Hormonal effects on Epilepsy : प्यूबर्टी और प्रेगनेंसी के समय बढ़ सकती है मिर्गी की समस्या, जानिए कैसे करना है कंट्रोल

न्यूरोलॉजिकल समस्या के कारण कुछ लोगों को मिर्गी के दौरे का सामना करना पड़ता है। यह समस्या महिलाओं में उस समय और अधिक बढ़ सकती है जब वे हाॅर्मोन में उतार-चढ़ाव से गुजर रही होती हैं।
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किसी भी तरह का हॉर्मोनल बदलाव एपिलेप्सी को ट्रिगर कर सकता है। चित्र : अडोबीस्टॉक
Dr Sakshi Goel Updated: 10 Feb 2024, 16:26 pm IST
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मिर्गी का दौरा पड़ना एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिससे दुनिया में लाखों लोग प्रभावित हैं। इसमें व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ते हैं, जिस कारण मस्तिष्क में कई परेशानियां पैदा होती हैं। इनमें से कुछ मिर्गी के मुश्किल उपचार और महिलाओं में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों में योगदान देती हैं। यह स्थिति रिसर्च के मुख्य क्षेत्रों में से एक है। मस्तिष्क की मुश्किल कार्यप्रणाली और हार्मोन (Hormonal effects on Epilepsy) के उतार-चढ़ाव का संयोजन एक नए स्तर को जोड़ता है, जो दौरे की स्थिति को प्रभावित करती है, जिसके लिए अच्छी रणनीतियां आवश्यक है।

हर तरह का हॉर्मोनल बदलाव करता है मिर्गी के दौरे को प्रभावित (Hormonal effects on Epilepsy)

1 प्यूबर्टी और मिर्गी के दौरे

कुछ महिलाओं में खासकर किशोरावस्था में मासिक धर्म के दौरान या ओव्यूलेशन के समय उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है। महिला प्रजनन हार्मोन्स जैसे एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन, ब्रेन सेल्स के साथ संवाद करके मासिक धर्म को प्रभावित करते हैं। जब शरीर अधिक एस्ट्रोजन बनाता है, तब ब्रेन सेल्स सक्रिय हो जाते हैं। जिससे कुछ महिलाओं में दौरे का खतरा बढ़ता है।

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प्यूबर्टी के साथ ही मिर्गी के दौरे में बदलाव हो सकता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

मासिक धर्म चक्र असंतुलनता का एक मुख्य कारण है। इसके विभिन्न पड़ाव में होने वाले हार्मोनल उतार चढ़ाव, मिर्गी के दौरे के खतरे को बढ़ा देते हैं। मासिक धर्म से पहले के चरण में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन की कमी होने से दौरे का खतरा बढ़ता है। इसलिए, मासिक धर्म चक्र के दौरान हार्मोनल थेरेपी या एंटीपीलेप्टिक दवाओं को समायोजित करके दौरे के नियंत्रण में सुधार करने का सुझाव दिया है।

2 गर्भनिरोधक दवाएं और मिर्गी 

मिर्गी से त्रस्त महिलाएं जो मौखिक गर्भ निरोधकों का उपयोग करती हैं, उनको सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। कुछ मिर्गीरोधी दवाएं हार्मोनल गर्भ निरोधकों की प्रभावशीलता में हस्तक्षेप पैदा करती हैं जिससे गर्भनिरोधक प्रभाव कमजोर हो जाता है। विपरीत रूप से देखा जाये तो हार्मोनल गर्भनिरोधक कुछ एंटीपीलेप्टिक दवाओं के प्रभाव को प्रभावित करते हैं, जिससे उनके रक्त स्तर और उपचार प्रभावित होता है।

3 जरूरी है प्रेगनेंसी में तनाव कंट्रोल करना 

गर्भावस्था के दौरान मिर्गी और हार्मोनल परिवर्तनों के बीच एक गहरा संबंध है। इस दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव बच्चों की विकासशीलता को प्रभावित करते हैं, जिससे कुछ महिलाओं को कम तनाव का और कुछ को अधिक तनाव होता है। सही संतुलन होना आवश्यक है ताकि दौरे पर नियंत्रण और विकासशील भ्रूण के लिए जोखिम को कम किया जा सके।

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हॉर्मोनल थेरेपी मिर्गी के दौरों को कंट्रोल कर सकती है। चित्र : अडोबीस्टॉक

4 हार्मोनल थेरेपी और मिर्गी नियंत्रण

कुछ मामलों में हार्मोन थेरेपी को महिलाओं में मिर्गी के इलाज के लिए एक सामान्य नजरिये का हिस्सा माना जाता है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के अध्ययन से यह जाना जाता है कि यह दौरे को नियंत्रित करने में मदद करता है। हार्मोनल थेरेपी को शामिल करने का निर्णय संभावित लाभ, जोखिम और महिलाओं के सामान्य स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत रूप से करना चाहिए।

ध्यान रहे

महिलाओं में मिर्गी और हार्मोनल परिवर्तनों के बीच गहरा संबंध है, जो व्यक्तिगत और व्यापक उपचार की आवश्यकता को प्रकट करता है। गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव और मिर्गी की संवेदनशीलता के होने वाले प्रभाव को समझने की जरूरत है। यह परिवर्तन मुश्किल से होता है लेकिन सही समर्थन और व्यक्तिगत प्रबंधन रणनीतियों के साथ इसे सही तरीके से नियंत्रित करते है।

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लेखक के बारे में

Dr Sakshi Goel is Obstetrics And Gynecologist, Madhukar Rainbow Children's Hospital, Delhi ...और पढ़ें

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