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मेटाबोलिक सिंड्रोम भी बन सकता है मेंटल डिसऑर्डर का कारण, जानिए क्या कह रहे हैं शोध

मेटाबोलिज्म एक्टिविटी स्लो होने का प्रभाव मेन्टल स्टेटस पर पड़ता है। जर्नल ऑफ़ अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन की स्टडी बताती है कि मेटाबोलिक सिंड्रोम होने पर तनाव, अवसाद और मेंटल हेल्थ से जुड़े अन्य मानसिक विकार हो सकते हैं।
Published On: 14 Apr 2024, 05:00 pm IST
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Middle age crisis aapko kaise prabhavit karte hain
कार्बोहाइड्रेट और लिपिड मेटाबोलिज्म सामान्य मेंटल डिसऑर्डर के विकास में शामिल हो सकते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

फिजिकल हेल्थ और मेंटल हेल्थ एक-दूसरे से जुड़े हैं। यदि हमारे पाचन तंत्र, सर्कुलेटरी सिस्टम में कुछ गड़बड़ी होती है, तो उसका सीधा असर हमारे मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। ठीक इसी तरह हमारी मेटाबोलिक एक्टिविटी का प्रभाव हमारी साइकोलॉजी पर पड़ता है। हालिया शोध बताते हैं कि मेटाबोलिक प्रोफ़ाइल सीधे तौर पर साइकिएट्रिक डिसऑर्डर  से जुड़े हैं। मेटाबोलिक सिंड्रोम स्थितियों का एक समूह है, जो एक साथ घटित होता है। क्या है शोध (metabolic syndrome and mental disorder)?

क्या कहता है शोध (research on metabolic syndrome and mental disorder connection)

जर्नल ऑफ़ अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन (JAMA) के अनुसार, 2 लाख से अधिक व्यक्तियों पर मेटाबोलिक प्रोफ़ाइल की स्टडी की गई। जनसंख्या-आधारित इस समूह अध्ययन के निष्कर्ष में मेटाबोलिक प्रक्रिया को अवसाद और तनाव से जुड़ा हुआ पाया गया। इसमें ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड्स का हाई लेवल और हाई डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन के लो लेवल पाए गए।  ये सभी  भविष्य में डिप्रेशन, एंग्जायटी और तनाव से संबंधित डिसऑर्डर के हाई रिस्क से जुड़े हुए पाए गए। इन निष्कर्षों से पता चलता है कि कार्बोहाइड्रेट और लिपिड मेटाबोलिज्म सामान्य मेंटल डिसऑर्डर के विकास में शामिल हो सकते हैं।

ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड्स का हाई लेवल बढ़ाता है मनोरोग (high level of glucose and triglycerides increase mental disorder)

शोधकर्ताओं ने पाया कि 21 वर्षों के फॉलो अप के दौरान 16,256 व्यक्तियों में अवसाद, एंग्जायटी या स्ट्रेस से संबंधित डिसऑर्डर का निदान किया गया। ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड्स का हाई लेवल सभी मनोरोग विकारों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। मुख्य रूप से स्वीडन के स्टॉकहोम क्षेत्र में फैले स्वीडिश एपोलिपोप्रोटीन-संबंधित डेथ रिस्क समूह (।में 1985 से 1996 तक स्टडी की गई थी। इसमें 49% पुरुष, और 51% महिलाएं शामिल थीं, जो नियमित हेल्थ चेकअप से गुजरी थीं। पार्टिसिपेंट की औसत आयु 42 थी।

कैसे मेटाबोलिज्म मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है (metabolism affect mental health)?

शोध से पता चलता है कि इंसुलिन रेसिस्टेंस जैसे मेटाबोलिक डिसऑर्डर विकसित होने से अवसाद का खतरा दोगुना हो सकता है। भले ही व्यक्ति के पास मेंटल डिजीज का कोई पूर्व इतिहास न रहा हो। सबूत बताते हैं कि मेटाबोलिक डिसऑर्डर के कारण सिज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर और डिप्रेशन जैसे प्रमुख मानसिक विकार हो सकते हैं।

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इंसुलिन रेसिस्टेंस जैसे मेटाबोलिक डिसऑर्डर विकसित होने से अवसाद का खतरा दोगुना हो सकता है।  चित्र : शटरस्टॉक

मेंटल डिसऑर्डर के कारण मेटाबोलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome and mental disorder)

मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ितों में वजन बढ़ना, मोटापा, हाइपरलिपिडिमिया, हाइपरग्लाइकेमिया और इंसुलिन रेसिस्टेंस सहित मेटाबोलिक सिंड्रोम विकसित होने का खतरा अधिक होता है। गंभीर मानसिक बीमारी, अनहेल्दी लाइफस्टाइल और एंटीसाइकोटिक दवाओं का उपयोग। ये सभी मेटाबॉलिक सिंड्रोम के खतरे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मेटाबोलिक सिंड्रोम और डिप्रेशन में है कनेक्शन (metabolic syndrome and depression connection)

अक्सर मेटाबोलिक सिंड्रोम और अवसाद दोनों की जड़ में एकसमान चीजें मौजूद हो सकती हैं। इनमें तनाव, सूजन और हार्मोन असंतुलन भी शामिल हैं। मेटाबोलिक सिंड्रोम और अवसाद के बीच का संबंध दोनों तरह से हो सकता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम स्थितियों का एक समूह है, जो एक साथ घटित होता है। इससे हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण ब्लडप्रेशर में वृद्धि, हाई ब्लड शुगर, कमर के आसपास शरीर की एक्स्ट्रा फैट और असामान्य कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड लेवल शामिल हैं।

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मेटाबोलिक सिंड्रोम और अवसाद दोनों की जड़ में एकसमान चीजें मौजूद हो सकती हैं। चित्र:शटरस्टॉक

ब्रेन की मेटाबोलिक एक्टिविटी बाधित (disrupted Brain metabolic activity)

डिप्रेशन के लक्षण इस बात का संकेत दे सकते हैं कि हमारे ब्रेन की मेटाबोलिक एक्टिविटी बाधित हो गई हैं। थकान फील करना, लो एनर्जी फील करना, भूख में बदलाव, गतिविधियों में रुचि की कमी सिर्फ अवसाद के मनोवैज्ञानिक मार्कर नहीं हैं। वे इंटरनल मेटाबोलिज्म चेंज के संकेत भी दे सकते हैं। बढ़ी हुई लैक्टेट, ग्लूटामेट, सैकरोपिन और सिस्टीन हॉर्मोन घट जाते हैं। ये रिडक्टिव स्ट्रेस होने का प्रमाण देते हैं। शोध में पाई गई 75 प्रतिशत मेटाबोलिज्म संबंधी असामान्यताएं व्यक्तिगत थीं। यानी व्यक्ति के खुद के मेंटल स्टेटस से प्रभावित था। फ्लेविन एडेनिन डाइन्यूक्लियोटाइड, सिट्रुललाइन, ल्यूटिन, कार्निटाइन या फोलेट में व्यक्तिगत रूप से कमी पाई गईं।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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