Death Cap Mushroom : जानिए इस जहरीली मशरूम के बारे में जिसने कई लोगों की जान ले ली

मशरूम प्रोटीन और विटामिन डी का सबसे अच्छा वीगन स्रोत है। पर बरसात के मौसम में ज्यादातर लोग इसे खाना छोड़ देते हैं। इसकी वजह है इसका टॉक्सिन्स के संपर्क में आना। इन दिनों डेथ कैप मशरूम चर्चा का विषय बनी हुई है, जो किसी की जान भी ले सकती है।
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डेथ कैप मशरूम का एमाटॉक्सिन आरएनए पोलीमरेज़ एंजाइम को रोक देता है। यह कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने जैसे जरूरी कार्य करने से रोक देता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 11 Aug 2023, 16:20 pm IST
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जुलाई के अंत में ऑस्ट्रेलिया के छोटे शहर विक्टोरिया में एक ही परिवार के 3 सदस्यों की मौत हो जाने के बाद से इन दिनों एक खास तरह की मशरूम चर्चा में है। दरअसल, उनकी मौत की वजह बनी डेथ कैप मशरूम। यह मशरूम की एक प्रजाति है, जो बहुत जहरीली (Poisonous Mushroom) होती है। ऐसी खबर सामने आ रही है कि दोपहर के भोजन में परोसे गये बीफ में यह घातक मशरूम (killer Mushroom) मौजूद था। क्या भारत में भी यह मशरूम उगाई जाती है?  आपके लिए भी जरूरी है इसके (death cap mushroom) बारे में जानना, ताकि आप और आपका परिवार इसके जहर से बचे रहें।

क्या है डेथ कैप मशरूम (Death Cap Mushroom)

नेचर कम्युनिकेशन जर्नल के अनुसार, डेथ कैप मशरूम यानी अमनिटा फालोइड्स (Amanita phalloides) जहरीला एक्टोमाइकोरिज़ल बेसिडिओमाइसीट है। यह मूल रूप से यूरोपीय मशरूम है। यहीं से यह उत्तरी अमेरिका और खासकर कैलिफोर्निया सहित आस्ट्रेलियाई राज्यों में पहूंची। सामान्य अमनिटा फालोइड्स मशरूम की टोपी लगभग 10 सेमी चौड़ी हो सकती है। उसका आधा हिस्सा जहरीला होता है। यह हिस्सा किसी व्यक्ति को मारने के लिए पर्याप्त होता है। एक बार पक जाने के बाद इसका एक कौर भी जान के लिए खतरा हो सकता है।

इतनी जहरीली क्यों है डेथ कैप मशरूम (Death Cap Mushroom Poison)

डेथ कैप मशरूम में तीन प्रकार के पॉइजनिंग पदार्थ मौजूद होते हैं: अमेटॉक्सिन, फैलोटॉक्सिन और वायरोटॉक्सिन।इनमें से सबसे जहरीला एमाटॉक्सिन (α-Amanitin ) है। डेथ कैप मशरूम का एमाटॉक्सिन आरएनए पोलीमरेज़ एंजाइम को रोक देता है। यह कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने जैसे जरूरी कार्य करने से रोक देता है। पकाने या सुखाने से भी पॉइजन नष्ट नहीं होते।

कैसे की जाए डेथ कैप मशरूम की पहचान (Identification of Death cap mushroom)

नेचर जर्नल के अनुसार, डेथ कैप की कुछ विशेषताएं हैं, जो इसकी पहचान में मदद करती हैं। इसमें सफेद गलफड़ जैसी संरचना होती है, जो मशरूम के परिपक्व होने पर भूरी नहीं होती है। इसमें हरे या पीले रंग की टिंट के साथ एक सफेद टोपी होती है। यह बिल्कुल सीधा और बहुत चमकीला सफेद होता है। इसका चमकीला कलर अलग से दिख सकता है।

 लगातार उल्टी और दस्त होते हैं लक्षण (Death Cap Mushroom Poison Symptoms) 

एक बार डेथ कैप खाने के बाद इसके प्रभाव सामने आने में अक्सर कई घंटे लग जाते हैं। लगभग 6- 12 घंटे बाद मतली, दस्त और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गड़बड़ी होने लगती है। ज्यादा खाने पर इसके लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं। एमाटॉक्सिन सबसे पहले शरीर से टोक्सिन निकालने वाले अंग लिवर को प्रभावित करता है। इससे लिवर काम करना बंद कर देता है और फिर कुछ समय के बाद लीवर मर जाता है।

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डेथ कैप मशरूम लिवर को डैमेज कर अन्य अंगों को भी खराब कर देता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

यह जहर उन सभी कोशिकाओं पर समान प्रभाव डालता है, जिनके साथ यह संपर्क करता है। इससे सेल डेड होने लगते हैं। खाने के एक से सात दिनों के भीतर डेथ कैप लिवर डैमेज, किडनी फेल्योरे, एन्सेफैलोपैथी और अंत में डेथ का कारण बन जाता है।

भारत में डेथ कैप का प्रभाव (Death Cap effect in India)

भारत में आम तौर पर सफेद बटन मशरूम-एगरिकस बिस्पोरस (agaricus bisporus) खाया जाता है। वर्ष 2020 में मेघालय के पश्चिमी जैंतिया हिल्स जिले के एक दूरदराज गांव में डेथ कैप मशरूम (death cap mushroom) खाने से 6 लोगों की जान चली गयी थी। पूरे विश्व में मशरूम से संबंधित लगभग 90% मौतों के लिए डेथ कैप यानी अमनिटा फालोइड्स जिम्मेदार है। गलती से इसे खाने योग्य मशरूम की किस्मों जैसे फील्ड मशरूम या स्ट्रॉ मशरूम समझकर खा लिया जाता है

क्या हो सकता है जहर का इलाज (Death Cap Mushroom Treatment)

नेचर कम्युनिकेशन जर्नल के अनुसार, डेथ कैप मशरूम (death cap mushroom) के लिए एंटीडोट्स ज्यादातर बहुत अच्छे नहीं हैं। इससे बचना बहुत कठिन है। आम तौर पर सिलिबिनिन कंपाउंड का उपयोग किया जा सकता है। यह लीवर में उन्हीं रिसेप्टर्स से प्रतिस्पर्धात्मक रूप से जुड़कर काम करता है, जिनसे अल्फा-अमानिटिन (एमाटॉक्सिन) जुड़ता है। यह केवल तभी प्रभावी होता है जब जहर के कोशिकाओं से जुड़ने से पहले रोक दिया जाये। उपचार जल्दी शुरू होने पर ही फायदा कर सकता है

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डेथ कैप मशरूम के लिए एंटीडोट्स ज्यादातर बहुत अच्छे नहीं हैं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

जहरीले मशरूम से बचाव (How to prevent from Poisonous Mushroom)

सीधे ग्राउंड से लेकर मशरूम न खाकर कुछ हद तक इसके (death cap mushroom) पॉयजन से बचा जा सकता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन से मशरूम जहरीले हैं और कौन से नहीं। वे एक-दूसरे के बगल में बढ़ सकते हैं। जहरीले मशरूम को गैर-जहरीले मशरूम से अलग करने का कोई टेस्ट अब तक उपलब्ध नहीं है।

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