अचानक मच्छरों की तादाद में बढ़ोतरी और फिर इनके चलते लोगों में मलेरिया, चिकनगुनिया, फाइलेरिया समेत डेंगू बुखार का खतरा बढ़ने के लिए गर्मी के मौसम को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शायद ये तर्क थोड़ा सा गलत हो सकता है, लेकिन इस मौसम में संक्रमित मच्छरों के काटने से लोगों में डेंगू बुखार फैलता है। तेज बुखार से जूझने के बाद भी लोगों की कमजोरी और थकान लंबे समय तक बनी रहती है। इसके लिए आपको न सिर्फ भरपूर आराम की जरूरत होती है, बल्कि आहार पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। आइए जानते हैं डेंगू या किसी भी बुखार के बाद होने वाले पोस्ट वायरल फटिग सिंड्रोम (Tips to overcome post viral fatigue syndrome) से आप कैसे उबर सकते हैं।
अमूमन डेंगू तेज बुखार के साथ आता है। उसके बाद मरीज को जोड़ों में तेज दर्द का सामना करना पड़ता है। इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार या ब्रेक बोन फीवर भी कहा जाता है। डेंगू बुखार से उबरने के बाद या आखिरी दौर में रहने पर जब शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट आनी बंद हो जाती है, तो ये सोचकर राहत मिलती है कि जल्दी ही शरीर डेंगू बुखार से छुटकारा पाने वाला है। लेकिन डेंगू बुखार से निजात पाने के बाद भी लगता है कि हम पहले की तरह बेहतर महसूस नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल ये पोस्ट वायरल फटीग सिंड्रोम का लक्षण हैं। जिनसे उबरने के लिए ये 6 टिप्स काफी कारगर साबित हो सकते हैं।
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नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुमोल रत्ना (एमडी,मेडिसिन) बताते हैं कि डेंगू एक वायरल बुखार है। अमूमन किसी भी वायरल बुखार की चपेट में आने के बाद मरीज के शरीर में प्लेटलेट काउंट घट जाते हैं, टीएलसी काउंट में भी कमी आती है। इसकी वजह से इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है। इम्युनिटी कमजोर होने के कारण सेकेंडरी इन्फेक्शन यानी अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
दूसरे डेंगू बुखार से जूझ रहे मरीज में डिहाइड्रेशन ज्यादा होती है। इसलिए इसके मरीजों में कमजोरी बनी रह जाती है। शरीर की इम्यूनिटी घटने के कारण मरीज को सेकेंडरी इन्फेक्शन हो गया, तो उन्हें और भी ज्यादा जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए डॉ सुमोल रत्ना यहां 6 जरूरी टिप्स साझा कर रहे हैं –
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शरीर में जब भी कोई बीमारी होती है। उसके चलते हमारे अंदर जरुरी विटामिन और मिनरल्स की कमी होने लगती है। इस कमी की भरपाई के लिए हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स की जरुरत पड़ती है। यही डिमांड पूरा हो जाने पर बुखार से तेजी से उबरने में मदद मिलने लगती है। डेंगू से उबरने के बाद भी काफी कमजोरी महसूस होती है ऐसे में न्यूट्रीएंट से भरपूर संतुलित आहार लेना जरुरी हो जाता है।
बुखार से उबरने के बाद भी शरीर को डिहाइड्रेटेड न होने दें। ऐसा न हो उसके लिए समय-समय पर पर्याप्त पानी पीते रहें। अगर पूरा दिन सिर्फ पानी पीने का मन न करें तो आप नींबू पानी, तरबूजा, खरबूजा, पाइनएप्पल व अन्य ताजे फलों का जूस पी सकती हैं। ऐसे में नारियल पानी, विटामिन सी से भरपूर नींबू पानी, संतरे का जूस काफी कारगर होता है।
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इस बुखार के दौरान खोए गए न्यूट्रीएंट की भरपाई करना अहम हो जाता है। ताकि शरीर को उसकी इम्युनिटी पावर दोबारा हासिल हो जाए। आमतौर पर डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही विटामिन्स की गोलियां लेनी चाहिए। इसके लिए जरुरी आहार को भी वरीयता दी जा सकती है। शरीर में विटामिन की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने से खोए हुए प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन के रिजनरेशन में मदद मिलती है।
डेंगू बुखार से उबरने के बाद अपने दैनिक जीवन में हल्का-फुल्का एक्सरसाइज जैसे सुबह की सैर, योग अपनाएं। धीमी गति से सुबह की सैर की शुरुआत कर सकती हैं। जितनी धीमी सैर करेंगी, उतना बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा।
डेंगू बुखार के दौरान, शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी हो जाती है, जिससे भारी थकान व सांस फूलने लगती है। पर इससे ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं है। इस स्थिति में शरीर को ज्यादा आराम देने और भरपूर सांस लेने की जरूरत पड़ती है।
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डेंगू बुखार से उबरने के बाद आहार, मल्टीविटामिन्स के आलावा उचित आराम और नींद लेना जरुरी है। दरअसल इस बीमारी के दौरान शरीर में काफी थकान, दर्द और कमजोरी बनी रहती है। इससे ठीक होने व दिनचर्या को पहले की तरह पाने के लिए आराम करना बेहद जरूरी हो जाता है। उचित नींद लेने से शरीर के सुस्त पड़े हेल्दी टिश्यू को रिजनरेट होने में मदद मिल सकती है।
सेकेंडरी इन्फेक्शन न होने पाए उससे बचने के लिए डेंगू बुखार के दौरान और ठीक होने के बाद भी मच्छरों से बचने के हर संभव प्रयास करने चाहिए। जैसे मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, लंबे दिनों तक कूलर, घर के गमलों और अन्य जगहों पर पानी इकट्ठा न होने दें।
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