चाय-काॅफी से लेकर मिठाई और आइसक्रीम तक आजकल आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के साथ पैक किए जा रहे हैं। इस गारंटी के साथ कि ये आपका वजन घटाने में मदद करेंगे। पर क्या वास्तव में ऐसा है? अगर आप भी बाजार के इस फंडे का आंखू मूंदकर भरोसा कर रहीं हैं, तो यह रिसर्च आप ही के लिए है। जानिए आपकी सेहत के साथ कैसे खिलवाड़ कर सकते हैं आर्टिफिशियल स्वीटनर्स।
आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग आजकल खूब बढ़ गया है। यह लो कैलोरी स्वीटनर के नाम से भी जाना जाता है। यह चीनी का एक मशहूर विकल्प है, लेकिन क्या इसका रोजाना इस्तेमाल करना सेहत के लिए फायदेमंद है?
इन स्वीटनर का ज्यादा इस्तेमाल करने से डायबिटिक लोगों का ब्लड ग्लूकोज़ लेवल बढ़ सकता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि आर्टिफ़िशियल स्वीटनर का ज़्यादा सेवन करने से ब्लैडर कैंसर, ह्रदय और किडनी से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
चीनी में मौजूद सूक्रोस के मुकाबले यह 300 से 13000 गुना ज़्यादा मीठा होता है। बाजार में कई आर्टिफ़िशियल स्वीटनर पाए जाते हैं जिनका कम्पोजिशन और उपयोग एक जैसा होता है।
चीनी की जगह पर इस्तेमाल किए जाने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर्स में कैलोरी नहीं होती। मगर ये आपकी भूख बढ़ा देते हैं। जिससे आपकी वेट लॉस जर्नी और भी मुश्किल हो सकती है। रिसर्च द्वारा यह प्रमाणित है कि चीनी हो या आर्टिफ़िशियल स्वीटनर, दोनों ब्रैन में कैलोरी इंटेक की क्रैविंग बढ़ा देते हैं।
जिससे आपका वजन तेजी से बढ़ने लगता है। आमतौर पर यह प्रवृति महिलाओं और मोटे लोगों में ज्यादा होती है। वजन को प्रभावित करने के साथ यह मधुमेह और स्ट्रोक के जोखिमों को बढ़ा सकते हैं।
लॉस एंजिल्स में दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एलेक्जेंड्रा युंकर ने जांच की है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर सुक्रालोज़ (sucralose) भूख और ब्रेन एक्टिविटी को कैसे प्रभावित करता है। साथ ही उन्होंने वेट लॉस पर इसके प्रभाव के बारे में शोध किया। इस रिसर्च के दौरान उन्होंने लोगों के लिंग और वजन में अंतर पर विशेष ध्यान दिया है।
युंकर के सहयोगी कैथलीन पेज कहते हैं, “कृत्रिम मिठास का उपयोग विवाद का मुद्दा है। बहुत से लोग वजन घटाने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि वे सहायक हो सकते हैं। जबकि अन्य बताते हैं कि वे वजन बढ़ाने, टाइप 2 मधुमेह और अन्य पाचन संबंधी विकारों का कारण हो सकते हैं।”
शोधकर्ताओं ने अलग-अलग वजन के 74 पुरुषों और महिलाओं को तीन बार लैब टेस्टिंग के लिए बुलाया। पहली बार उन्हे चीनी वाली मीठी ड्रिंक के 300 मिलीलीटर दिए गए। दूसरी बार आर्टिफिशियल शुगर (sucralose) वाली मीठी ड्रिंक और तीसरी बार पानी दिया गया था। अगले दो घंटों के बाद, शोधकर्ताओं ने उनका खून लेकर ग्लूकोज, इंसुलिन और अन्य डाईजेस्टिव हार्मोन के स्तर की जांच की।
इसके अलावा, उन्होंने लोगों को बर्गर और डोनट्स जैसे हाई कैलोरी खाद्य पदार्थों की फोटो दिखाईं। तकनीक का उपयोग करते हुए यह रिकॉर्ड किया गया कि भूख और क्रेविंग से जुड़े ब्रेन सेल्स कितनी तेजी से काम करते हैं।
शोध के अनुसार जब महिलाओं ने टेबल शुगर के बजाय सुक्रालोज़ वाली ड्रिंक का सेवन किया, तो भूख और क्रेविंग के प्रति उनके ब्रेन सेल्स बहुत एक्टिव थे। इसके विपरीत, पुरुषों में इसका उतना प्रभाव नहीं था। इसका यह अर्थ है कि महिलाओं का दिमाग मिठास के प्रति अधिक संवेदनशील होता है और वे हाई कैलोरी इंटेक को बढ़ावा देते हैं।
मीठा और लो कैलोरी होने के कारण यह चीनी का एक अच्छा विकल्प है। लेकिन इसके सेवन के बाद भूख को बढ़ावा मिलता है, जो आपके कैलोरी इंटेक को बढ़ाता है। यह पाचन तंत्र पर बुरा असर डालता है। जो आपके बढ़ते वजन का कारण बन सकता है।
आर्टिफिशियल स्वीटनर में मौजूद सामग्री आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकती है। अगर आप हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो इनका सेवन ना करना एक अच्छा विकल्प है।
इसे बनाते वक्त इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ सेक्रिन से आपको कैंसर का खतरा हो सकता है। स्वीटनर के उपयोग से आपकी भूख पर गंभीर असर पड़ता है, जो आपके हॉर्मोनल असंतुलन का कारण बनता है।
तो लेडीज, अगर आपको हेल्दी रहना है तो अपने मीठे की लालसा को पूरा करने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर या चीनी का सहारा न लें।
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