बिना लॉकडाउन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के खुली हवा में सांस लेना क्या होता है, हम भूल चुके हैं। आज से 18 महीने पहले कोरोना वायरस महामारी ने भारत में दस्तक दी थी और तब से लेकर आज तक हमें हर दिन इंतजार है इसके खत्म होने का।
आखिर कब खत्म होगा कोविड – 19? यह वो सवाल है, जिसका जवाब पूरी दुनिया जानना चाहती है। दुनिया भर के एक्स्पर्ट्स की इस विषय पर अपनी-अपनी राय है। हो सकता है कि उनकी राय जानने के बाद आप निराश हो जाएं, मगर सच्चाई क्या है यह आपके लिए जानना बेहद ज़रूरी है।
मिनियापोलिस में मिनेसोटा विश्वविद्यालय (University of Minnesota in Minneapolis) में सेंटर ऑफ इंफेक्शियस डिजीज रिसर्च एंड पॉलिसी (Center of Infectious Disease Research and Policy) के निदेशक माइकल ओस्टरहोम ने चेतावनी दी है कि ”सर्दियों में कोरोनोवायरस बीमारी में “आसानी से” एक और उछाल आ सकता है।”
उनका कहना है कि सर्दियों के बाद हमें पतझड़ के मौसम में भी इसकी एक लहर देखने को मिल सकती है। जबकि उससे पहले कोविड-19 के मामलों में तेजी से गिरावट भी हम देख सकते हैं।
भले ही हर दिन लाखों लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है, मगर दुनिया भर में अरबों लोगों को अभी भी टीका लगाया जाना बाकी है। हमेशा ऐसे लोग होंगे जो वायरस की चपेट में आ सकते हैं। उदाहरण के लिए नवजात शिशु, वे लोग जो टीका नहीं लगवा सकते हैं, और जिन्होनें टीका लगवाया, परंतु उनकी इम्युनिटी अभी भी कम है! ये सभी कोविड-19 की चपेट में कभी भी आ सकते हैं और दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।
एक और सबसे बड़ा खतरा यह है कि कोविड – 19 वायरस खुद को किसी ऐसे वर्जन या वेरिएंट में म्यूटेट कर सकता है, जिस पर किसी भी वैक्सीन का कोई असर न हो। एक्स्पर्ट्स का कहना है कि यह अब और भी ज़्यादा मुमकिन है क्योंकि बच्चों के स्कूल खुल गए हैं, लोग ऑफिस जा रहे हैं और लॉकडाउन भी नहीं है।
यकीनन यह बात तो स्पष्ट है कि यह वायरस अगले कुछ महीनों में जाने वाला नहीं है। मगर विशेषज्ञों कि मानें तो 95% टीकाकरण और शरीर में मजबूत इम्यूनिटी से हम इसके जोखिम को कम कर सकते हैं।
ब्लूमबर्ग के वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, दुनिया भर में वैक्सीन की 5.66 बिलियन से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं। अफ्रीका के अधिकांश देशों ने केवल दो-खुराक के साथ अपनी आबादी के 5% से कम को कवर करने के लिए पर्याप्त टीका दिया है। भारत ने केवल लगभग 26% को कवर करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है।
यह भयानक संकट हमेशा हमारे साथ रहेगा, लेकिन हल्के रूप में। जिस क्षण हम कोविड को हरा पाएंगे, वह तब नहीं होगा जब हम इसे मानव आबादी से मिटा देंगे, बल्कि तब होगा जब हम टीकाकरण और प्राकृतिक प्रतिरक्षा के स्तर पर पहुंच जाएंगे। जहां हमारे पास इससे डरने का कोई कारण नहीं बचेगा।
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