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प्रदूषित शहरों में घट जाती है कोविड वैक्सीन की प्रभावशीलता, यहां जानिए कोराेनावायरस से खुद को बचाने के उपाय

स्पेन में जनसंख्या आधारित अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण कोविड वैक्सीन की प्रतिक्रिया को कम कर देता है। जबकि भारत के ज्यादातर शहर प्रदूषित हैं। ऐसे में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच जानिए आप खुद को कैसे सेफ रख सकती हैं।
वायु प्रदूषण के कारण कोविड वैक्सीन लेने के बाद शरीर में बनने वाले एंटी बॉडी की संख्या घट सकती है चित्र : एडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:19 am IST
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हमारे स्वास्थ्य के लिए एयर प्रदूषण (Air Pollution) बेहद खतरनाक है। शोध से यह साबित हो चुका है कि यह कई तरह के कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है। दिल्ली जैसी मोस्ट पॉलुटेड मेट्रो सिटी के लिए तो यह और भी खतरनाक है। एक स्टडी में यह बात साबित हो चुकी है कि एयर पॉलुशन कोरोना वैक्सीन (Air pollution effect on covid vaccine) पर भी बुरा प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण कोविड वैक्सीनेशन के बाद शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी की मात्रा में गिरावट ला देता है। इसका मतलब है कि प्रदूषण कोविड वैक्सीन की प्रभावशीलता को कम कर सकता है। तब जब गर्मी के साथ ज्यादातर भारतीय शहरों का प्रदूषण और कोरोनावायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जानिए कि आप खुद को और अपने परिवार को कैसे सुरक्षित रख सकती (How to prevent coronavirus) हैं।

क्या है पीएम (PM)

पीएम का मतलब पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) होता है। हवा में पाए जाने वाले ठोस कणों और तरल बूंदों के मिश्रण को कण प्रदूषण (Particle Pollution) भी कहा जाता है। कुछ कण जैसे धूल, गंदगी, कालिख, धुआं आदि इतने बड़े या काले होते हैं कि उन्हें नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। हवा का पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर 2.5 रहता है। इसके साथ-साथ हवा में ब्लैक कार्बन, एनओटू और ओजोन गैस की भी उपस्थिति रहती है। यह सभी मिलकर वायु प्रदूषण के स्तर को स्वास्थ्य के लिए और भी बुरा बना देते हैं।

कोविड वैक्सीन और प्रदूषण पर क्या कहती है स्टडी (Study) 

कैटलोनिया, स्पेन में दो हजार से अधिक लोगों पर जनसंख्या-आधारित कॉहोर्ट स्टडी की गई। कॉहोर्ट स्टडी में एक निश्चित जनसमूह पर लंबे समय के लिए स्टडी की जाती है। इस अध्ययन के तहत वर्ष 2021 में 2,404 लोगों में से 927 प्रतिभागियों के ब्लड सैंपल लिए गये। इन लोगों ने 1-3 महीने पहले कोविड (COVID-19) वैक्सीन ली थी।

निष्कर्ष में पाया गया कि टीका लेने के 1 महीने बाद जिन लोगों को वायु प्रदूषण का एक्सपोजर मिल रहा था, उनके इम्युनोग्लोबुलिन एम (IGM) में एंटीबॉडी 5-10 प्रतिशत कम पाई गई। शोधकर्ताओं के अनुसार, विशेष रूप से सूक्ष्म कण पदार्थ (PM 2.5), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और ब्लैक कार्बन (Black Carbon) के संपर्क में आना खतरनाक है। इसके कारण बिना किसी संक्रमण वाले लोगों में आईजीएम और आईजीजी एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं में लगभग 10 प्रतिशत की कमी आई।

वायु प्रदूषक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को करते हैं प्रभावित (Immune System)

एनवायरनमेंट हेल्थ प्रोस्पेक्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, हृदय, श्वसन रोग और मधुमेह सहित कई प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों से जुड़े हुए हैं। वायु प्रदूषक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए ये कोविड टीकों के लिए एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को भी प्रभावित करते हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण पुरानी सूजन (Chronic Inflammation) को प्रेरित कर सकता है। यह टीके की प्रभावकारिता पर नकारात्मक प्रभाव से जुड़ा हुआ है। निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि लगातार जैविक प्रदूषक बच्चों में भी टीके की प्रतिक्रिया को कम करते हैं।

इम्युनोग्लोबुलिन का लेवल हुआ निम्न (Immunoglobulin) 

स्टडी टीम ने 40 से 65 वर्ष की आयु के 927 प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया, जिन्होंने 2020 और 2021 में अपने ब्लड सैम्पल दिए थे। इन लोगों को कोविड के टीकों की एक या दो खुराक मिल चुकी थी। परिणाम बताते हैं कि असंक्रमित व्यक्तियों में महामारी से पहले पीएम 2.5, एनओटू और ब्लैक कार्बन के संपर्क में आने से वैक्सीन-प्रेरित स्पाइक एंटीबॉडी में 5 -10 प्रतिशत की कमी देखी गई।

पहली खुराक के बाद प्रतिभागियों में इम्युनोग्लोबुलिन एम की प्रतिक्रिया हाई एयर पॉलुशन लेवल के संपर्क में आने पर चरम पर पहुंच गई। टीकाकरण के बाद कई महीनों तक इम्युनोग्लोबुलिन का लेवल निम्न बना रहा। शोधकर्ताओं के अनुसार, अभी इस पर और अधिक शोध किए जा रहे हैं।

प्रदूषित शहरों में रहते हैं, तो काेरोनावायरस से बचने और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए याद रखें ये 5 जरूरी टिप्स ((How to prevent coronavirus)

यदि आप किसी प्रदूषित शहर में रहती हैं, तो अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रोंग बनाये रखना जरूरी होता है। इसके लिए हमने बात की जिंदल नेचरक्योर के डिपटी चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एच पी भारती से। डॉ. एच पी भारती बताते हैं, ‘ऑर्गन, टिश्यूज, सेल्स और प्रोटीन मिलकर इम्यून सिस्टम बनाते हैं। ये शारीरिक प्रक्रियाओं को अंजाम देते हैं, जो रोग या संक्रमण पैदा करने वाले वायरस, बैक्टीरिया और बाहरी संक्रमणों से लड़ते हैं।

जब इम्यून सिस्टम किसी बैक्टीरिया के संपर्क में आता है, तो यह इम्यून रेस्पॉन्स को ट्रिगर करता है। इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है, जो पैथोजन के एंटीजेन से जुड़ जाता है। यह खत्म करने में सक्षम बनाता है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए कुछ उपाय करना चाहिए।

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1 आहार में शामिल करें सभी जरूरी विटामिन

विटामिन सी इम्युनिटी बढ़ाने में सबसे आगे है। यह खट्टे फलों से लेकर हरी सब्जियों में भी शामिल होता है। विटामिन ए हमें संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। यह डेयरी प्रोडक्ट्स, रंगीन सब्जियों, पीले फलों में मौजूद होता है। चिकन, टूना, केला में मौजूद विटामिन बी 6 भी इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।

आहार में शामिल करें इम्युनिटी बढाने वाले फ़ूड। चित्र : एडोबी स्टॉक

इसके अलावा विटामिन डी भी इम्युनिटी को मजबूत करता है। सूर्य की रोशनी के अलावा, आहार में विटामिन के स्रोत वाले फ्रूट्स, पौस्श्चराइज्ड मिल्क, पनीर, अंडा, मशरूम में पाया जाता है, जो इम्यूनिटी बूस्ट करता है।

2 नियमित एक्सरसाइज भी है जरूरी (Regular Exercise) 

शारीरिक गतिविधि मांसपेशियों के निर्माण और तनाव मुक्त करने में मदद करने के साथ-साथ स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली बनाने में भी मदद करते हैं।मोडरेट इन्टेसिटी वाले एक्सरसाइज इम्यून सिस्टम बूस्ट करते हैं।

3 हाइड्रेटेड रहें (How to prevent coronavirus) 

पानी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे ब्लड और लिम्फ, जिनमें प्रतिरक्षा कोशिकाएं भी होती हैं, के लिए भी जरूरी है। इसलिए खुद को दिन भर हाइड्रेट रखें

4 पर्याप्त नींद लें (Sound Sleep) 

नींद निश्चित रूप से शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गहरी नींद के दौरान डैमेज सेल की मरम्मत होती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है

गहरी नींद के दौरान डैमेज सेल की मरम्मत होती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।चित्र : एडोबी स्टॉक

5 तनाव कम करें (Stress Level) 

तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली पर बुरा प्रभाव डालता है। नींद की गड़बड़ी, अनहेल्दी फ़ूड खाने की प्रवृत्ति, पानी का सेवन कम करना, कम व्यायाम के साथ तनाव इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है। इसलिए योग ध्यान के सहारे स्ट्रेस लेवल को कम करना जरूरी है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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