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Meat side effects : सेहत के लिए जोखिम कारक हो सकता है नॉनवेज का ज्यादा शौक, शोध दे रहे हैं चेतावनी

किसी भी प्रकार के मीट का सेवन ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए। खासकर प्रोसेस्ड मीट न सिर्फ कैंसर, बल्कि कई अन्य गंभीर रोगों का भी जोखिम बढ़ा देता है।
Published On: 11 Dec 2023, 06:16 pm IST
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Dr. P. Venkata Krishnan
मेडिकली रिव्यूड
meat colorectal cancer ka karan banta hai.
हॉटडॉग, हैम, सॉसेज और मीट-आधारित सॉस जैसे प्रोसेस्ड मीट का सेवन कोलोरेक्टल कैंसर का कारण बनता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

हम अकसर यह सुनते और पढ़ते रहते हैं कि मीट यानी मांस से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। विटामिन बी 6 और विटामिन 12 जैसे जरूरी पोषक तत्व हमें इनसे ही मिलता है। यहां तक कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। यह मांसपेशियों के निर्माण में भी मदद करता है। मीट प्रेमियों को यह जानकरी अच्छी नहीं लगेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूएन (UN) जैसे संगठन ज्यादा मात्रा में मीट नहीं खाने की सलाह देते हैं। विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त दोनों संगठन बताते हैं कि ये गंभीर रोगों को बढ़ावा (meat side effect) देते हैं।

क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कैंसर अनुसंधान शाखा है इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) । इस संस्था के अनुसार, बड़ी संख्या में लोग प्रोसेस्ड मीट खाते हैं। उनके लिए यह जानना जरूरी है। हॉटडॉग, हैम, सॉसेज और मीट-आधारित सॉस जैसे प्रोसेस्ड मीट का सेवन कोलोरेक्टल कैंसर का कारण बनता है। बीफ, पोर्क, लैम्ब जैसे रेड मीट कैंसर के जोखिम को बढ़ा देते हैं। मीट का स्वाद बढ़ाने और संरक्षित करने के लिए उसे साल्ट के साथ प्रोसेस किया जाता है। दरअसल, इसे फर्मेंट और स्मोक विधि से प्रोसेस किया जाता है। ये विधियां मांस को हानिकारक (meat side effect) बना देते हैं।

क्या कहता है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का शोध (Oxford university research on meat)

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के हालिया शोध बताते हैं कि मांसाहार किसी व्यक्ति के कैंसर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अध्ययन में वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड और कैंसर रिसर्च यूके ने भी बड़े पैमाने पर सहयोग दिया। अध्ययन के अनुसार यह पाया गया कि मछली सहित मांस खाने की तुलना में शाकाहारी आहार का पालन करने से कैंसर विकसित होने का जोखिम सबसे कम होता है।

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फर्मेंट और स्मोक विधियां मांस को हानिकारक बना देते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

आहार और कैंसर के जोखिम के बीच संबंध (Diet and cancer risk connection)

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कैंसर महामारी विज्ञान इकाई के शोधकर्ताओं ने बताया कि सभी प्रकार के कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer), पोस्टमेनोपॉज़ल ब्रेस्ट कैंसर (Postmenopausal breast cancer) और प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) के खतरों को बढ़ा देता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की टीम ने 2006 और 2010 के बीच 4,72000 से अधिक ब्रिटिश एडल्ट के आहार और कैंसर के जोखिम के बीच संबंधों (Diet and cancer risk connection) की जांच की। इसके डेटा का विश्लेषण किया गया। भाग लेने के समय सभी प्रतिभागी कैंसर से मुक्त थे।

बढ़ा देता है कैंसर का जोखिम (Cancer Risks can increase)

भाग लेने वाले कुछ लोग सप्ताह में पांच बार से अधिक नियमित रूप से मांस खाते थे। दूसरे समूह के मांस उपभोक्ता प्रति सप्ताह पांच बार या उससे कम मांस खाते थे। तीसरे समूह के लोग मछली और प्लांट बेस्ड फ़ूड लेते थे। चौथे समूह के लोग सिर्फ शाकाहार ले रहे थे। 11.4 वर्षों के बाद, 54,961 लोगों में कैंसर की पहचान की गई। इनमें मांस खाने वाले 5882 लोगों में कोलोरेक्टल, 7537 लोगों में पोस्टमेनोपॉज़ल ब्रेस्ट कैंसर और 9501 लोगों में प्रोस्टेट कैंसर (meat side effect) देखा गया।

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रेड मीट खाने वाले को कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

हालांकि मीट खाने के कुछ फायदे भी हैं (Meat Benefits for health)

यदि ज्यादा मात्रा में मीट खाया जाता है, तो यह स्वास्थ्य को बहुत अधिक नुकसान (meat side effect) पहुंचा सकता है। यदि संतुलित मात्रा में मीट खाया जाए, खासकर चिकन का मांस खाया जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए बढ़िया होता है। चिकन सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है। इसमें प्रोटीन,फोस्फोरस, पोटेशियम, विटामिन डी, आयरन और कैल्शियम जैसे मिनरल्स भी मौजूद होते हैं। ये मिनरल्स मांसपेशी के निर्माण में मदद करते हैं और हड्डी को मजबूत बनाते हैं। सेलेनियम और कोलीन जैसे कंपाउंड वजन प्रबंधन (weight management) और मेंटल हेल्थ (Mental health) को भी लाभ पहुंचा सकते हैं।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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