कोविड-19 महामारी बहुत सारा तनाव लेकर आई है। इसने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानिसक स्वास्थ्य को भी बहुत गंभीरता से प्रभावित किया है। चेहरे की झुर्रियां और बालों का सफेद होना गंभीर तनाव का असर है। ऐसे में इस कोरोना के दौर को सफेद बालों का दौर कहा जा सकता है, क्योंकि संपूर्ण मानव जाती एक भारी तनाव से गुज़र रही है। अगर आपने भी इस दौरान अपने बालों में कुछ सफेद बालों को देखा है तो आप अकेली नहीं हैं।
ऐसा माना जाता है कि तनाव प्रीमेच्योर एजिंग के लिए ज़िम्मेदार है, क्योंकि यह स्टेम सेल्स को प्रभावित करता है, जो हेयर पिगमेंट का कारण होते हैं। मगर अब तक यह माना जा रहा था कि इससे होने वाला डैमेज पेरमेंट था!
कोलंबिया यूनिवर्सिटी वैगेलोस कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि तनाव के कारण आपके बाल समय से पहले सफेद हो जाते हैं, लेकिन यह अपने मूल रंग में वापस आ सकते हैं।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में बिहेवियर मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मार्टिन पिकार्ड कहते हैं, “हमरे लिए उन तंत्रों को समझना ज़रूरी है, जो बालों के ‘सफेद’ होने और फिर से उन्हें अपने ‘मूल’ रूप में लौटने की इजाजत देते हैं। इन तंत्रों को समझने से हमें एजिंग और तनाव से पड़ने वाले असर के बारे में समझने में मदद मिलेगी।
इस शोध में वैज्ञानिकों ने 14 प्रतिभागियों के एक छोटे समूह की जांच की, जिन्हें हर हफ्ते एक ‘स्ट्रेस डायरी’ में अपने तनाव को रेट करने के लिए कहा गया था और इसकी तुलना उनके बालों के रंग डेटा से की गई थी। भूरे रंग और तनावपूर्ण अवधियों के बीच मजबूत संबंध बनाए गए थे, हालांकि बालों के रंग में बदलाव बेहद सूक्ष्म थे।
पिकार्ड कहते हैं ”जब आप अपने बालों को उपर से देखती हैं तो कोई आपको कोई खास बदलाव नज़र नहीं आएगा। मगर एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन स्कैनर के तहत, आप रंग में छोटे, सूक्ष्म बदलाव देखते हैं, और यही हम माप रहे हैं।”
हालांकि, जिस बात ने शोधकर्ताओं को सबसे ज्यादा आकर्षित किया, वह यह थी कि जब एक प्रतिभागी छुट्टी पर था, तो उनके सिर के पांच बाल “उस छुट्टी के दौरान वापस काले रंग में वापस आ गए।”
2020 के एक पिछले अध्ययन से पता चला है कि चूहों में तनाव से संबंधित बाल सफेद होना अपरिवर्तनीय था क्योंकि यह बालों के रोम में स्टेम कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता था। हालांकि, इस नए अध्ययन ने सुझाव दिया है कि मनुष्यों में यह प्रक्रिया अलग है।
पिकार्ड कहते हैं “हमारी स्टडी के आधार पर, हमें लगता है कि बालों को ग्रे होने से पहले एक सीमा तक पहुंचने की जरूरत है।” जैसे कि एक बीच की उम्र के व्यक्ति में यह बदलाव देखने को मिल सकता है, परंतु वहीँ अगर हम एक 70 वर्षीय महिला की बात करें तो, उनके सफेद बाल वापस काले नहीं हो सकते हैं।
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