प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर दूध हमारी डाईट का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग इसे शेक्स, आइसक्रीम, स्मूदी समेत कई प्रकार से मील में एड करते हैं। वहीं जब बात डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों की आती है, तो उनकी मील को लेकर हम काफी सतर्क हो जाते हैं। डायबिटीज़ से जुड़ी जटिलताओं से बचने के लिए उन्हें पूर्ण पोषण प्रदान करने का प्रयास करते हैं। हरी सब्जियों और अनाज व दालों के साथ डेयरी प्रोडक्टस के लेकर हमारे मन में शंका बनी रहती है। जानते हैं वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk day) के मौके पर कि दूध किस प्रकार डायबिटीज़ के मरीजों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकता है।
दूध की गुणवत्ता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 1 जून को वर्ल्ड मिल्क डे के तौर पर मनाया जाता है। इस बार की थीम डेयरी क्षेत्र में स्थिरता यानि सस्टेनएबिलिटी इन द डेयरी सेक्टर है। ये एक ग्लोबल फूड है। साल 2001 में यूनाइटेड नेशन यूएन के खाद्य और कृषि संगठन ने पहली बार 1 जून को वर्ल्ड मिल्क डे के रूप में घोषित किया गया। इसका मकसद लोगों को इसके फायदों के बारे में जानकारी देना है।
यूएसडीए के मुताबिक दूध में विटामिन ए, बी, डी और के पाया जाता है। पोषकता से भरपूर एक कप दूध का सेवन करने से शरीर में 8 ग्राम प्रोटीन की कमी पूरी होती है। इसमें 67 फीसदी कैल्शियम, 35 फीसदी मैग्नीशियम और 44 फीसदी फोसफेट पाया जाता है।
इस बारे में हेल्थशॉटस से बातचीत के दौरान डॉ मोहन डायबिटीज़ स्पैशलिस्ट सेंटर में कंसलटेंट डायबेटोलॉजिस्ट डॉ लवलीना ने दूध से संबधित कई प्रकार की जानकारी साझी की। उन्होंने कहा कि दूध बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर अपने आप में एक संतुलित आहार है। डायबिटीज़ के मरीजों को ये बेहतरीन न्यूट्रिशन वेल्यू प्रदान करता है। हांलाकि इसके सेवन से मधुमेह रोगियों के शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
वहीं मिल्क का पोषण मूल्य उस नकारात्मक प्रभाव को ओवरकम करने में कारगर साबित होता है। उदाहरण के तौर पर मधुमेह से ग्रस्त लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ने की संभावना रहती हैं। दूध का सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी होती है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अपने आप कम हो जाता है।
डायबिटीज के शिकार लोगों को लो फैट, लो कैलोरी व स्किम्ड गाय के दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है। उनके लिए एक दिन में लगभग 2 से 3 कप दूध का का सेवन करना उचित है। इससे शरीर में कार्ब्स और कैलोरीज़ नियंत्रण में रहती है। वहीं कई अध्ययन दूध और टाइप 2 मधुमेह के बीच एक खास संबंध बताते हैं। दूध टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम में सहायक है। वहीं कुछ अन्य रिसर्च के मुताबिक डेयरी प्रोडक्टस के अत्यधिक सेवन को टाइप 2 मधुमेह के कम जोखिम से जोड़ा गया है।
एक्सपर्ट के मुताबिक नाश्ते में अनाज के साथ मिल्क प्रोटीन का सेवन पोस्ट.प्रांडियल ग्लाइसेमिक को कम करता है। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्टस में पाया जाने वाला प्रोटीन ग्लूकोज़ रेगूलेशन में मदद करता है।
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ में दूध में मौजूद कार्ब्स ब्लड में पहुंचकर शूगर का रूप ले लेते हैं। ऐसे में दूध का अत्यधिक सेवन ब्लड शुगर में बढ़ोतरी करने लगता है।
दूध से तैयार दही और पनीर में ग्लाइसेमिक कार्बोहाइड्रेट काउंट होता है जो ब्लड में शुगर बढ़ने का कारण बन सकते हैं।