ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) या एचआईवी (HIV) एक संक्रमण है, जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome) या एड्स (AIDS) संक्रमण का अंतिम चरण है। अक्सर लोग इन दोनों को लेकर कन्फयूज हो जाते हैं। दोनों को एक ही चीज़ समझ लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं हैं। दोनों अलग-अलग हैं। एचआईवी और एड्स को लेकर लोगों के मन में शंका बहुत ज्यादा होती है। इसलिए 1 दिसंबर को मनाए जाने वाले विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के अवसर पर सर एचएन रिलायंस अस्पताल में संक्रामक रोग के को-डायरेक्टर डॉ वसंत नागवेकर एचआईवी और एड्स के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (FAQs about AIDS) के जवाब दे रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2022 के अंत तक लगभग 3करोड़ 90 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे। पिछले वर्ष एचआईवी के कारण कम से कम 6,30,000 लोगों की जान चली गई।
संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. वसंत नागवेकर बताते हैं, ‘एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) लेने की सलाह दी जाती है। जब तक वे इस थेरेपी के तहत दवाएं लेते हैं, उनका जीवन सामान्य रूप से चलता रहता है।
एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति को जीवन भर एचआईवी की दवा लेनी होगी।
डॉ. वसंत नागवेकर के अनुसार, इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। जरूरी दवाओं से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। संक्रमित होने के बाद शरीर कभी-भी एचआईवी से छुटकारा नहीं पा सकता है। किसी व्यक्ति को यदि यह एक बार हो गया है, तो यह जीवन भर उसके साथ रहेगा।
हां, बिल्कुल। अपने परिवार के साथ एक वॉशरूम का उपयोग करने में कोई समस्या नहीं है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ से रोग फैलता है। एक ही वाशरूम का उपयोग करने से नहीं।
हां, संक्रमित व्यक्ति परिवार के साथ बर्तनों का उपयोग कर सकते हैं। भोजन साझा करने या एक ही बर्तन का उपयोग करने से एचआईवी नहीं फैलता है।
वर्तमान में एचआईवी संक्रमण से पीड़ित लोगों को इसे रोकने या इलाज के लिए कोई टीका (HIV Vaccine) नहीं है।
हां, बशर्ते दोनों को वायरोलॉजिकल रूप से दबा दिया (virologically suppressed) गया हो। खासकर मां को। डॉ. नागवेकर के अनुसार, माता-पिता को नवजात शिशु के लिए प्रसव, स्तनपान और एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी के बारे में किसी विशेषज्ञ से भी जांच करानी चाहिए।
बिल्कुल। एचआईवी मुख्य रूप से सेक्सुअली ट्रांसमिट होता है। मां के पॉजिटिव होने पर मां से बच्चे में ट्रांसमिट हो सकता है। यह ब्लड ट्रांसफयूजन से भी फैल सकता है।
पहले एचआईवी के उपचार में देरी होती थी। मुख्य रूप से इसके लॉन्ग टर्म में पड़ने वाले प्रभाव को देखकर। सीडी4 (CD4), प्रतिरक्षा कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक ग्लाइकोप्रोटीन है। डॉक्टर तब तक इंतजार करते थे जब तक किसी व्यक्ति की सीडी4 गिनती 500 से नीचे न आ जाए। अब एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण परिदृश्य बदल गया है। अब इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है। कभी-कभी तो एचआईवी का पता चलने पर भी।
जितनी जल्दी हो सके वह अपना एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी शुरू करा ले। इसका मतलब है कि यह एक्सपोज़र के 24 घंटों के भीतर किया जाना चाहिए। एचआईवी और अन्य यौन संचारित रोगों (Sexually Transmitted Disease) के बारे में डॉक्टर से उचित सलाह लेने के बाद ही ऐसा करे।
भले ही इसका कोई इलाज नहीं है, एचआईवी से पीड़ित जो लोग डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं लेते हैं, वे स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकते हैं। सबसे अधिक जरूरी दवा का सेवन है, क्योंकि यह संक्रमित व्यक्ति के ब्लड में एचआईवी की मात्रा को कम कर सकता है।
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