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एक मेडिकल जेनेटिसिस्ट बता रही हैं किन लोगों के लिए जरूरी है जेनेटिक टेस्टिंग और क्यों

अपनी फैमिली हिस्ट्री से अलग हर व्यक्ति की सेहत और जींस का अपना एक निजी मैप होता है। जिसमें परिवार से मिले जेनेटिक गुण-दोष आगे बढ़ भी सकते हैं और नहीं भी। ऐसी स्थितियों का पता लगाने में जेनेटिक टेस्टिंग बहुत मददगार साबित हो सकती है।
har wyakti apne parivarik itahas se bahut sare genes lekar aata hai.
हर व्यक्ति अपने पारीवारिक इतिहास से बहुत सारे कमजोर और मजबूत जींस लेकर आता है। पर वह इनमें से किसे आगे बढ़ाएगा यह जेनेटिक टेस्टिंग बता सकती है। चित्र : अडोबीस्टॉक
Published: 14 Jul 2024, 03:30 pm IST
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आपके अंदर एक गुप्त कोठरी है जो आपकी हेल्थ का राज़ छिपाए हुए है। क्या हो अगर इसकी चाबी आपके हाथ लग जाए! इसे किसी बॉलीवुड थ्रिलर की पटकथा मत समझिए, यह है जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic testing) की असल दुनिया। एक समय था कि जेनेटिक टेस्टिंग का दायरा केवल रिसर्च लैब्स की बंद दीवारों के पीछे तक सिमटा था, लेकिन अब समय बदल चुका है और यह ऐसा टूल है जो आम आदमी के हाथों में भी उपलब्ध है। पर क्या हैं जेनेटिक टेस्टिंग के फायदे (Genetic testing benefits) और किन लोगों के लिए ये जरूरी (genetic testing requirements) है, आज हेल्थ शॉट्स के इस लेख में जानते हैं।

क्या है जेनेटिक टेस्टिंग (What is genetic testing)

जेनेटिक टेस्टिंग आपके डीएनए का खाका होता है। यह आपके संभावित हेल्थ रिस्क के रहस्यों पर से पर्दा उठाता है। आप आए दिन इसके बारे में खबरों में जो सुनते हैं और अब तो कई हस्तियां भी इसका प्रचार कर रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जेनेटिक टेस्टिंग आपके लिए सही है?

आइये हेल्थकेयर की दुनिया में आ रहे इस नए बदलाव के बारे में और जानकारी लें और उन तमाम सवालों से भी रूबरू हों जो आपके दिमागों को मथ रहे होंगे, खासतौर पर यदि आप अपनी फैमिली को बढ़ाने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो यह काफी रोचक पहलू हो सकता है।

आपके DNA यानि आपके जीवन की किताब के रहस्य को समझना

आपके शरीर में मौजूद हरेक कोशिका में एक अनूठा इंस्ट्रक्शन मैनुअल यानि निर्देश पुस्तिका होती है, यही DNA होता है। इसकी जटिल मॉलीक्यूल की संरचना एक लंबी, मुढ़ी हुई सीढ़ी के समान दिखती है जिसमें हर वो सूचना दर्ज होती है जिससे आपका निर्माण होता है – यानि आपके गालों पर दिखने वाले गड्ढों से लेकर क्या आपके शरीर में डायबिटीज़ की प्रवृत्ति है, जैसी तमाम कूट जानकारियां (कोड) होती हैं।

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आपका डीनएन आपकी सेहत की मूल किताब है। चित्र : शटरस्टॉक

जेनेटिक टेस्टिंग इस कोड की गुत्थियों को खोलती है, उन्हें पढ़ती है, उनका विश्लेषण करती है और इसके आधार पर यह बताती है कि भविष्य में आप किस प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

आपकी फैमिली हिस्ट्री से परे, आपका पर्सनलाइज़्ड रोडमैप

डॉक्टरों कई पीढ़ियों से लोगों के हेल्थ रिस्क का आकलन करने के लिए फैमिली हिस्ट्री पर भरोसा करते आए हैं। बेशक, इससे कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे कि आपने अपने हेल्थ रिस्क को समझने के लिए आधी-अधूरी सूचनाओं को ही खंगाला है।

इसके उलट, जेनेटिक टेस्टिंग से आपको मिलता है अपनी अनूठी DNA संरचना के मुताबिक पर्सनलाइज़्ड रोडमैप। यानि, ऐसा हेल्थ मैप जिसे खासतौर से आपके लिए ही बनाया जाता है, और जो आपके आगे के सफर में पेश आने वाली चुनौतियों या अवरोधों के बारे में पहले से ही चेतावनी देता है।

क्या हैं जेनेटिक टेस्टिंग के फायदे (Benefits of genetic testing)

1 कपल स्क्रीनिंगः सेहतमंद भविष्य की प्लानिंग

भारत में, एक बड़ी आबादी में आज भी वैवाहिक संबंध एक ही परिवार के बीच बनते हैं, ऐसे में जेनेटिक टेस्टिंग काफी महत्वपूर्ण होती है। कपल स्क्रीनिंग से, जिसमें दोनों पार्टनर्स की जेनेटिक टेस्टिंग की जाती है, रिसेसिव जेनेटिक डिसऑर्डर के संभावित कैरियर्स की समय रहते पहचान की जा सकती है।

हालांकि इस प्रकार के डिसऑर्डर दुर्लभ होते हैं, लेकिन दोनों पैरेंट्स के कैरियर्स होने की स्थिति में ये उनके बच्चों के लिए एक बड़ा हेल्थ रिस्क साबित हो सकते हैं। ऐसे में, जल्द से जल्द इनका पता लगने पर फैमिली प्लानिंग संबंधी फैसले लेने और मेडिकल जेनेटिसिस्ट डॉक्टर द्वारा प्रीनेटल टेस्टिंग तथा जेनेटिक काउंसलिंग संबंधी विकल्पों पर विचार करने में आसानी होती है।

2 एक से अधिक की ताकतः पोलीजेनिक रिस्क स्कोर

ज़रा कल्पना करें कि जीन्स किसी नाटक के किरदारों की तरह हैं। पारंपिरक तौर पर, जेनेटिक टेस्टिंग किसी रोग के लिए जिम्मेदार ‘विलेन जीन’ की पहचान करने तक ही सीमित होती है। लेकिन, असलियत देखें तो कहीं अधिक जटिल होती है। बहुत से रोग, जैसे कि हृदय रोग और कैंसर, मल्टीपल जीन्स में होने वाले बदलावों के संयोजनों से प्रभावित होते हैं, जिन्हें सिंगल न्यूक्लियोटाइड पोलीमॉर्फिज़्म (SNPs) कहते हैं।

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बेशक, इन (SNPs) का व्यक्तिगत असर मामूली हो सकता है, लेकिन जब एक साथ इनका विश्लेषण किया जाता है तो ये ‘पोलीजेनिक रिस्क स्कोर’ (PRS) पैदा कर सकते हैं। यह स्कोर ही किसी खास रोग के संदर्भ में आपकी जेनेटिक प्रवृत्ति की पूरी तस्वीर पेश करता है।

3 भारतीय परिदृश्यः अनूठा जेनेटिक लैंडस्केप

भारतीय आबादी की जेनेटिक संरचना काफी अनूठी है। शोधकर्ता उन विशिष्ट जेनेटिक वेरिएंट्स की पहचान करने में जुटे हैं जो भारतीयों में रोगों के रिस्क बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं। इससे हमारी आबादी के खास संदर्भ में अधिक सटीक PRS गणना करने का रास्ता साफ हो जाता है।

जैसे-जैसे जेनेटिक टेस्टिंग अधिक सुलभ और किफायती होती जा रही है, उसके मद्देनज़र भारतीय आबादी के संदर्भ में प्रासंगिक SNPs की पर्याप्त संख्या का विश्लेषण करने वाले टेस्ट की पहचान करना महत्वपूर्ण हो सकता है।

4 रोगों से बचावः प्रीनेटल और प्रीइंप्लांटेशन टेस्टिंग की ताकत

जेनेटिक टेस्टिंग से केवल आपकी अपनी हेल्थ की ही झलक नहीं मिलती, बल्कि यह आपको अपने भविष्य की फैमिली के बारे में भी काफी कुछ फैसले जरूरी जानकारियों के आधार पर लेने में भी मददगार होती है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि ऐसा कैसे मुमकिन होता हैः

5 प्रीनेटल टेस्टिंगः

इस परीक्षण में प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण की जांच की जाती है ताकि गर्भ में पल रहे शिशु में संभावित जेनेटिक डिसऑर्डर के बारे में समय रहते पता लगाया जा सके। इससे पैरेंट्स को स्पेशल नीड्स शिशु के जन्म के बारे में पहले से तैयार होने का समय मिल पाता है या वे अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर पर्याप्त जानकारी आधारित फैसला ले सकते हैं।

6 प्रीइंप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT):

इस एडवांस तकनीक का इस्तेमाल इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) के साथ किया जाता है। इससे डॉक्टर को गर्भाशय में भ्रूणों को इंप्लांट करने से पहले ही उनकी जेनेटिक संरचना का विश्लेषण कर किसी भी प्रकार की असामान्यताओं का पता लगाने में मदद मिलती है। इससे हेल्थ प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ती है, मिस्कैरेज (गर्भपात) का जोखिम घटता है, खासतौर से उन कपल्स के मामले में यह काफी उपयोगी होती है जिनकी फैमिली में जेनेटिक डिसऑर्डर की हिस्ट्री होती है।

क्या जेनेटिक टेस्टिंग आपके लिए सही है? (Genetic testing requirements) 

यह फैसला पूरी तरह से पर्सनल होता है। यहां कुछ उन स्थतियों के बारे में जानकारी दी जा रही है जिनमें जेनेटिक टेस्टिंग करवाना खासतौर से लाभप्रद हो सकता हैः

पारिवारिक मामलों मेंः

यदि आपकी फैमिली में किसी खास रोग की पहले से हिस्ट्री रही हो, जैसे कि थैलेसीमिया या सिस्टिक फाइब्रॉसिस की, तो जेनेटिक टेस्टिंग से आपको अपनी हेल्थ तथा अपनी भावी संतान को लेकर संभावित रिस्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

अनिश्चित हालातों मेंः

यदि आपके पारंपरिक रिस्क फैक्टर (जैसे ब्लड प्रेशर, कलेस्ट्रोल वगैरह) को लेकर स्थति अनिश्चित हो, तो जेनेटिक टेस्टिंग से आपको महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हो सकती है, खासतौर से यदि आप फैमिली प्लान कर रहे होते हैं।

भविष्य की प्लानिंगः

कुछ लोगों के लिए, जेनेटिक के बारे में जानकारी हासिल करना इस लिहाज से महत्वपूर्ण हो सकता है कि वे अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करने और अपनी हेल्थ का कंट्रोल अपने हाथों में लेने के लिए सशक्त बनते हैं, और वे खुद अपने लिए तथा अपनी भावी संतानों के मामले में ऐसा कर सकते हैं।

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अगर आप फैमिली प्लान करना चाह रहे हैं, तो उससे पहले जेनेटिक टेस्टिंग करवाना एक अच्छा निर्णय हो सकता है। चित्र : शटरस्टॉक

कपल प्लानिंगः

यदि आप फैमिली प्लान कर रहे हैं, और एक ही परिवार के सदस्यों के बीच वैवाहिक संबंधों की हिस्ट्री भी आपके साथ जुड़ी है, तो ऐसे में कपल स्क्रीनिंग से आप अपनी भावी संतान से संबंधित संभावित जोखिमों की पहचान कर सकते हैं। प्रीनेटल टेस्टिंग तथा PGT से आपको फैमिली प्लानिंग संबंधी अतिरिक्त विकल्प मिलते हैं।

लेकिन जेनेटिक टेस्टिंग से पहले इन पर भी विचार करें

टेस्ट की वैधताः

कोई भी जेनेटिक टेस्ट 100% सटीक नहीं होता। इसमें कई बार त्रुटिपूर्ण पॉजिटिकव या गलत नेगेटिव रिजल्ट की गुंजाइश रहती है।

टेस्ट का प्रकारः

कई तरह के जेनेटिक टेस्ट उपलब्ध हैं, और हरेक की अपनी खूबियां तथा सीमाएं हैं। कैरियर स्क्रीनिंग टेस्ट से आप यह पता लगा सकते हैं कि क्या आप किसी खास जेनेटिक कंडीशन की जीन के वाहक तो नहीं है। प्रीनेटल टेस्टिंग से भ्रूण में किसी जेनेटिक कंडीशन का पता लगाया जाता है। डायग्नॉस्टिक टेस्ट से उस जेनेटिक कंडीशन के डायग्नॉसिस की पुष्टि की जाती है।

टेस्टिंग का कारणः

क्या आप इस वजह से जेनेटिक टेस्टिंग करवा रहे हैं कि आपकी किसी खास कंडीशन की फैमिली हिस्ट्री है? क्या आप प्रेग्नेंट हैं और अपनी भावी संतान में जन्मजात विकारों को लेकर चिंतित हैं? टेस्टिंग का सही कारण पता होना इसलिए जरूरी होता है कि आप यह तय कर सकें कि आपके लिए कौन-सा टेस्ट सही है।

यह भी पढ़ें – आपके दिल की सेहत का पता लगा गंभीर जोखिम से बचा सकती है प्रिवेंटिव जेनेटिक टेस्टिंग

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लेखक के बारे में

डॉ. ऋचा सोनी ने मेडिकल जेनेटिक्स में डीएम के साथ-साथ एमबीबीएस और एमडी (बाल रोग) की डिग्री हासिल की है। उनकी प्रोफेशनल जर्नी में प्रतिष्ठित संस्थानों में सीनियर रेजीडेंसी, मेडिकल कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम करना शामिल है। दुर्लभ बीमारियों की जटिलताओं को सुलझाने के प्रति उनके गहरे जुनून ने उन्हें नई दिल्ली के प्रतिष्ठित एम्स में मेडिकल जेनेटिक्स में डीएम हासिल करने के लिए प्रेरित किया। फिलहाल वे फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट,गुरुग्राम में मेडिकल जेनेटिसिस्ट हैं। ...और पढ़ें

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