पीरियड्स के दौरान और भी ज्यादा परेशान कर सकते हैं पीटीएसडी के लक्षण, जानिए क्यों

अगर आप किसी ट्रॉमा से गुजर चुकीं हैं, तो आपके पीरियड्स इनको प्रभावित कर सकते हैं। विशेषज्ञों द्वारा जानिए कि यह कैसे संभव है!
पीरियड्स मूड स्विंग्स अगर आत्महत्या के खयाल के साथ आए तो हो सकता है आपको भी हो पीएमडीडी । चित्र:शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Published: 3 Nov 2021, 19:30 pm IST
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पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (PTSD) आपको कई तरह से परेशान कर सकता है। चिंता (stress), पैनिक अटैक (panic attack), अवसाद (depression), एंग्ज़ाइटी (anxiety), आदि इससे जुड़ी कुछ आम स्वास्थ्य समस्याएं हैं। यह एक बहुत जटिल स्थिति है जहां आप किसी भी चीज या घटना से प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन क्या आपके पीरियड्स भी इनमें शामिल है? जी हां, आइए जानते हैं कि विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं। 

क्या होता है पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (PTSD)?

जीवन की कोई ऐसी घटना जो आपको झकझोर कर रख दे, पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (PTSD) का कारण बनती है। यह एक मानसिक विकार है, जो उन लोगों में हो सकता है जिन्होंने प्राकृतिक आपदा, गंभीर दुर्घटना, आतंकवादी हमला, युद्ध या लड़ाई, या बलात्कार जैसी दर्दनाक घटना का अनुभव किया है। 

ऐसा भी देखा गया है कि  जिन्हें मौत की धमकी दी गई है या यौन हिंसा और गंभीर चोट के शिकार हुए हैं, उन्हें भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इस मानसिक विकार की कोई निश्चित उम्र या स्थिति नहीं होती। PTSD किसी भी जाति, जगह या संस्कृति के सभी लोगों को किसी भी उम्र में हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को PTSD होने की संभावना दोगुनी होती है। 

मासिक धर्म के दौरान पीटीएसडी के लक्षणों में वृद्धि हो सकती है. चित्र : शटरस्टॉक

विशेषज्ञ कहते हैं कि आपके पीरियड्स PTSD को प्रभावित करता है

आपके मासिक धर्म चक्र के अनुसार पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर के लक्षण अधिक या कम तीव्र हो सकते हैं। यह उन महिलाओं के लिए चुनौतियां पेश करते हैं, जिन्होंने PTSD का अनुभव किया है। और डॉक्टरों ने उनका निदान किया है। यदि उनकी स्थिति मानसिक विकार, या PTSD के बाद की है, तो उन्हे अधिक परेशानी हो सकती है। 

जानिए क्या कहता है अध्ययन 

40 महिलाओं पर एक अध्ययन किया गया, जो PTSD के बाद सामान्य मासिक धर्म का अनुभव कर रहीं थीं। इसमें  पता चला कि लोगों को चक्र के पहले कुछ दिनों के दौरान अधिक लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जब एस्ट्राडियोल (estradiol) हॉर्मोन कम होता है। ओव्यूलेशन (ovulation) के करीब कम लक्षण होते हैं, क्योंकि तब एस्ट्राडियोल (estradiol) अधिक होता है।

थॉमस जेफरसन विश्वविद्यालय, फिलाडेल्फिया के मनोवैज्ञानिक जेना राइडर कहती हैं, “जब आप पीरियड्स के दौरान महिलाओं का PTSD के लिए आकलन करते हैं, तो वास्तव में नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। खासकर उन लोगों के लिए जो PTSD की बॉर्डर लाइन पर हैं।”

स्ट्रेस और पिरियड्स का संबंध है। चित्र: शटरस्टॉक

सेक्स हॉर्मोन के कारण माहवारी में होने वाले मूड स्विंग को PTSD के लक्षणों से भ्रमित किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि सेक्स हार्मोन में उतार-चढ़ाव, अर्थात् एस्ट्राडियोल महिलाओं में आघात से संबंधित तनाव और PTSD विकसित करने की संवेदनशीलता में योगदान कर सकता है।

यह जानना भी है जरूरी 

PTSD से पीड़ित लोगों में मूड और लक्षणों के साथ मासिक धर्म चक्र में उतार-चढ़ाव अधिक स्पष्ट हो सकता है। लेकिन यह भी संभव है कि PTSD वाली महिलाएं पूरे चक्र में लगातार लक्षणों का अनुभव करती हैं। पीरियड्स के कारण लक्षणों में कोई कमी नहीं होती।

तो लेडीज, आपके पीरियड्स इस मानसिक विकार (PTSD) को प्रभावित कर सकते हैं!

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अदिति तिवारी

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