ब्रेस्ट कैंसर दुनिया भर में महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले कैंसर रोगों में से है। इसका शुरुआती स्टेज में निदान करना इस रोग के मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है, जिससे न सिर्फ महत्वपूर्ण जीवन बचाया जा सकता है, बल्कि परिणामों में भी सुधार होता है। खासतौर से अगर आपके परिवार में पहले से ही स्तन कैंसर का इतिहास रहा है, तो आपको जीन टेस्ट या जेनेटिक टेस्टिंग जरूर करवानी चाहिए। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में मेडिकल जेनेटिसिस्ट डॉ ऋचा सोनी बता रही हैं इस बारे में सब कुछ।
जेनेटिक टेस्टिंग ब्रेस्ट कैंसर से बचाव में एक ताकतवर टूल है, जो खासतौर से BRCA1 तथा BRCA2 जीन्स में म्युटेशंस का पता लगाने में मददगार साबित होता है। ये जीन्स जब सही तरीके से काम करती हैं, तो डीएनए की रिपेयरिंग में महत्वपूर्ण रोल अदा करती हैं और सैलुलर हेल्थ को भी मेंटेन रखती हैं। लेकिन इन जीन्स में म्युटेशन होने पर ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। यही वजह है कि जेनेटिक टेस्टिंग इस रोग के शुरुआती डायग्नॉसिस तथा इंटरवेंशन में महत्वपूर्ण रिसोर्स है।
BRCA1 तथा BRCA2 जीन्स ऐसे प्रोटीन का निर्माण करती हैं, जो क्षतिग्रस्त डीएनए को रिपेयर करता है। ये कोशिकाओं के जेनेटिक मैटिरियल की स्थिरता बनाए रखने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। जब इनमें से कोई भी जीन्स म्युटेट होता है, तो क्षतिग्रस्त डीएनए सही ढंग से रिपेयर नहीं हो पाता, और इस वजह से कैंसर का रिस्क बढ़ता है।
किसी भी महिला की BRCA1 या BRCA2 जीन्स में म्युटेशन होने पर उन्हें अपने जीवनकाल में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा 45-65% हो जाता है। जबकि सामान्य आबादी में यह रिस्क करीब 12% होता है। इतना ही नहीं, इन म्युटेशन्स की वजह से ओवेरियन कैंसर समेत अन्य कैंसर का रिस्क भी बढ़ता है।
BRCA1 तथा BRCA2 म्युटेशंस की जेनेटिक टेस्टिंग के लिए रक्त या लार (Blood or saliva) के सैंपल की जांच कर इन जीन्स में होने वाले किसी भी बदलाव की पहचान की जाती है। ये टेस्ट बेशक, आसान होते हैं लेकिन इनके परिणाम काफी गंभीर भी हो सकते हैं। लेकिन पॉजिटिव टेस्ट रिजल्ट का मतलब यह नहीं होता कि कैंसर निश्चित रूप से होगा, बल्कि यह अधिक रिस्क का संकेत होता है, और लोगों को एक्टिव उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
डॉ ऋचा सोनी अपनी एक 42 वर्षीय क्लाइंट का उदाहरण देती हैं, “नंदिनी ने रूटीन मैमोग्राफी में असामान्यता का पता चलने के बाद जेनेटिक टेस्टिंग करायी। उनके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री भी रही है। इसलिए नंदिनी अपने संभावित रिस्क को लेकर पहले से ही सतर्क थीं। अपनी हेल्थ पर सही ढंग से नियंत्रण रखने के लिए उन्होंने टेस्ट करवाने का फैसला किया।
इस टेस्ट रिजल्ट में BRCA1 म्युटेशन की पुष्टि हुई, जिसके नतीजे काफी हिला देने वाले थे, लेकिन साथ ही, उनकी आगे की राह भी स्पष्ट हुई। टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने अपनी बार-बार स्क्रीनिंग करवाने और रिस्क कम करने के लिए बचाव के उपायों पर विचार किया।”
ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगने पर इलाज को अधिक कारगर बनाया जा सकता है। BRCA1 या BRCA2 म्युटेशंस होने पर, सामान्य से कहीं कम उम्र से ही रैगुलर मैमोग्राम तथा एमआरआई करवाने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार मॉनीटरिंग करने से एब्नॉर्मेलिटीज़ का शुरुआती चरण में पता लगाने, और इलाज को काफी हद तक सफल बनाने के अवसरों में भी सुधार होता है।
डॉ ऋचा कहती हैं, “नंदिनी के मामले में, उनके प्रोएक्टिव दृष्टिकोण का एक और फायदा यह हुआ कि उनके परिवार के अन्य सदस्य भी प्रेरित हुए। उन्होंने अपनी बहन महिमा तथा वयस्क बेटियों को भी जेनेटिक टेस्टिंग करवाने की सलाह दी। बेशक, महिमा का नेगेटिव रिजल्ट राहत देने वाला था, लेकिन उनके परिवार की चिंता उस वक्त बढ़ गई जब नंदिनी की 22 साल की बेटी रिया में BRCA1 म्युटेशन पॉजिटिव पाया गया। अपनी आशंका और अनिश्चितता के बावजूद, रिया ने इस जानकारी के मद्देनज़र, अपनी हेल्थ को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए बचाव के उपायों का अधिक सख्ती के साथ पालन किया।”
इस बारे में डॉ सोनी कहती हैं, “यह ध्यान रखना होगा कि ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह अधिक सतर्क तरीके से मॉनीटरिंग और शुरुआती स्टेज में ही इंटरवेंशन करने में मददगार होती है। जिससे उपचार के नतीजों में सुधार होता है।
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कस्टमाइज़ करेंनंदिनी और उनकी बेटी रिया के मामले में, जेनेटिक टेस्टिंग ने उन्हें अपनी हेल्थ मैनेज करने के उपायों को सक्रियतापूर्वक लागू करने में मदद दी। रेग्युलर स्क्रीनिंग्स तथा बचाव के उपायों का पालन कर वे अपने रिस्क कम कर सकते हैं और स्थतियों को बिगड़ने से भी बचाव कर सकते हैं। इस तरह, कोई भी व्यक्ति अपने जेनेटिक रिस्क का पता लगाकर आवश्यकतानुसार कार्रवाई कर सकता है।
जेनेटिक टेस्टिंग से परिवारों के स्तर पर साझा जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है और आपस में सहयोग भी बढ़ता है। नंदिनी का उदाहरण इस बात का सबूत है कि जानकारी और मिल-जुलकर साहस की भावना से हालात बदले जा सकते हैं। नंदिनी और उनके परिजनों ने अपनी आशंकाओं से सीधे टक्कर ली, नतीजों के अनुसार अपनी हेल्थ पर नियंत्रण अपने हाथों में लिया और मिल-जुलकर भविष्य से मुकाबला करने के लिए आपस में एक-दूसरे को सशक्त बनाया।
BRCA1 या BRCA2 म्युटेशंस के लिए जेनेटिक टेस्टिंग, ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगाने में काफी महत्वपूर्ण होती है। बेशक, पॉजिटिक नतीजे काफी भयावह होते हैं और चुनौतीपूर्ण लग सकते हैं, लेकिन ये आपको समय रहते जरूरी कदम उठाने के लिए प्रेरित करते हैं।
निगरानी और बचाव की रणनीतियों का अधिक सक्रियता के साथ पालन करने से, कैंसर का रिस्क काफी हद तक कम किया जा सकता है। नंदिनी के उदाहरण से टेस्टिंग का महत्व स्पष्ट है और इससे यह भी प्रदर्शित होता है कि किस तहर से डर या आशंकाओं को सशक्तिकरण में और अनश्चितता को एक्शन में बदला जा सकता है।
जैसे-जैसे हम जेनेटिक रिसर्च तथा टेस्टिंग क्षमताओं के लिहाज से एडवांस बन रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा परिवारों को शुरुआती स्टेज में डायग्नॉसिस का फायदा मिल रहा है, जिससे जीवनरक्षा करने और हेल्थ को लेकर अधिक एक्टिव बनने में भी मदद मिलती है।
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