आजकल के परिवेश में कई तरह की खतरनाक और संक्रामक बीमारी देखने को मिलती है, जिनसे सभी को सुरक्षित रहने की आवश्यकता है। इन्हीं बीमारियों में एक नाम ‘ट्यूबरक्युलोसिस’ का भी है। ‘ट्यूबरक्युलोसिस’ को आम भाषा में ‘टीबी’ भी कहा जाता है। ‘ माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस’ नाम के बैक्टेरिया से फैलने वाली यह संक्रामक बीमारी इतनी घातक है कि इसके कारण हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
वहीं, हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की आई एक रिपोर्ट ने टीबी के मामले में भारत की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में आई WHO की इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि, पिछले वर्ष यानी 2022 में वैश्विक स्तर पर भारत में ही सबसे ज्यादा टीबी के मरीजों की संख्या देखने को मिली जो कि पूरे विश्व में 27 प्रतिशत है।
WHO ने बताया कि भारत में 2022 में कुल 2.8 मिलियन (यानी लगभग 28.2 लाख) टीबी के मामले दर्ज किए गए, जिनमें मृत्यु दर 12 प्रतिशत थी। WHO के अधिकारियों ने यह भी कहा कि भारत में सामने आए टीबी के इन केसेज़ से होने वाली मौतों की संख्या लगभग 3,42,000 पहुंची।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में पूरे विश्व में कुल 1.3 मिलियन लोगों की टीबी के कारण मृत्यु हुई। वहीं, वैश्विक स्तर पर कुल 10.6 मिलियन लोग इससे प्रभावित हुए जिसमें 5.8 मिलियन पुरुष, 3.5 मिलियन महिलाएं और 1.3 मिलियन बच्चे शामिल थे। साथ ही WHO ने यह भी बताया कि 2030 तक टीबी को पूरी तरह से खत्म करना पूरे विश्व का सतत विकास लक्ष्य है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी एक संक्रामक रोग है, जो अक्सर फेफड़ों को प्रभावित करता है और एक प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है। संक्रमित लोगों के खांसने, छींकने या थूकने पर यह हवा के माध्यम से फैलता है।
यदि आम भाषा में समझें तो टीबी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाला रोग होता है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी यह निशाना बना सकता है। यह एक प्रकार की गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है।
वहीं, ट्यूबरक्युलोसिस के बारे में टीबी और श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल लुहाड़िया बताते हैं कि यह बीमारी हवा के माध्यम से फैलती है, जो कि संक्रमित मरीज के बोलने या थूकने से निकलने वाले बैक्टीरिया के कारण होती है। डॉ.अतुल बताते हैं कि आमतौर पर टीबी दो प्रकार की होती है, जिनमें पल्मोनरी टीबी और एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी शामिल है।
पल्मोनरी टीबी में TB बैक्टीरिया (Mycobacterium tuberculosis) फेफड़ों को संक्रमित करते हैं, जिनके कारण फेफड़े संबंधी लक्षण दिखाई पड़ते है । इसमें आमतौर पर खांसी, छाती के दर्द, खांसी में खून आना और बुखार जैसे लक्षण शामिल होते हैं। पल्मोनरी टीबी आमतौर पर फेफड़ों से फैलने वाले ड्रॉपलेट्स के माध्यम से ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलती है।
एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी में टीबी बैक्टीरिया फेफड़ों के बाहर किसी अन्य शरीर क्षेत्र को अपना निशाना बनाते हैं। इससे जुड़े लक्षण अलग-अलग अंगों की तरह ही अलग-अलग हो सकते है, जिसमें जोड़ों के दर्द (स्केलेटल TB), नसों के दर्द (वास्कुलर TB), आदि लक्षण दिखाई पड़ते है।
टीबी के लक्षण बताते हुए डॉ.अतुल कहते हैं कि अलग-अलग तरह की टीबी के अलग-अलग उपचार और लक्षण होते हैं। साथ ही वे बताते है कि व्यक्ति को शुरुआती संकेतों के बारे में जागरूक होना जरूरी है, खासकर यदि आप टीबी से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क में रहे हैं।
1 लगातार खांसी आना : ऐसी खांसी जो दो सप्ताह से अधिक समय तक रहती है और बलगम या रक्त उत्पन्न कर सकती है, वो भी टीबी के अर्ली सिम्पटम्स में भी एक है ।
2 थकान होना : असामान्य रूप से थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होना।
3 बुखार आना : निम्न श्रेणी का बुखार होना भी टीबी के शुरूआती लक्षणों में से एक है।
4 रात में पसीना आना: रात में अत्यधिक पसीना आना भी एक लक्षण होता है।
5 अचानक वजन में कमी आना : अचनाक से और बिना किसी कारण के वजन में कमी आना भी एक लक्षण होता है।
6 सांस लेने में कठिनाई होना: सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई होना भी शुरूआती लक्षणों में से एक है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि आप इन लक्षणों का अनुभव करते हैं और टीबी के खतरे में हैं, तो चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है। टीबी एक इलाज योग्य बीमारी है, अगर इसका शीघ्र निदान और उपचार नहीं किया जाता तो टीबी के अधिक गंभीर रूप देखने को मिल सकते है।
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