लंबे समय से पेट में दर्द या पाचन संबंधी समस्या हो सकते हैं ‘पैंक्रियाटिक कैंसर’ के लक्षण, जानें इसके बारे में सब कुछ

कुछ घातक और खतरनाक ट्यूमर शरीर के अंगों में फ़ैल जाते है और उसे 'कैंसर' कहा जाता है। पैंक्रियाज़ में होने वाली इसी प्रक्रिया को 'पैंक्रियाटिक कैंसर' कहा जाता है।
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पैंक्रियाटिक कैंसर एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है, जो व्यक्ति को कई तरह से प्रभावित करती है । चित्र-अडोबीस्टॉक

किसी भी व्यक्ति के एक अच्छे और सुखद जीवन के लिए स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है। लेकिन वहीं, कुछ बीमारियां ऐसी भी है जिसके चलते व्यक्ति को अनेक तरह की परेशानियां देखने को मिलती है। इन्हीं बीमारियों में ‘कैंसर’ भी एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित करती है। आमतौर पर कैंसर कई तरह के होते है, लेकिन उनमें ‘पैंक्रियाटिक कैंसर’ बहुत खतरनाक और लाइलाज बीमारी है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर पैंक्रियाटिक कैंसर के लगभग 5 लाख केस देखने को मिले, जिसमें लगभग 4.70 लाख लोगों की मृत्यु हो गई। वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 में आए, पैंक्रियाटिक कैंसर के कुल केस में लगभग 90 फीसदी मोर्टेलिटी रेट दर्ज किया गया।

इसके साथ ही यूनाइटेड स्टेट्स की नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में वर्ष 2023 में अब तक पैंक्रियाटिक कैंसर के कुल 64050 केस देखने को मिले, जिसमें 50550 लोगों की मृत्यु हो गई। पैंक्रियाटिक कैंसर के यह आंकड़े बतातें हैं कि यह एक बहुत खतरनाक बीमारी है और सही समय पर इसके लक्षण समझ, इसका इलाज करना बेहद जरूरी है।

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पैंक्रियाटिक कैंसर मुख्य रूप से पैंक्रियाज में होने वाला कैंसर होता है। चित्र- अडोबीस्टॉक

क्या होता है पैंक्रियाटिक कैंसर ?

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार पैंक्रियाटिक कैंसर तब शुरू होता है ,जब पैंक्रियास में असामान्य कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं और नियंत्रण से बाहर होकर विभाजित हो जाती हैं, जिसके बाद यह एक ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर मुख्य रूप से पैन्क्रियाज़ में होने वाला कैंसर होता है। पैंक्रियाज़ एक तरह की ग्रंथि (Gland) होती है, जो व्यक्ति के शरीर में एंज़ाइम बनाती है और पाचन में मदद करती है। इसके साथ ही शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी पैंक्रियाज़ अहम भूमिका निभाता है।

पैंक्रियाटिक कैंसर को आसान भाषा में समझाते हुए कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. के रघुनाथ बताते है कि पैंक्रियाज़ जैसे अंग, मूल रूप से कोशिकाओं (Cells) से बने होते हैं। एक आम प्रक्रिया में , शरीर की कोशिकाएं विभाजित होकर कई नई कोशिकाएं बनाती रहती है क्योंकि हमारे शरीर को उनकी आवश्यकता होती है। वहीं, जब कोशिकाएं पुरानी हो जाती हैं तो, वे मर जाती हैं और नई कोशिकाएं उनकी जगह ले लेती हैं।

लेकिन हर बार यह प्रक्रिया सुचारु रूप से नहीं चलती और कभी-कभी यह प्रक्रिया टूट जाती है। जिसके कारण नई कोशिकाएं बनती ही रहती है जबकि उनकी जरूरत ही नहीं होती है। वहीं, जिसके बाद यह अतिरिक्त कोशिकाएं इकट्ठी होती रहती हैं और धीरे-धीरे टिशूज़ का एक समूह बना लेती है, जिसे ट्यूमर कहा जाता है। कुछ ट्यूमर असामान्य जरूर होते है लेकिन शरीर के अन्य भागों पर आक्रमण नहीं करते। वहीं, कुछ घातक और खतरनाक ट्यूमर शरीर के अंगों में फ़ैल जाते है और उसे ‘कैंसर’ कहा जाता है। पैंक्रियाज़ में होने वाली इसी प्रक्रिया को ‘पैंक्रियाटिक कैंसर’ कहा जाता है।

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क्या है पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण ?

पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण बताते हुए डॉ. रघुनाथ कहते हैं कि, सामान्यत: पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं, इसलिए इसे पहचानना कई बार कठिन हो सकता है। लेकिन इसेक कुछ आम लक्षण होते है। यदि इस तरह के लक्षण आपको लंबे समय तक दिखाई पड़ें, तो आपको तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।

1 पेट में दर्द: पैंक्रियाटिक कैंसर के मरीजों को आमतौर पर पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है, जो धीरे-धीरे बढ़ सकता है और अधिक समय के साथ काफी गंभीर हो सकता है।

2 खाना पीने में दिक्कत: पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित मरीजों को खाने पीने में विशेष दिक्क्तों जैसे भूख न लगना या खाना खाने में रूचि न होने जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

3 अचानक वजन में कमी: अनेक पैंक्रियाटिक कैंसर के मरीजों में अचानक बिना किसी कारण के वजन में कमी होना भी पैंक्रियाटिक कैंसर का एक बड़ा कारण है।

4 पाचन संबंधी समस्याएं: पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण पैंक्रियाटिक एंजाइमों की कमी हो सकती है, जिसके कारण खाना सही ढंग से पच नहीं पाता, जिसके कारण लंबे समय तक पाचन संबंधी समस्याएं देखने को मिलती है।

5 छाती में दर्द या सांस लेने में कठिनाई: कई मरीजों को पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण छाती में दर्द या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

6 पीलिया (Jaundice): पैंक्रियाटिक कैंसर की स्थिति में पीलिया भी एक बहुत बड़ा लक्षण होता है। पीलिया के कारण व्यक्ति की त्वचा और आंखों में पीलापन हो सकता है।

किन कारणों के चलते बढ़ सकता हैं पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा ?

पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण बताते हुए डॉ. रघुनाथ कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को पैंक्रियाटिक कैंसर हो सकता है और इसकी कोई मूल वजह के बारे में बता पाना एक मुश्किल कार्य है। लेकिन उनके अनुसार कई ऐसे आम कारण हैं, जिनके चलते यह बीमारी उत्पन्न हो सकती है। इनमें पैंक्रियाटिक कैंसर का पारिवारिक इतिहास, अत्यधिक धूम्रपान, बढ़ती उम्र जैसे कुछ कारक शामिल है।

क्या है इसका उपचार ?

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, पैंक्रियाटिक कैंसर को समझने के लिए इमेजिंग तकनीक जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई और एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिसके बाद यदि डॉक्टर को ट्यूमर मिलता है तब उसका इलाज शुरू किया जाता है। इसके इलाज ओर डॉ. रघुनाथ बताते है कि, पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज ट्यूमर की स्टेज पर निर्भर करता है। वे कहते है यदि ट्यूमर अर्ली स्टेज में होता है तो उसे सर्जरी करके निकाला जा सकता है।

लेकिन वहीं, यदि ट्यूमर बहुत अधिक शक्तिशाली होता है तो उसके लिए कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किया जाता है। रेडिएशन थेरेपी में राइडेशन्स के द्वारा ट्यूमर को सिकोड़ा जाता है, जिसके बाद सर्जरी के द्वारा उस ट्यूमर को बाहर निकाला जाता है। लेकिन वहीं, डॉ रघुनाथ बताते है कि यदि पैंक्रियाटिक कैंसर आखिरी स्टेज पर होता हैं, और वो पूरी तरह से फैल चुका होता है, तो ऐसी स्थिति में इसका इलाज संभव नहीं होता।

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लेखक के बारे में

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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