‘मुझे बीते कई रोज से न तो खाना अच्छा लग रहा है, न ही नींद आ रही है। ऐसे में समझ नहीं आ रहा है कि क्या करना चाहिए।‘ यदि आपके मन में भी ऐसा ही सवाल चल रहा है, तो यह हॉर्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है। ज्यादातर शारीरिक समस्याओं के लिए हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalance) अहम कारण माना गया है। चलिए एक्सपर्ट की मदद से जानते हैं हॉर्मोनल बदलाव क्या है, इसके लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं और कैसे बैठाया जा सकता है इनमें संतुलन। इन सभी सवालों को लेकर हम पहुंचे आहार एवं पोषण विशेषज्ञ अनुज दहिया के पास। आइए जानते हैं क्या है हार्मोन की सेहत में भूमिका।
2001 में पबमेड सेंट्रल में प्रकाशित एक शोध में के थायर, एफब्रुकर डेविस और टी कॉलबोर्न ने बताया कि हॉर्मोनल बदलाव के कारण बॉडी में पेरिपुबर्टी में एस्ट्रोजन के बढ़ते स्तर, मासिक धर्म में बदलाव, दिल की समस्या होने का खतरा रहता है। शरीर में किसी अंग में समस्या होना ही हॉर्मोनल बदलाव का संकेत है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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अनुज बताते हैं हार्मोन का बैलेंस रहना हमारी हेल्दी बॉडी के जरूरी है। हॉर्मोन्स में थोड़ा सा भी असंतुलन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इससे चयापचय, नींद, विकास, पाचन, मनोदशा में बदलाव के साथ ही कई और स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
शरीर में पैनक्रियाज इंसुलिन बनाता है, जो सेल्स के लिए संदेशवाहक या कुंजी के रूप में काम करता है। इंसुलिन की मदद से बॉडी में ग्लूकोज और शुगर पहुंचती है। जो शरीर को भरपूर एनर्जी प्रदान करती है। जब बॉडी में सेल्स की जरूरत से कम इंसुलिन पैदा होता है, तो हॉर्मोन का बैलेंस बिगड़ने लगता है। कुछ मामलों में यह समस्या मधुमेह की समस्या बन सकती है। शरीर में बीमारी या किसी प्रकार की शारीरिक समस्या से बचाव के लिए हॉर्मोन का संतुलित रहना जरूरी है।
हॉर्मोन का असंतुलन से शरीर में कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। जिससे शरीर को चलने, फिरने, उठने और बैठने में कठिनाई होती है। असंतुलन होने के जोखिम में चिड़चिड़ापन, सूजन, बालों का झड़ना, थकान, घबराहट, मूड स्विंग, मेडिटेशन करने में कठिनाई, ब्लड शुगर बढ़ना, इनफर्टीलिटी और अकेला महसूस होना भी शामिल हैं। यदि इनमें से किसी प्रकार की समस्या का अनुभव आप कर रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। हॉर्मोनल बदलाव शरीर में गंभीर बीमारी को भी जन्म दे सकते हैं।
शरीर में किसी भी तरह की समस्या से हॉर्मोनल बदलाव जुड़ा हो सकता है। महिलाओं में यह अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकता है। अनियमित मासिक धर्म के लिए पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और एमेनोरिया भी शामिल हो सकते हैं। इन सभी के लिए हार्मोनल असंतुलन जिम्मेदार हो सकता है। वहीं कई बार यह गंभीर होकर इनफर्टिलिटी का भी कारण बन सकता है। जबकि पुरूषों में हार्मोन्स का असंतुलन टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट का कारण बन सकता है।
प्रोटीन हमारे बॉडी में ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल रखता है। प्रोटीन का स्तर शरीर में संतुलित रहने से कमजोरी का एहसास नहीं होता है। इसे पूरा करने लिए आप हरी सब्जियों के साथ मीट का भी उपयोग कर सकते है।
फ्लैक्ससीड्स लिग्नन्स का सबसे अच्छा श्रोत अलसी होता है। एक प्रकार का फाइटोएस्ट्रोजन जो एस्ट्रोजन को बढ़ाता है,जिससे शरीर में एस्ट्रोजन की लेवल संतुलित रहता है। इसे बढ़ाने के लिए अलसी को स्मूदी, सूप के रूप में सेवन करना शुरू करें।
आप अपने भोजन के साथ ब्राउन राइस, चने, केला, खजूर इनका सेवन कर सकते हैं। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है। साथ ही विटामिन की कमी भी दूर करते हैं साबुत अनाज।
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