वर्ष 2022 का अंतिम सूर्य ग्रहण आज लग रहा है। असल में सूर्य ग्रहण पूरी तरह से खगोलीय घटना है। जब अपने अक्ष पर घूमते हुए चंद्रमा पृथ्वी और सूरज के बीच आ जाता है, तो चंद्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ने लगती है। इससे सूर्य की रोशनी कुछ समय के लिए पृथ्वी पर नहीं आ पाती है। पूरा सूरज या सूरज का कुछ हिस्सा पृथ्वी पर कुछ देर के लिए दिखाई नहीं देता है। इसी घटना को बहुत सारी धार्मिक मान्यताओं से जोड़ दिया गया है और माना जाने लगा है कि इसका सेहत पर भी असर होता है। जिसके चलते सूर्य ग्रहण के दौरान खाना-पीना वर्जित कर दिया गया। खाने के सामान पर तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं। लोग ऐसा मानते हैं कि सूर्यग्रहण का स्वास्थ्य (Solar eclipse effect on health) पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कितना प्रभावित करता है स्वास्थ्य को ग्रहण, आइये जानते हैं।
दुनिया भर में सूर्य और पृथ्वी पर सूर्य के रेडिएशन के मुख्य स्रोत – इन्फ्रा-रेड और अल्ट्रा-वायलेट रेडिएशन पर लगातार रिसर्च होते रहते हैं। क्या सूर्य ग्रहण के दौरान हुए रेडिएशन हमारे पर्यावरण और बायोलॉजिकल सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, इस विषय पर भी लगातार शोध हो रहे हैं। पर अभी तक कोई भी शोध यह साबित नहीं कर पाया है कि ग्रहण का हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
जनवरी 2009 में छपरा (बिहार) के राम जयपाल कॉलेज के विबुद्ध प्रकाश केसरी, पटना विश्वविद्यालय के परिमल कुमार खान और एसके श्रीवास्तव ने सौर ग्रहण के दौरान मूरीन गुणसूत्रों पर रेडिएशन के प्रभाव को देखना चाहा। इसके कारण कभी-कभी आई डिफेक्ट और स्किन कैंसर का जोखिम भी देखा जाता है।
उनकी रिसर्च का उद्देश्य सूर्य ग्रहण के दौरान बोन मैरो सेल में रेडिएशन के कारण फैलने वाले साइटोजेनेटिक टोक्सिसिटी का मूल्यांकन करना था। लंबी चली रिसर्च के निष्कर्ष में उन्होंने पाया कि सूर्यग्रहण के दौरान गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई। इसलिए इस दौरान हुए रेडिएशन को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं माना जा सकता है।
वर्ष 1981 में इंडियन जर्नल ऑफ़ साइकाइट्री में एक स्टडी प्रकाशित की गई, जिसे पबमेड सेंट्रल में भी स्थान दिया गया। इस स्टडी में मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम वाले लोगों को शामिल किया गया। इसमें यह निष्कर्ष दिया गया कि जिस समय ग्रहण लगता है, उस अवधि में सिजोफ्रेनिया, क्रोनिक डिप्रेशन से पीड़ित लोगों की समस्याएं बढ़ जाती हैं।
उनमें प्रोलेक्टिन हार्मोन बढ़ा हुआ पाया गया, जो व्यक्ति के व्यवहार से जुड़ा होता है। हालांकि नासा के वैज्ञानिक ऐसे किसी भी परिवर्तन से इनकार करते हैं।
यदि सोलर एक्लिप्स (Solar Eclipse) को बिना आई प्रोटेक्शन के देखा जायेगा, तो इससे रेटिना के सेल्स जरूर डैमेज हो सकते हैं।इसे एक्लिप्स ब्लाइंडनेस या रेटिनल बर्न कहा जाता है।
पबमेड सेंट्रल की रिसर्च बताती है कि ग्रहण भोजन पर कोई प्रभाव नहीं डालता। यदि आप ग्रहण के दौरान तैयार भोजन पर तुलसी के पत्ते डालती हैं, तो ग्रहण से इसका कोई सीधा ताल्लुक नहीं है। भले ही तुलसी और तुलसी के बीज स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
अंजलि मुखर्जी सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट हैं और वे लगातार प्राकृतिक औषधियों के बारे में लोगों को जागरुक करती रहती हैं। उन्होंने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर तुलसी और तुलसी के बीज का फायदा बताते हुए पोस्ट लिखी। वे बताती हैं, ‘तुलसी के पत्ते और बीज कॉगनिटिव डिक्लाइन का मुकाबला करते हैं। तुलसी के बीज ओमेगा -3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid) और पॉलीफेनोल्स (Polyphenols) से भरपूर होते हैं।
ये तंत्रिका सूजन को प्रबंधित करने में मदद करते हैं। यह कॉगनिटिव डिक्लाइन को रोकता है।’
आप अपनी रेगुलर डाइट में तुलसी के पत्तों को शामिल कर सकते हैं। इससे आपको मौसमी संक्रमण से बचने में मदद मिल सकती है।
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