सर्दियों में तापमान के गिरने से त्वचा संबंधी समस्याएं बेहद आम हो जाती हैं। इस स्थिति में त्वचा से मॉइश्चर छिन जाता है, त्वचा ड्राई और डल नजर आती है। वहीं इस दौरान स्किन इन्फेक्शन का खतरा भी अधिक होता है। तापमान के गिरने से इम्यूनिटी पर भी प्रभाव पड़ता है और एक कमजोर इम्यूनिटी त्वचा संबंधी समस्याओं (low immunity effect on skin) को बढ़ावा देती है। आखिर ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे क्या कारण है? आज हम जानेंगे किस प्रकार बढ़ते तापमान के साथ इम्यूनिटी के कमजोर होने से स्किन इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पिंपरी पुणे के डर्मेटोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर आयुष गुप्ता से बात की। डॉक्टर ने टेंपरेचर के गिरते स्तर और लो इम्यूनिटी से होने वाले स्किन कंडीशंस से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी दी है। तो चलिए जानते हैं, इस विषय पर अधिक विस्तार से (winter effect on skin)।
डॉक्टर कहते हैं कि “जैसे-जैसे तापमान गिरता है, कमजोर इम्युनिटी और जेनेटिक प्रीडिस्पोजिशन वाले लोगों में इन्फ्लेमेशन, इंफेक्शन और स्किन डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। तापमान घटने के साथ त्वचा की नमी धारण करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे त्वचा की सुरक्षात्मक बाधा कम हो जाती है और मरीज़ संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।”
“यह उन लोगों को विशेष रूप से प्रभावित करता है जिन्हें पहले से ही एटोपिक डर्मेटाइटिस, एक्जिमा या सोरायसिस है, जो सर्दियों में और ज्यादा गंभीर हो जाते हैं। हवा में हल्की ठंडक के साथ, श्वसन संक्रमण में वृद्धि होती है ,जो त्वचा पर चकत्ते के रूप में प्रकट हो सकते हैं।”
ठंडा मौसम इम्यून रिस्पॉन्स को कम कर देता है, जिससे कि शरीर के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। ठंडे वातावरण में वायरस अधिक प्रभावी रूप से गो करते हैं और इस वातावरण में वह लंबे समय तक सरवाइव कर पाते हैं। जिसकी वजह से वायरस और जर्म शरीर को आसानी से इनफेक्टेड कर सकते हैं।
एक स्वस्थ एवं मजबूत इम्यूनिटी समग्र शरीर को संक्रमण फैलने वाले बैक्टीरिया एवं वायरस से प्रोटेक्ट करती है। जब आपकी इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है, तो आपका शरीर इन संक्रमण से नहीं लड़ पता और जल्दी प्रभावित हो जाता है। ऐसे में त्वचा संबंधित संक्रमण के साथ ही गट हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गट हेल्थ और स्किन दोनों एक दूसरे से जुड़े होते हैं। खासकर यदि कोई व्यक्ति एक्जिमा और सोरायसिस जैसी समस्या से ग्रसित है, तो उनमें कमजोर इम्यूनिटी के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
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क्या आपने कभी यह नोटिस किया है, कि सर्दी खांसी और फ्लू की स्थिति में आपकी त्वचा भी डल और बेजान होने लगती है। इसका एक कारण है कमजोर इम्यूनिटी। जब इम्यूनिटी पूरी तरह से रिस्पांस नहीं कर पाती है, तो संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु शरीर पर हावी हो जाते हैं और इस स्थिति में स्किन ब्रेकआउट का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में आमतौर पर स्किन एक्ने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
इम्युनिटी केवल आपकी त्वचा को वायरस और इंफेक्शन से प्रोटेक्शन नहीं देती, बल्कि यह आपके हीलिंग पॉवर को भी बूस्ट कर देती है। जिससे की त्वचा पर लगे चोट और घाव जल्दी भर जाते हैं। यदि आपकी इम्यूनिटी कमजोर है, तो त्वचा के छोटे से छोटे घाव को भरने में अधिक समय लगता है।
इम्यून सेल्स घाव को भरते हैं और इन पर इंफेक्शन होने से रोकते हैं। साथ ही साथ नए सेल्स के ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं जिससे कि घाव भर जाता है और नई त्वचा उभर आती है। परंतु यदि यह काम नहीं करते हैं, तो हीलिंग पॉवर तो कम होती ही है, साथ ही साथ इन्फ्लेमेशन और इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। जो आपके घाव को अधिक गंभीर कर सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंडॉक्टर के अनुसार “तापमान के गिरने पर मॉइश्चराइजेशन त्वचा संबंधी कई विकारों को फैलने से रोकने का एक आसान तरीका है। अन्य सरल कदमों में आपको गर्म पानी से लंबे समय तक स्नान से बचना चाहिए, 15 मिनट हॉट शॉवर काफी है। संतुलित आहार, चेहरे पर मॉइश्चराइजिंग मास्क पहनना और हाथ धोना जैसी बुनियादी स्वच्छता दिनचर्या का अभ्यास करना कई बीमारियों को दूर रख सकता है।”
“गंभीरता बढ़ने पर अपने त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श केरना एक सबसे उचित उपाय है। क्योंकि बहुत से लोग इसमें देर कर देते हैं, जिसकी वजह से समस्या इतनी बढ़ जाती है कि उसे डॉक्टर द्वारा ट्रीट करने में भी समय लगता है। इसलिए परेशानी को अवॉयड करने के लिए समय रहते इलाज जरूरी है।”
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