अपनी फिगर को लेकर अक्सर महिलाएं बेहद चिंतित रहती है और इसी के चलते वे अपने आप डाइट में फेस बदल करने लगती है। बिना किसी सलाह के अगर कोई व्यक्ति लंबे वक्त तक अनियमित डाइट लेता है, तो उसका असर उसके ओवरऑल स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। मांसपेशियों में ऐंठन से लेकर मेटाबॉलिज्म स्लो होने तक कई समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। आज की युवा पीढी जहां तेज़ी से स्लिम होने और ज़ीरो फिगर पाने के लिए जिम में वर्कआउट कर रही हैं, तो स्टारवेशन डाइट भी उनके रूटीन का हिस्सा बन रही है। जानते हैं स्टारवेशन डाइट क्या है और इससे शरीर को क्या नुकसान होता है (starvation diet side effects)।
इस बारे में डायटीशियन नुपूर पाटिल का कहना है कि मील स्किप करने से बार बार भूख लगने की समस्या का सामना करना पड़ता है। लगातार मील को स्किप करते रहने से शरीर में पोषण का स्तर घटने लगता है और एनर्जी लेवल में भी कमी आने लगती है। ऐसे में अधिकतर लोग अगली मील में ओवरइटिंग करने लगते हैं। इससे शरीर में अतिरिक्त कैलोरीज़ जमा होने का भय बना रहता है।
हेल्दी वेटगेन के लिए मील को स्किप करने की जगह लीन प्रोटीन, सब्जियां और साबुत अनाज को अपनी मील में शामिल करें। भोजन में पाई जाने वाली अनियमितताएं शरीर में शुगर का स्तर गिर जाता है। इसके अलावा चिड़चिड़ापन बढ़ता है व किसी भी कार्य में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होने लगती है। इसके चलते नींद का पैटर्न भी बाधित हो जाता है। खुद को हेल्दी बनाए रखने के लिए मील को स्किप करना उचित नहीं है।
शरीर में पूर्ण रूप से कैलोरी इनटेक न होने से कैलोरी की कमी बढ़ने लगती है। इसके चलते शरीर फैट्स को ऊर्जा का प्राइमरी सोर्स बना देता है। वहीं मसल्स टिशू सेकेण्डरी एनर्जी सोर्स माने जाते हैं। इसके चलते शरीर में रेस्टिंग मेटाबॉलिक रेट यानि आरएमआर घटने लगता है।
मील स्किप करने से शरीर को पौष्टिक आहार की प्राप्ति नहीं हो पाती है। शरीर में विटारमिन, मिनरल, कैल्शियम और प्रोटीन की कमी बढ़ने लगती है। इससे शरीर में दर्द, थकान व कमज़ोरी का सामना करना पड़ता है। साथ ही शरीर की कार्यक्षमता भी घटने लगती है।
एनआइएच के अनुसार स्टारवेशन से इटिंग डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है। इससे कुछ लोगों का खाने के प्रति रूझान बढ़ने लगता है, तो कुछ लोग खाने से दूर होने लगते हैं। लंबे समय तक स्टारवेशन करने से एनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलिमिया नर्वोसा या बिंज इंटिंग डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है। इससे मूड सि्ंवग और अकेलेपन की समस्या का सामना करना पड़ता है।
पोषक तत्वों की कमी बढ़ने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। साथ ही डीहाइड्रेशन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पोषण की कमी का असर त्वचा और बालों पर भी नज़र आने लगता है। स्टारवेशन बढ़ाने से ब्लोटिंग, अपच और पाचन संबधी समस्याएं शरीर को घेर लेती है। इसके अलावा हड्डियों की कमज़ोरी भी बढ़ने लगती है।
कैलोरी की कटौती करने के लिए आहार में किसी भी प्रकार से प्रोसेस्ड फूड का शामिल न करें। इससे शरीर में कैलोरीज़ के साथ शुगर और नमक की मात्रा बढ़ने लगती है। प्रोसेस्ड फूड को मौसमी फलों से रिप्लेस करें।
रोज़ाना सुबह उठकर कुछ देर एक्सरसाइज़ करें। इससे हड्डियों को मज़बूती मिलती है और मांसपेशियों में बढ़ने वाले खिंचाव से भी राहत मिल जाती है। शरीर में जमा होने वाले वसा की मात्रा कम हो जाती है। इससे शरीर कई बीमारियों के खतरे से बचा रहता है।
अपनी उम्र के हिसाब से डाइटीशियन की सलाह लेकर डाइटिंग करना आरंभ करें और ज़ीरो साइज़ फिगर की जगह हेल्दी वेट को मेंटेन करें। इससे शरीर में पोषण की भरपूर मात्रा बनी रहती है। साथ ही शरीर फुर्तीला और स्वस्थ बना रहता है।
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