ऐसी स्थिति जब अपना ही इम्यून सिस्टम देने लगता है बीमारियां, डॉक्टर से समझें क्या है इसका इलाज

हमारे शरीर में एक इम्यून सिस्टम होता है जो हमें बाहरी इन्फेक्शन्स और बीमारियों से बचाता है लेकिन क्या हो अगर यही इम्यून सिस्टम शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगे जो कई बार उम्र बढ़ने के साथ होता है। इन ऑटो इम्यून बीमारियों से निजात पाना उतना भी मुश्किल नहीं है।
Published On: 4 Jan 2025, 04:00 pm IST
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अंदर क्या है

  • क्या होती हैं ऑटो इम्यून बीमारियां 
  • ऑटो इम्यून बीमारियों के लक्षण 
  • ऑटो इम्यून बीमारियों का इलाज 
  • ऑटो इम्यून बीमारियों से कैसे बचें 

ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में एक इम्यून सिस्टम होता है जो हमें बाहरी इन्फेक्शन्स और बीमारियों से बचाता है लेकिन क्या हो अगर यही इम्यून सिस्टम शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगे जो कई बार उम्र बढ़ने के साथ होता है। ऐसी परिस्थिति से जन्मी बीमारियों को कहते हैं ऑटो इम्यून बीमारियां। कई बार तो ये कंट्रोल की जा सकती हैं लेकिन अगर वक्त पर इन्हें रोकने की कोशिश ना की जाएं तो कई बार ये गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे सकती हैं। आज हम डॉक्टर की मदद से यही समझने वाले हैं कि इन ऑटो इम्यून बीमारियों (autoimmune disease)  में कौन कौन सी बीमारी शामिल है और इनका इलाज क्या है?

ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण ( Reasons of auto immune diseases)

नेफ़्रोलॉजिस्ट डॉक्टर एम के सिन्हा के अनुसार, ऑटोइम्यून बीमारियों (autoimmune disease) के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है कि उनके कारण कई हो सकते हैं और कई बार केवल उम्र बढ़ने भर से ही ये परेशानी शुरू हो जाती है। लेकिन जो कॉमन कॉज़ हैं इस बीमारी के, उनमें से कुछ ये हैं –

1.जीनेटिक कारण (Genetic Reason)

अगर आपके परिवार में किसी को ऑटोइम्यून बीमारी है, तो आपको भी यह बीमारी हो सकती है। यह जीन के कारण होता है जो शरीर के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं और परिणामस्वरूप आपको भी ऐसी बीमारियों से गुजरना पड़ सकता है।

2. हॉर्मोनल बदलाव (Hormonal Changes)

महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले ऑटोइम्यून बीमारियां ज्यादा होती हैं। यह गर्भावस्था, मेनोपॉज या अन्य हॉर्मोनल बदलावों के दौरान बढ़ सकती हैं। साइंस डाइरेक्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक  महिलाओं में ऐसी बीमारियों का बड़ा कारण मेनोपॉज है क्योंकि इस वक्त महिलाएं बड़े स्तर पर हार्मोनल चेंजेज से गुजर रही होती हैं।

3.वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन (Infections)

कभी-कभी किसी वायरस या बैक्टीरिया का इन्फेक्शन भी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। नतीजतन हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम ही हम पर हमला कर बैठता है।

4.पर्यावरणीय कारण (Environmental Factors)

धूम्रपान, प्रदूषण और तनाव जैसी चीजें भी इम्यून सिस्टम को खराब कर सकती हैं और ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बन सकती हैं। अमेरिकी हेल्थ डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट  के मुताबिक, सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणें भी ऐसी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं जो शरीर में मांसपेशियों में कमजोरी और स्किन रैशेज जैसी समस्याएं देती हैं।

ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षण (Symptoms of autoimmune disease)

1.ऑटो इम्यून बीमारियों की वजह से शरीर के कई हिस्सों में सूजन, दर्द और गर्मी महसूस हो सकती है। ये दर्द अमूमन जोड़ों में, मांसपेशियों या स्किन के लेवल पर भी हो सकता है।
2.अगर आप बहुत थका हुआ महसूस करते हैं, तो ये ऑटो इम्यून बीमारियों (autoimmune disease) का आम लक्षण हो सकता है। कई बार ये और मुश्किल बन जाता है जब आराम करने पर भी थकान नहीं जाती है।
3.शरीर पर लाल रंग के चकत्ते हो सकते हैं जो अक्सर लूपस जैसी बीमारियों में होते हैं जो एक ऑटो इम्यून बीमारी (autoimmune disease) है।
4.ऑटोइम्यून बीमारियों में बालों का झड़ना भी आम है।
5.ऐसी बीमारियों में मेंटल स्ट्रेस, चिंता, घबराहट और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
6.ऑटो इम्यून बीमारियों में अपने ही शरीर का इम्यून सिस्टम ही शरीर के खिलाफ हो जाता है। ऐसे में इम्यून सिस्टम के शरीर के अंगों पर हमला करने से दिल, किडनी और लिवर से जुड़ी हुई बीमारियां भी दिखाई दे सकती हैं।

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ऑटोइम्यून बीमारियां (types of autoimmune disease)

डॉक्टर एमके सिन्हा के अनुसार, ऑटो इम्यून बीमारियां सबसे पहले मांसपेशियों को प्रभावित करती है। जिसकी वजह से हड्डियों की बीमारी आम है। किडनी को भी ऑटो इम्यून बीमारियां डैमेज दे कर जा सकती हैं। जैसे –

1.लूपस (Lupus)

ये बीमारी शरीर में सूजन को जन्म देती है। बुढ़ापे में अक्सर ऐसा महिलाओं के साथ होता है कि उनके हाथ- पांव अचानक सूजने लगते हैं।

लूपस में महिलाओं को शरीर में सूजन से गुजरना पड़ता है। चित्र – अडोबीस्टॉक

कई बार लुपस की वजह महिलाओं को अंदरूनी समस्याओं से भी गुजरना पड़ सकता है। इस दौरान उनके लीवर या किडनी में भी सूजन हो सकती है।

2.रूमेटॉयड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)

ये बीमारी हड्डियों के ही दर्द का एक प्रकार है लेकिन इसका कारण इम्यून सिस्टम का अपने ही शरीर पर हमला होता है। इस बीमारी में जोड़ों में सूजन, दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

3.थायरॉइड की समस्या (Thyroid Disorders)

इसमें थायरॉइड ग्लैन्ड में समस्या हो जाती है जिसकी वजह से गले में दर्द, सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस बीमारी की वजह से शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस भी हो सकता है।

4.मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis)

Multiple Sclerosis (MS) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के नर्वस सिस्टम को बुरी तरह से प्रभावित करती है। इस बीमारी में मांसपेशियों में कमजोरी, चलने में कठिनाई या आँखों से जुड़ी कोई परेशानी कॉमन हैं।

5.टाइप 1 डायबिटीज़ (Type 1 Diabetes)

Type 1 Diabetes भी ऑटो इम्यून बीमारियों की श्रेणी में रखी जाती है। इस बीमारी में शरीर इंसुलिन रेजिसटेंट हो जाता है जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है और फिर परिणाम के तौर पर थकान, अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब लगने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

ऑटोइम्यून बीमारियों का इलाज (Autoimmune disease treatment)

1.एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयां ऐसी स्थिति में अक्सर डॉक्टरों की प्राथमिकता में होता है। यह दवाइयां सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती हैं। इनमें NSAIDs (Non-steroidal anti-inflammatory drugs) शामिल हैं।

2.जोड़ों और मांसपेशियों की गति को बनाए रखने के लिए कई बार मरीज को फिज़िकल थेरेपी भी दी जाती है। की मदद ली जाती है।

3.ऐसी बीमारियों में कई बार मरीज को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी दी जाती हैं। ये दवाइयां इम्यून सिस्टम के खास हिस्सों को टारगेट करती हैं जो अपने ही शरीर पर हमला कर रहा है। रूमेटॉयड आर्थराइटिस और मल्टीपल स्केलेरोसिस के इलाज में इस तरीके का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है

4.कई बार ऑटो इम्यून बीमारियां हमारे शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचा देती हैं, ऐसे में डॉक्टर्स सर्जरी का ऑप्शन भी चुनते हैं।

ऑटो इम्यून बीमारियों से बचने के लिए क्या करें (how to avoid autoimmune disease)

1. फल और सब्जियाँ

ताजे फल और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, गाजर, और संतरा खाने से शरीर को विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स मिलते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं और ऑटो इम्यून बीमारियों (autoimmune disease) के खतरे को कम करते हैं।

2.फैटी एसिड्स ( Fatty Acids to prevent Autoimmune disease)

मछली, अलसी के बीज और बादाम- अखरोट जैसी चीजों में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स पाए जाते हैं। यह ना केवल आपके दिमाग के लिए बल्कि शरीर के इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी तत्व हैं।

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आहार में फैटी एसिड को शामिल करने से शरीर में एनर्जी का लेवल बढ़ने लगता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

अपने एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण ये सूजन भी कम करते हैं और शरीर के इम्यून सिस्टम को ठीक से काम करने में मदद भी करते हैं।

3. हल्दी और अदरक ( Turmeric and Ginger to prevent Autoimmune disease)

हल्दी में इनफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिसकी वजह से ये सूजन को कम कर सकता है और आपके इम्यून सिस्टम को भी बैलेंस रखता है। इसके साथ साथ अदरक भी इन्हीं गुणों से भरा हुआ है। खाएं-पीने की चीजों में नियमित इन दोनों का इस्तेमाल आपको ऑटो इम्यून बीमारियों से राहत देगा।

4. प्रोबायोटिक्स

दही, मशरूम या और भी बहुत से फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों में प्रोबायोटिक्स अच्छी मात्रा में मिलते हैं। ये प्रोबायोटिक्स आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं जिससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और ऑटो इम्यून बीमारियों की संभावना घटती जाती है।

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लेखक के बारे में
राेहित त्रिपाठी
राेहित त्रिपाठी

गोरखपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक और लिखने-पढ़ने की आदत। रेख्ता, पॉकेट एफएम, राजस्थान पत्रिका और आज तक के बाद अब हेल्थ शॉट्स के लिए हेल्थ, फिटनेस, भारतीय चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान पर रिसर्च बेस्ड लेखन।

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