कैंसर एक खतरनाक बीमारी है, जो जीवन के लिए जोखिम बढ़ा देता है। हालांकि अब कैंसर का अलग-अलग उपचार उपलब्ध है, जो जान के जोखिम को कम कर देता है। यहां तक कि आयु भी बढ़ा देता है। कैंसर दोबारा होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। कुछ मामलों में उपचार होने के बावजूद कैंसर सर्वाइवर में दोबारा कैंसर होने की संभावना (cancer re-occur amongst cancer survivors) बनी रहती है।
कैंसर से उबरने वाले लोगों में दोबारा कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। यह उनके सामने गंभीर चुनौती पेश करती है। यह एक-दूसरे से जुड़े विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है। उपचार के सफल समापन के बावजूद ऐसा हो सकता है। जीवनशैली की आदतों जैसे कि स्मोकिंग या टोबैको का उपयोग दोबारा से कैंसर के उभरने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। मुंह के कैंसर का इलाज कराने के बाद भी जो रोगी इन हानिकारक आदतों को जारी रखते हैं, उनमें संभावित रूप से शरीर के दूसरे भाग या उसी स्थान पर दोबारा कैंसर होने खतरा बढ़ जाता है।
आनुवंशिक कारक की भी भूमिका अहम होती हैं। जेनेटिकली कैंसर का सफल उपचार होने के बावजूद बीआरसीए1 जैसे जीन में म्यूटेशन से होने वाले के बाद भी उसके उभरने का खतरा बना रहता है। रोगी को मैनेज करने और उसके इलाज के दौरान रणनीति विकसित करने के लिए जेनेटिक म्यूटेशन को समझना जरूरी है। हालांकि वर्तमान में इन म्यूंटेशंस को रिवर्स नहीं किया जा सकता है, मगर दोबारा से कैंसर उभरने में उनकी भूमिका जेनेटिक्स और ऑन्कोलॉजी में इसके उपचार पर चल रहे शोध के महत्व को रेखांकित करती है।
जिस स्टेज में कैंसर का पता चलता है, वह इसके इलाज में केंद्रीय भूमिका निभाता है। प्रारंभिक स्टेज के कैंसर, जिन्हें स्टेज 1 और 2 के रूप में क्लासिफाय किया गया है, के उपचार की अधिकतम संभावना होती हैहै। एडवांस्ड स्टेज में अधिक जटिलताएं होती हैं और इसके ठीक होने की दर कम होती है। स्टेज 3 में आस-पास के लिम्फ नोड्स में बीमारी के फैलने से लंबे समय तक मौजूद कैंसर सेल्स के कारण उसके दोबारा उभरने की आशंका बढ़ जाती है।
स्टेज 4 में कैंसर प्रभावित हिस्से से दूर के अंगों तक पहुंच जाता है। इससे इसका पूरी तरह से खात्मा चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में कैंसर प्रबंधन में बीमारी का शीघ्र पता लगाने की जरूरी भूमिका पर जोर दिया जाता है।
कैंसर का प्रकार भी अपने-आप में एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। कैंसर के प्रकार के बीच व्यवहार में भिन्नता होती है, जैसा कि स्तन कैंसर में प्रभावी उपचार की प्रतिक्रिया और उसके दोबारा होने का जोखिम देखा जाता है।
आक्रामक कैंसर, जैसे कि एचईआर2-पॉजिटिव और ट्रिपल-नेगेटिव हाई रेट को प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा, पैन्क्रीआज और गॉल ब्लेडर के कैंसर जैसे कुछ कैंसर में प्रतिरोधक क्षमता निहित होती है। यह सफल परिणाम प्राप्त करने में चुनौतियां पैदा करता है।
जिस प्रकार का उपचार दिया जाता है, वह कैंसर के दोबारा उभरने के जोखिम को और अधिक बढ़ा (cancer re-occur amongst cancer survivors) देता है। अपूर्ण या अपर्याप्त उपचार, जैसा कि पॉजिटिव मार्जिन वाले सर्जिकल उपचार में देखा जाता है, कैंसर के दोबारा होने की आशंका बढ़ जाती है। संपूर्ण उपचार, जिसे R0, R1, और R2 जैसे शब्दों से दर्शाया जाता है, वह पुनरावृत्ति जोखिम को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। इसके अलावा, विशिष्ट स्तन कैंसर में एंटी-एचईआर2 एजेंट्स जैसे लक्षित उपचारों को शामिल करने से उपचार ज्यादा असरदार होता है। बीमारी के दोबारा उभरने की आशंका कम हो जाती है।
कैंसर और इसके दोबारा उभरने के कारणों को समझने में हुई प्रगति के बावजूद इस क्षेत्र में और अधिक रिसर्च की जरूरत है। ऊपर बताये गए कारक (cancer re-occur amongst cancer survivors) कैंसर से उबरने की जटिलताओं पर प्रकाश डालते हैं। सफल उपचार के बावजूद कुछ रोगियों में दोबारा कैंसर क्यों होता है, ऑन्कोलॉजी के रहस्यों को समझने और इसकी जटिलताओं को सुलझाने के लिए निरंतर शोध जरूरी हैं।
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