सिकल सेल रोग (Sickle cell disease) आनुवांशिक ब्लड डिसऑर्डर है, जो अलग-अलग तरीके से सामने आता है और हर रोग के लक्षण तथा जटिलताएं अलग होती हैं। इसलिए यह समझना बेहद जरूरी होता है कि सिकल सेल रोग किस टाइप (Types of sickle cell disease) का है। ताकि रोग का सही ढंग से मैनेजमेंट और उपचार किया जा सके। आइये सिकल सेल रोग (SCD) की बारीकियों को जानें और इन रोगों के अंतर (Difference between sickle cell diseases) को भी समझें।
सिकल सेल रोग (SCD) का कारण एक प्रकार का जेनेटिक म्युटेशन होता है। जिसके परिणामस्वरूप हिमोग्लोबिन की संरचना बदल जाती है। हिमोग्लोबिन हमारी लाल रक्त कणिकाओं (रेड ब्लड सेल्स/आरबीसी) में मौजूद एक तरह का प्रोटीन होता है, जो ऑक्सीजन की आवाजाही में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मगर सिकल सेल रोगों से ग्रस्त मरीजों को अपने पेरेंट्स से एब्नॉर्मल हिमोग्लोबिन जीन्स विरासत में मिलते हैं। जिनकी वजह से उनका शरीर विकारग्रस्त हिमोग्लोबिन, जिन्हें हिमोग्लोबिन S (HbS) कहते हैं, बनाता है। जब आक्सीजन लेवल कम हो जाता है, तो ये HbS रक्त में मौजूद रेड ब्लड सेल्स/आरबीसी को सख्त बनाते हैं और ये कोशिकाएं सिकल शेप (हंसिया के आकार जैसी) ले लेती हैं।
जिसका नतीजा यह होता है कि ये रक्त नलिकाओं में सुगमता से आवाजाही नहीं कर पाती। इस एब्नॉर्मल शेप के कारण कई तरह की जटिलताएं जैसे दर्द, एनीमिया और यहां तक की ऑर्गेन डैमेज (अंगों को क्षति) जैसी समस्याएं भी पैदा होती हैं।
HbSS को सिकल सेल एनीमिया भी कहते हैं। वास्तव में, यह सबसे आम और गंभीर किस्म का सिकल सेल रोग है। यह उस स्थिति में होता है जब किसी व्यक्ति में सिकल सेल जीन (HbS) की दो प्रतियां (दोनों पेरेंट्स से एक-एक) आती हैं।
HbSS से ग्रस्त मरीजों को अक्सर एनीमिया की शिकायत रहती है, साथ ही, थकान, जर्दी (पीलापन) और पीलिया भी हो सकता है। वे अक्सर दर्द से भी जूझते हैं जो कई बार काफी तेज होता है और उनकी हड्डियों, जोड़ों, छाती तथा पेट तक को प्रभावित करता है।
इसके कारण एक्यूट चेस्ट सिंड्रोम, स्ट्रोक, तथा अंगों को क्षति पहुंच सकती है। क्रोनिक पेन, शारीरिक विकास अवरुद्ध होने और बार-बार इंफेक्शन जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जो लाइफ क्वालिटी पर असर डालती हैं।
HbSC में एक सिकल सेल जीन (HbS) और एक हिमोग्लोबिन C (HbC), जो कि एक अन्य प्रकार का एब्नॉर्मल हिमोग्लोबिन वेरिएंट है, मरीज के शरीर में पैरेंट्स से पहुंचती है। हालांकि यह HbSS की तुलना में कम गंभीर रोग होता है, लेकिन इसकी वजह से भी स्वास्थ्य संबंधी कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
HbSC से ग्रस्त मरीजों में HbSS की तुलना में कम गंभीर लक्षण दिखायी देते हैं। वे अपेक्षाकृत कम दर्द अनुभव करते हैं और कम गंभीर किस्म के एनीमिया के मरीज होते हैं। लेकिन स्ट्रोक, एवास्क्युलर नेकरोसिस ऑफ बोन्स तथा पैरों के अल्सर की आशंका इन रोगियों में भी लगातार बनी रहती है।
HbSβ थैलेसीमिया उस स्थिति में होता है जब किसी व्यक्ति में एक सिकल सेल जीन (HbS) और एक जीन बीटा थैलेसीमिया की होती है, और इस कंडीशन में सामान्य हिमोग्लोबिन कम मात्रा में बनता है।
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कस्टमाइज़ करेंHbSβ थैलेसीमिया के लक्षण कितने गंभीर हो सकते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि बीटा थैलेसीमिया का कौन-सा टाइप आनुवांशिकी से प्राप्त हुआ है। HbSβ⁰ थैलेसीमिया अपनी गंभीरता में HbSS से मिलता-जुलता है, जिसमें मरीज को बार-बार शारीरिक दर्द की शिकायत होती है।
एनीमिया भी गंभीर होता है और अन्य कई जटिलताओं जैसे हड्डियों के विकार तथा विकास में देरी की शिकायत भी होती है। HbSβ थैलेसीमिया कई बार कुछ कम गंभीर (माइल्ड) भी होता है और उस स्थिति में मरीज को माइल्ड एनीमिया और कम दर्द की शिकायत होती है।
जहां एक ओर सिकल सेल रोग (SCD) रोगों के सबसे आम प्रकार में HbSS, HbSC, and HbSβ थैलेसीमिया की गिनती की जाती है, वहीं कुछ दुर्लभ किस्म के विकार भी हैं जैसे as HbSD, HbSE, और HbSO जो हिमोग्लोबिन जीन म्युटेशंस के अलग-अलग कंबीनेशंस की वजह से पैदा होते हैं। इन विकारों के क्लीनिकल लक्षण भी काफी अलग-अलग होते हैं।
सिकल सेल रोगों (SCD) में प्रमुख अंतर जेनेटिक, क्लीनिकल लक्षणों और उन लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर होता है। जहां सभी प्रकार के सिकल सेल रोगों (SCD) में एब्नॉर्मल हिमोग्लोबिन और सिकल-शेप सेल्स का प्रोडक्शन सामान्य है, वहीं कुछ खास तरह की जीन म्युटेशन और कंबीनेशंस से एनीमिया की गंभीरता, दर्द की गंभीरता और फ्रीक्वेंसी, तथा अन्य जटिलताओं का रिस्क प्रभावित होता है।
HbSS: इसमें दो HbS जीन्स होती हैं।
HbSC: एक HbS जीन्स तथा दूसरी HbC जीन होती है।
HbSβ थैलेसीमिया: एक HbS जीन और दूसरी बीटा थैलेसीमिया जीन (जो कि बीटा-प्लस या बीटा-जीरो हो सकती है)।
HbSS: गंभीर किस्म का एनीमिया, बार-बार दर्द उठना, अन्य जटिलताओं का अधिक रिस्क
HbSC: कम गंभीर लक्षण, कम संकट की स्थिति, अपेक्षाकृत कम जटिलताएं
HbSβ थैलेसीमिया: अलग-अलग होता है; HbSβ0 में लक्षण HbSS की तरह होते हैं जबकि HbSβ+ अपेक्षाकृत माइल्ड होता है।
याद रखें
सिकल सेल रोगों में कई प्रकार के डिसऑर्डर शामिल हैं और हरेक की अपनी खास किस्म की चुनौतियां तथा जटिलताएं होती हैं। सिकल सेल रोगों (SCD) के अलग-अलग प्रकार को समझना और उसके हिसाब से सही उपचार लेनान तथा पर्सनलाइज़्ड केयर सुनिश्चित करना काफी महत्वपूर्ण होता है।
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