कई जटिल रिसर्च और लगातार खोज के बावजूद कैंसर सर्वाइवल का प्रतिशत अभी भी कम बना हुआ है। हाल में कैंसर के शत-प्रतिशत इलाज के बारे में एक खबर आई। भारत की CAR-T सेल थेरेपी कैंसर को पूरी तरह ठीक करने का दावा करती है। हालांकि रिसर्चर और डॉक्टर की कोशिशों के बावजूद यह चिकित्सा बहुत अधिक महंगी बताई जा रही है। इसके बावजूद सीएआर-टी सेल थेरेपी (CAR-T cell therapy for cancer) को कैंसर के उपचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता बताया जा रहा है।
अक्टूबर 2023 में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US Food and Drug Administration) के समकक्ष भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization) ने भारत की पहली अनुमोदित CAR-T सेल थेरेपी NexCAR19 बनाई। यह मंजूरी उन्नत लिंफोमा या ल्यूकेमिया से पीड़ित 64 लोगों पर भारत में किए गए दो क्लीनिकल ट्रायल के परिणामों पर आधारित थी।
भारत की सीएआर टी-सेल थेरेपी (CAR-T cell therapy for cancer) से एक मरीज ठीक हो चुका है। भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (India’s Central Drugs Standard Control Organization-CDSCO) ने भारत की पहली स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी NexCAR19 के व्यावसायिक उपयोग को मंजूरी दे दी है। CAR-T सेल थेरेपी उपचार कैंसर से लड़ने के लिए रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को आनुवंशिक रूप से पुन: प्रोग्राम करता है। NexCAR19 को Immuno ACT द्वारा विकसित किया गया है। इसे ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे बी-सेल कैंसर के इलाज के लिए डिज़ाइन किया गया है।
टी कोशिका एक प्रकार की प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिका है। सीएआर टी-सेल थेरेपी एक प्रकार का उपचार है, जिसमें रोगी की टी कोशिकाओं (immune system cell) को प्रयोगशाला में बदल दिया जाता है, ताकि वे कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर सकें। टी कोशिकाएं रोगी के ब्लड से ली जाती हैं।
12.4 महीने के मीडियन फॉलो के बाद, औसत प्रगति-मुक्त अस्तित्व (median progression-free survival) और ओएस क्रमशः 6 महीने -95% कॉन्फिडेंस इंटरवल ( confidence interval ) और 21.0 महीने (95% सीआई थे। इस थेरेपी के लिए सही उमीदवार होना भी जरूरी है।
लोगों में बी-सेल प्रीक्रसर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) होने वाले लोगों को सीएआर-टी सेल थेरेपी के लिए एफडीए ऐसे लोगों की मान्यता देता है ।
मरीज डॉ. वीके गुप्ता ने इसे केवल 42 लाख रुपये में प्राप्त किया, जिसकी कीमत उन्हें विदेश में 4 करोड़ रुपये देनी पड़ती। यह थेरेपी अब भारत के 10 से अधिक शहरों के 30 से अधिक अस्पतालों में उपलब्ध है। बी-सेल कैंसर से पीड़ित 15 वर्ष से अधिक आयु के मरीज इससे इलाज करवा सकते हैं। हालांकि सीएआर टी-सेल थेरेपी (CAR-T सेल थेरेपी) भारत में अभी भी महंगी और आसानी से उपलब्ध नहीं होने वाली नहीं है। 2015 में डॉ. अलका द्विवेदी और उनके सहयोगियों द्वारा NexCAR19 विकसित की गई थी।
डॉ. (कर्नल) वीके गुप्ता 64 वर्ष के हैं। वे दिल्ली के हैं और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट हैं। वे भारत के ऐसे पहले व्यक्ति बन गए, जो भारत की अपनी CAR-T सेल थेरेपी का उपयोग करके ठीक हो गए। उपचार के बाद उन्हें टाटा मेमोरियल अस्पताल में “कैंसर कोशिकाओं से मुक्त” घोषित किया गया है। पहले भी वे 2022 में असफल बोन मेरो ट्रांसप्लांट करा चुके थे।
ब्लड कैंसर के उपचार के लिए इसे मान्यता दी गई है। इसमें लिम्फोमा, ल्यूकेमिया के कुछ रूप और हाल ही में, मल्टीपल मायलोमा शामिल हैं। इसउपचार रोगियों को लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करते हैं।
कार टी-सेल थेरेपी के लिए विशेषज्ञों का अनुमान है कि सीएआर टी-सेल थेरेपी की लागत अरबों रूपये हो सकती है। सीएआर (टी-सेल थेरेपी) सबसे महंगी मेडिकेयर निदान-संबंधी दवा है।
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