स्तन कैंसर दुनिया का सबसे आम कैंसर हो गया है। ब्रेस्ट कैंसर के कारण होने वाली गांठ के बारे में जागरूकता जरूरी है। ब्रेस्ट में यदि किसी प्रकार का दर्द या गांठ दिखती है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। आमतौर पर स्तन में जब किसी प्रकार की गांठ दिखती है, तो उसे संदेह की नजर से देखा जाता है। इसे स्तन कैंसर का कारक मान लिया जाता है। हालांकि हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि सभी गांठ कैंसर कारक नहीं होते हैं। आइए जानते हैं ब्रेस्ट कैंसर की गांठों के बारे में!
स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे महीने में कम से कम एक बार अपने स्तनों की जांच कराएं। गांठ होने की स्थिति में प्रसूति रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
हर किसी को यह समझना चाहिए कि स्तन में यदि गांठ का पता चलता है, तो इसका मतलब हमेशा कैंसर नहीं होता है। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। लगभग 90 प्रतिशत ब्रैस्ट लम्प या गांठ जोखिम वाले नहीं होते हैं। यह फाइब्रोएडीनोमा या संक्रमण के कारण हो सकते हैं।
स्तन में महसूस होने वाली गांठ का किसी विशेषज्ञ से जांच कराना आवश्यक है। देखने के बाद डॉक्टर गांठ की कुछ विशेषताओं के आधार पर कैंसर और नॉन कैंसर वाली गांठ में बुनियादी अंतर बता सकते हैं।
सामान्य स्तन की तुलना में कैंसरयुक्त गांठें थोड़े समय में बहुत अधिक बढ़ सकती हैं। गांठ के कारण प्रभावित होने वाले स्तन के आकार में कई अनियमितताएं दिख सकती हैं। नॉन कैंसर वाली गांठ आमतौर पर बहुत धीमी गति से बढ़ने वाली होती है। इसके कारण स्तन के आकार में बहुत अधिक बदलाव नहीं होता है।
नॉन कैंसर वाली गांठ में, उसके ऊपर की त्वचा सामान्य होती है। कैंसरयुक्त गांठ के ऊपर की त्वचा में समय के साथ अल्सर, रंग परिवर्तन, ब्लड वेसल्स में वृद्धि या क्लासिक ऑरेंज कलर पील की उपस्थिति दिखाई देने लगती है।
नॉन कैंसर वाली गांठ के कारण संबंधित स्तन के निप्पल में कोई विशेष बदलाव नहीं दिखता है। अधिक से अधिक निप्पल पीछे की ओर खींचा हुआ दिख सकता है। दूसरी ओर कैंसर युक्त गांठ वाले स्तन में बहुत अधिक बदलाव दिखने लगते हैं।
आस-पास की संरचनाओं से अलग होती है गांठ। बिना कैंसर वाली गांठ को आप हिला-दुला सकती हैं।जबकि कैंसर वाली गांठ एक जगह पर अटकी दिखती है।
यह हार्ड संरचना होती है।
कैंसर और संक्रमण दोनों में बगल (एक्सिला) में एक अतिरिक्त गांठ की उपस्थिति दिख सकती है। लिम्फनोड्स बढ़े हो सकते हैं। इससे बगल (कांख) में गांठ बन जाती है। संक्रमण के कारण आम तौर पर इसमें दर्द हो सकता है। हालांकि स्तन कैंसर में ये आम तौर पर दर्द रहित होते हैं। डॉक्टरों के मूल्यांकन तक एक्सिलरी लिम्फनोड बढ़ने पर ध्यान भी नहीं जाता है ।
मैमोग्राम या सोनो-मैमोग्राम का उपयोग करके इसकी जांच की जानी चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो निदान की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी और उसी के आधार पर आगे का उपचार शुरू किया जाता है।
नॉन कैंसर वाली गांठ का इलाज कारण और आकार के आधार पर किया जाता है। संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं और दूसरे उपचारों के साथ किया जाता है। आकार में छोटे नॉन कैंसर वाली गांठ की जांच के अनुसार इलाज किया जाता है। हालांकि दुबारा गांठ होने पर यह जोखिम कारक हो सकता है।
ऑन्कोलॉजिकल सलाह के आधार पर विशेषज्ञ द्वारा कैंसर मास को देखा और संचालित किया जाना चाहिए। इसके बाद कीमो-रेडियेशन के लिए योजना बनाई जाती है।
स्तन कैंसर जागरूकता के इस महीने में स्तन की जांच कराने के लिए महिलाओं को जागरूक करना चाहिए।
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