शरीर में बढ़ने वाले किसी भी रोग की रोकथाम के लिए उसके बारे में जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। दरअसल, जागरूकता की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा रही है। भारतीय महिलाओं में दिनों दिन इस रोग का खतरा बढ़ने लगता है। गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर 7 मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) की चपेट में आ रही है। यह खतरनाक किस्म का कैंसर है, जिसमें जरा सी भी लापरवाही जान का जोखिम बढ़ा सकती है।
सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि के कारण बढ़ने लगता है। गर्भाशय का एक निचला हिस्सा जो योनि से जुड़ता है, जिससे ये रिप्रोडक्टिव हेल्थ को प्रभावित करता है। ये कैंसर भारतीय महिलाओं में पाया जाने वाला दूसरा सबसे अधिक कैंसर है।
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर यानि सर्वाइकल कैंसर के बढ़ने में मुख्य कारक कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली है। एचआईवी संक्रमण, अन्य यौन संचारित रोग, कई बच्चों को एक साथ जन्म देना, अर्ली प्रेगनेंसी, हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल और धूम्रपान इस समस्या के खतरे का तेज़ी से बढ़ा रहा है।
भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले तेज़ रफ्तार से बढ़ रहे हैं। ऐसी महिलाओं की गिनती केवल 2 फीसदी है, जिन्होंने सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए कभी स्क्रीनिंग करवाई हो। गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार सर्वाइकल कैंसर से ग्रस्त रोगियों का प्रवाह लगातार बढ़ रहा है।
टेरटियरी कैंसर सेंटर के अनुसार राजस्थान और मध्य प्रदेश से सालाना 25,000 सर्वाइकल कैंसर के रोगी पाए जाते हैं। उनका उपचार विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी पर किया जाता है। इसके अलावा यहां पाए जाने वाले मामले तीसरी या चौथी स्टेज पर होते हैं, जिन्हें डायग्नोज करने के छ महीने के भीतर मौत का सामना करना पड़ता है।
साल 2023 में 123,000 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर पाया गया, जिनमें से 80,000 महिलाओं की मौत हो गइ। रिपोर्ट के अनुसार भारत सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) के वैश्विक बोझ का पांचवां हिस्सा उठा रहा है और इससे होने वाली मौतों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा दर्ज की जा रही है।
सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) हयूमन पेपिलोमावायरस के साथ लगातार बढ़ने वाले संक्रमण के कारण होता है। वे महिलाएं जो एचआईवी (HIV) से ग्रस्त हैं, उनमें 6 गुणा ज्यादा सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) के पनपने का खतरा बढ़ जाता है।
अर्ली स्टेज पर सर्वाइकल कैंसर डायग्नोज़ होने और नियमित जांच करवाने करवाने के चलते बीमारी का इलाज संभव हो पाता है।
एचपीवी के खिलाफ रोगनिरोधी टीकाकरण और पूर्व.कैंसर घावों की स्क्रीनिंग और उपचार गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को रोकने के लिए प्रभावी रणनीति है और ज्यादा लागत से भी बचा जा सकता है।
सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) की ज्यादातर घटनाएं और मृत्यु दर की उच्चतम दर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में है। दरअसल, ये नेशनल एचपीवी वैकसीनेशन, गर्भाशय ग्रीवा स्क्रीनिंग और उपचार सेवाओं की कमी को दर्शाता है।
सर्वाइकल कैंसर विश्व स्तर पर महिलाओं में पाया जाने वाला चौथा सबसे आम प्रकार का कैंसर है। इसके तहत साल 2022 में लगभग 660,000 नए मामले मिले हैं और लगभग 350,000 मौतें हुई हैं।
दुनिया भर के देश आने वाले दशकों में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की समस्या को खत्म करने की दिशा में प्रयासरत हैं। इन्होंन इस बीमारी को खत्म करने के लिए 2030 तक तीन लक्ष्यों पर सहमति व्यक्त की है।
अनियमित ब्लीडिंग और पीरियड के दौरान होने वाला भारी रक्त स्त्राव कैंसर कर लक्षण साबित हो सकता है। कुछ महिलाओं के इंटरकोर्स के बाद भी ब्लीडिंग होती है। मगर अधिकतर महिलाएं इसे सामान्य समझकर इग्नोर करने लगती है। मगर ये लापरवाही कैंसर का कारण बन जाती है।
शरीर में महसूस होने वाले फिज़िकल चेंजिज़ सर्वाइकल कैंसर की ओर इशारा करते हैं। दरअसल, सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) के कारण टिशूज़ की एबनॉर्मल ग्रोथ बढ़ जाती है। ऐसे इंटरकोर्स के दौरान दर्द महसूस होने लगता है। इस समस्या पर ध्यान न देना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होता है।
अचानक से शरीर का वज़न बढ़ना और घट जाना किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। सर्वाइकल कैंसर से शरीर में भूख न लगने की समस्या बढ़ जाती है। इससे वज़न कम होने लगता है और कमज़ोरी का अनुभव होता है।
बार बार यूरिन पास करना और यूरिन के दौरान जलन और दर्द का सामना करना सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) के खतरे को बढ़ा सकता है। इसके अलावा यूरिन में ब्लड का आना भी इस समस्या की ओर इशारा करता है। वे लोग जो इस समस्या को अवॉइड करते हैं, उन्हें सर्वाइकल कैंसर का सामना करना पड़ता है।
कैंसर पर भारत सरकार के 2016 की ऑपरेशनल गाइडलाइंस के अनुसार कि 30 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर पांच साल बाद सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग के अलावा स्तन और मौखिक कैंसर की जांच करानी चाहिए। स्क्रीनिंग उप केंद्रों में मौजूद स्टाफ की मदद से की जाती है। वहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार 30 से 49 वर्ष की केवल 1.9 फीसदी महिलाएं ही केवल सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाती हैं। वहीं ब्रेस्ट कैंसर और ओरल कैंसर स्क्रीनिंग की दर 0.9 पर्सेन्ट है।
एचपीवी एक सामान्य वायरस है, जो यौन संपर्क के माध्यम से शरीर में फैलने लगता है। ये सर्वाइकल कैंसर की समस्या को बढ़ा देता है। वहीं एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) की मदद से शरीर में एंटीबॉडीज़ बनने लगती है, जिससे इम्यून सिस्टम को मज़बूती मिलती है। वैक्सीनेशन लेने से प्रारंभिक संक्रमण और कैंसर के जोखिम से बचा जा सकता है। वहीं सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से 9 से 14 साल तक की लड़कियों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करने की घोषणा की गई है।