आमतौर पर स्मोकिंग की लत पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलती है। जबकि महिलाएं और बच्चे धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास होने की वजह से पैसिव स्मोकिंग (passive smoke) के शिकार बनते आए हैं। खुद धूम्रपान न करने के बावजूद भी धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास होने की वजह से तंबाकूयुक्त धुएं के हानिकारक प्रभाव का सामना करना पड़ता है। दिन प्रति दिन सेकंडहैंड स्मोक (second hand smoke effect) स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्यायों का कारण बनती जा रही है।
सेकंडहैंड स्मोक हर साल लाखों मासूमों की मौत का कारण बनता है। सेकंडहैंड स्मोक दो तरह से शरीर में प्रवेश करता है एक तो सिगरेट पीने वाले लोगों द्वारा मुंह से छोड़ा जाने पर और जलती सिगरेट से निकलने वाला धुंआ। इस प्रकार, पैसिक स्मोकिंग उन लोगों के लिए काफी तकलीफदेह होती है जो धूम्रपान नहीं करते (effect of second hand smoke)। वहीं इसके कारण स्मोकर्स को होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा नॉनस्मोकर्स में भी बना रहता है।
तंबाकू के धुंए में 4000 से ज्यादा केमिकल्स की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से 250 अधिक खतरनाक हैं और 50 से अधिक कैंसरकारी केमिकल्स हैं। सबसे खतरनाक किस्म का तंबाकू का धुंआ प्राय: दिखायी नहीं देता लेकिन यह काफी देर तक हवा में मौजूद रहता है। यहां तक कि यह सतह एवं कपड़ों पर चिपका रहता है।
वास्तव में सैकंडहैंड स्मोक (secondhand smoke) का कितना एक्सपोज़र सुरक्षित है, इस बारे में कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता। कई बार थोड़ी देर के लिए भी धुंए के संपर्क में आना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। वहीं रिसर्च में यह बात सामने आयी कि सैकंडहैंड स्मोक पांच मिनट से भी कम समय में नुकसान पहुंचा सकता है।
इसकी वजह से हृदय संबंधी रोगों जैसे हाइ ब्लड प्रेशर, एथेरोस्क्लेरॉसिस, हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं इससे लंग, ब्रेन, ब्लैडर, स्टमक तथा ब्रैस्ट कैंसर हो सकता है। यह श्वसन रोग जैसे अस्थमा का कारण बनता है और इसकी वजह से क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनेरी रोग (सीओपीडी) जैसी गंभीर लंग कंडीशन भी पैदा हो सकता है।
इसके अलावा, पैसिव स्मोकिंग से खांसी, सिरदर्द, गले में दर्द और आंख तथा नाक से जुडी समस्याएं जैसे अस्थायी दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं।
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इसकी वजह से गर्भ ठहरने में देरी होती है साथ ही एग काउंट में भी कमी आ सकती है। टबेको कंट्रोल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में देखा गया कि पैसिव स्मोकिंग से प्रभावित महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है। इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि सेकंडहैंड स्मोक की वजह से समय से पहले यानि की 50 साल की उम्र से पहले मेनोपॉज हो सकता है। अध्ययनों के अनुसार, सेकंडहैंड स्मोक एक्सपोज़र से ब्रैस्ट एवं सर्वाइकल कैंसर का खतरा भी काफी जयदा बढ़ जाता हैं।
गर्भवती महिलाओं में, सैकंडहैंड स्मोक की वजह से प्लेसेंटा के जरिए निकोटिन मैआबोलाइटिस हो सकता है। यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। जिनमें कम वज़न (low weight delivery), इंट्रायूटराइन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन, प्रीमैच्योर डिलीवरी (premature delivery), गर्भपात, प्लेसेंटा में अवरोध, प्लेसेंटा प्रीविया, प्रसव पूर्व मौत और एक्टोपिक प्रेगनेंसी जैसे खतरे शामिल हैं। ये आमतौर पर अधिक उम्र की महिलाओं में देखने को मिलते हैं।
इसी तरह, जन्म के बाद शिशुओं में लंग फंक्शन और ब्रेन डेवलपमेंट में गड़बड़ी की वजह से वे बार बार बीमार पड़ते हैं और असमय मृत्यु की आशंका भी बढ़ जाती है। यह कई बार इंफैंट डैथ सिंड्रोम का कारण बन सकता है।
खुद को सुरक्षित रखने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि स्मोकर से जितनी हो सके उतना दूर रहने का प्रयास करें और किसी ऐसे स्थान को तलाशें जो स्मोक-फ्री यानि तंबाकू के धुंए से मुक्त हो। जब भी आपके घर मेहमान आएं तो बिना संकोचित हुए उन्हें स्पष्ट रूप से बताएं की घर में धूम्रपान नहीं कर सकते। अगर आपकी कार में दूसरे लोग बैठे हैं, तो ऐसे स्थिति में भी यह सुनिश्चित करें कि वे धूम्रपान न करें।
यहां तक कि खिड़की का शीशा नीचे कर के भी ऐसा नहीं करने दें। ऐसे रेस्तरां और बार में जाने से बचें जहां स्मोकिंग की इजाज़त होती है। धुंए वाली जगहों पर स्मोक फिल्टर मास्क का प्रयोग करें या अपना मुंह ढक लें।
यदि आपके परिवार का कोई सदस्या करीबी दोस्त/सहयोगी धूम्रपान करता है, तो उन्हें इसकी लत छुड़वाने के लिए प्रोत्साहित करें, सपोर्ट दें और उनकी मदद करें। उन्हें धूम्रपान छोड़ने में सहायक चीजें तलाशने में मदद करें, उनका ध्यान बांटे और जब वे विदड्रॉल लक्षणों का सामना कर रहे हों तब भी उनकी सहायता करें।
अगर आप उसी घर में एक साथ रहते हैं, तो सिर्फ खिड़कियां और दरवाज़े खोलने या दूसरे कमरे में स्मोकिंग करने से खतरा कम नहीं होता और न ही आपका बचाव होता है। दरअसल, सिगरेट पूरी पीने के बाद भी उसका धुंआ हवा में 2 से 3 घंटे तक बना रहता है, भले ही आपने खिड़कियां खोल रखी हों। साथ ही, अगर कोई घर के एक कमरे में सिगरेट पीता है तो भी घर के बाकी हिस्सों में धुंआ फैलता है जहां दूसरे लोग इस धुंए को अपनी सांसों में उतारते हैं।
सैकंडहैंड स्मोक से होने वाले नुकसान (second hand smoke effect) को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें और अपनी खुराक में एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे कि विटामिन सी, अदरक, ग्लुटाथायोन और ग्रीन टी को शामिल करें। एयर प्योरीफायर का इस्तेमाल करें, भाप लें या नमकयुक्त नेज़ल स्प्रे का प्रयोग करें ताकि आपका श्वसन मार्ग नमीयुक्त रहे और साथ ही, नियमित रूप से प्राणायाम करें।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार ”हर व्यक्ति को तंबाकू-मुक्त स्वच्छ हवा” मिलनी चाहिए। लेकिन अक्सर जानकारी के अभाव, धूम्रपान पर रोक लगाने संबंधी कानूनों के लागू न होने, महिलाओं का सामाजिक दर्जा कम होने, सांस्कृतिक और सामजिक अवरोधों के चलते तथा धूम्रपान करने वाले अपने पतियों से घरों को धूम्रपान-मुक्त रखने की महिलाओं की मांग अक्सर नज़रंदाज कर दी जाती है।
इस कारण महिलाओं में सेकैंड हैंड स्मोकिंग के मामले बढ़ रहे हैं। इस समस्या से बचने के लिए, व्यवहारगत हस्तक्षेप जरूरी हैं, साथ ही, समाज को जागरूक बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाना और धूम्रपान पर व्यापक रूप से प्रतिबंध लगाना जरूरी है।
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