम्र में ही महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर जैसे खतरनाक रोग की शिकार बना रही हैं। इसके संभावित कारणों की बेहतर समझ, रिसर्च, प्रीवेंशन और एक्सेसिबल हेल्थकेयर के बारे में जानना जरूरी है। इस पर निवेश कर महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है। इससे पहले विशेषज्ञ से यह जानना जरूरी है कि भारतीय युवतियों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले क्यों बढ़ (breast cancer risk factor) रहे हैं।
ब्रेस्ट कैंसर का एक बड़ा कारण आधुनिक दौर में बदलता लाइफस्टाइल है। अब लड़कियों में माहवारी की शुरुआत जल्दी होने लगी है। साथ ही ब्लड फ्लो भी कम होने लगा है। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं का इस्ट्रोजेन एक्सपोज़र बढ़ रहा है। इस हार्मोन को कैंसर रिस्क फैक्टर माना जाता है। एक्सरसाइज रहित जीवनशैली और मोटापा भी प्रमुख कारण हो सकता है। यह महिलाओं में होने वाले हार्मोनल बदलावों के साथ छेड़छाड़ करता है। साथ ही, क्रॉनिक स्ट्रेस भी वर्तमान समय में महामारी का रूप ले चुका है। यह भी परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है।
एक और बदलाव जो आधुनिक दौर में तेजी से बढ़ा है, वह है प्रजनन (रिप्रोडक्शन) के मामले में बदलती पसंद। अब युवतियां कई कारणों से गर्भधारण में देरी करती हैं। प्रेग्नेंसी की फ्रीक्वेंसी भी घट गई है। इसके चलते इस्ट्रोजेन एक्सपोज़र लंबे समय तक बना रहता है। स्तनपान की कम अवधि के चलते इस हार्मोन के सुरक्षा कवच का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
पर्यावरण भी अब कई दृष्टि से खतरनाक भूमिका निभा रहा है। अनहेल्दी डाइट, जिसमें प्रोसैस्ड फूड आइटम्स की भरमार होती है, लेकिन फल और सब्जियां काफी कम शामिल होती हैं। यह शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक नहीं होती है। इसी तरह पानी में टॉक्सिन और पोलूटेंट मौजूद होते हैं।
ये भी कैंसरकारक होते हैं। यहां तक कि वायु प्रदूषणऔर उसका एक अहम तत्व स्मॉग कई स्तरों पर इस्ट्रोजेन की तरह बर्ताव करता है। हाल के वर्षों में ब्रेस्ट कैंसर के जोखिमों में यह प्रमुख कारक बना है।
भारत में आनुवांशिकी भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पहले इसके बारे में ऐसी राय नहीं थी। बीआरसीए जीन्स में म्युटेशन का नाता आनुवांशिकीय ब्रेस्ट कैंसर से होता है। यह भारतीय महिलाओं में अधिक देखा गया है। भारतीय महिलाओं को न सिर्फ कैंसर का खतरा ज्यादा है, बल्कि आक्रामक ट्रिपल-नेगेटिव सबटाइप का खतरा भी है। यह लड़कियों को अधिक शिकार बनाता है।
ये सभी पहलू अब पहले से ज्यादा स्पष्ट हो चुके हैं। ब्रेस्ट कैंसर में इनकी भूमिका भी समझ आ चुकी है। कई स्तरों पर अब भी जानकारी का अभाव बना हुआ है। इस विषय में जारी रिसर्च से यह सामने आया है कि इन पहलुओं के अलावा और भी कई कारण हैं, जो ब्रैस्ट कैंसर के मामलों में (breast cancer risk factor) बढ़ोतरी के जिम्मेदार हैं। सामाजिक-आर्थिक स्थिति और हेल्थकेयर एक्सेस इनमें प्रमुख हैं। इस बढ़ती हुई चुनौती से सही ढंग से निपटने के लिए पूरे मामले को सही ढंग से समझना जरूरी है।
ब्रेस्ट कैंसर जैसी जटिल समस्या से निपटने के लिए अनेक स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। रिस्क फैक्टर्स (Risk factors of breast cancer) और नियमित स्क्रीनिंग (regular screening) के प्रति जागरूकता बढ़ाकर रोग का जल्द पता लगाना जरूरी है। शारीरिक व्यायाम, पोषण से भरपूर भोजन और स्ट्रेस मैनेजमेंट के जरिए हेल्दी लाइफस्टाइल को बढ़ावा देकर रोग से बचा (breast cancer risk factor) जा सकता है।
इसी तरह क्वालिटी हैल्थकेयर तक लोगों की पहुंच बढ़ाना, खासतौर से ग्रामीण इलाकों के लिए ऐसी व्यवस्था करना, जेनेटिक टेस्टिंग बढ़ाना और काउंसलिंग से शीघ्र डायग्नॉसिस और सही निशाने पर सटीक वार किया जाता है।
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