चीन में फैले अज्ञात निमोनिया बैक्टीरिया के बारे में सब कुछ जानना है जरूरी, असामान्य नहीं हो सकता है यह

पिछले कुछ दिनों से चीन में बच्चों के बीमार पड़ने की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके पीछे माइकोप्लाज्मा निमोनिया बैक्टीरिया होने की आशंका जता रहे हैं। चीन से भारत में यदि यह रोग फैलता है, तो इससे बचाव के लिए यहां अलर्ट रहना बहुत जरूरी है।
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चीन में बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों में अचानक तेजी आ गई है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 14 Dec 2023, 15:30 pm IST
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पिछले कुछ दिनों से चीन में बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों में अचानक तेजी आ गई है। सांस संबंधी बीमारी कोविड के शुरुआती दिनों की याद ताजा कर दी है। उस समय भी इसके लक्षण निमोनिया की तरह थे। सांस संबंधी बीमारी बच्चों को अधिक हो रही है। नया पैथोजेन अब तक चीन के कई स्कूलों को अपनी चपेट में ले चुका है। हालांकि अभी तक किसी भी असामान्य या नए पैथोजेन का पता नहीं चल पाया है। भारत में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि कहीं रोगाणु चीन से भारत आकर रोग न फैला दें। इस स्वास्थ्य समस्या को देखते हुए सरकार ने सभी राज्यों से अलर्ट (mysterious pneumonia outbreak) रहने को कहा है।

क्या है पूरा मामला

13 नवंबर को चीन में अज्ञात निमोनिया का पहला मामला दर्ज किया गया। खबरों के अनुसार, यह प्रकोप मुख्य रूप से राजधानी बीजिंग में है, लेकिन उत्तरपूर्वी लियाओनिंग प्रांत और चीन के अन्य क्षेत्रों में भी है। अस्पतालों में औसतन हर दिन लगभग 1,200 मरीज भर्ती हो रहे हैं। डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) ने भी बच्चों में अज्ञात निमोनिया के समूहों पर प्रोग्राम फॉर मॉनिटरिंग इमर्जिंग डिजीज की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए चीन से अधिक जानकारी मांगी।

क्या हैं लक्षण (pneumonia Symptoms)?

चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस संक्रमण की वजह पहले से ज्ञात वायरस के मिश्रण हैं। इसके लक्षणों में बुखार, बिना खांसी के फेफड़ों में सूजन और पल्मोनरी नोडल में गांठ भी देखी जा रही है। अब तक इसके कारण किसी के मरने की सूचना नहीं मिली है। नेचर जर्नल में प्रकाशित आलेख के अनुसार, यह माइकोप्लाज्मा निमोनिया नाम के बैक्टीरिया के कारण भी हो सकता है। यह बच्चों में निमोनिया का एक सामान्य कारण है। आम तौर पर यह हल्के संक्रमण का कारण बनता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से आसानी से किया जा सकता है।

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इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, फेफड़ों में सूजन देखी जा रही है। चित्र : शटरस्टॉक

किस तरह का होता है माइकोप्लाज्मा निमोनिया बैक्टीरिया (Mycoplasma pneumonia Bacterium)

माइकोप्लाज्मा निमोनिया एक बैक्टीरिया है, इसके लक्षण सामान्य सर्दी के समान होते हैं। इसमें कभी-कभी खांसी हफ्तों तक रह सकती है। छोटे बच्चों में जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, उन्हें निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है।माइकोप्लाज्मा निमोनिया फेफड़ों को संक्रमित करता है। यह वॉकिंग निमोनिया (Walking pneumonia) का एक सामान्य कारण है। यह बीमारी का एक रूप है, जो अपेक्षाकृत हल्का होता है। इसमें बिस्तर पर आराम या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। इस साल ठंड में यह बच्चों को अधिक प्रभावित कर रहा है।

भारत को कितना खतरा है (Pneumonia risks in India) ?

फिजिशियन डॉ. राहुल बजाज के अनुसार, कोविड के विपरीत माइकोप्लाज्मा एक सामान्य बैक्टीरिया (mysterious pneumonia outbreak) है, जो हर कुछ वर्षों में बीमारी का कारण बनता है। इसके लिए बहुत अधिक चिंतित होने की जरूरत नहीं है। न्यूमोनिया के खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने एक निर्देश जारी कर राज्यों से अपनी तैयारियों की समीक्षा करने को कहा है। इसमें हेल्थ के बुनियादी ढांचे को भी अलर्ट पर रखने का आग्रह किया गया है। राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, उत्तराखंड, हरियाणा और तमिलनाडु में राज्य सरकारों ने अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मचारियों से श्वसन संबंधी समस्याओं की शिकायत करने वाले रोगियों से निपटने के लिए तैयारी करने को भी कहा गया है।

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6 महीने या उससे अधिक उम्र के सभी बच्चों को सालाना फ्लू का टीका लगवाना चाहिए। चित्र : अडोबी स्टॉक

इस बैक्टीरिया से कैसे सुरक्षित रहें ( Safety from pneumonia Bacteria)?

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्रभावित क्षेत्रों (mysterious pneumonia outbreak) में लोग सांस की बीमारियों से बचने के लिए सामान्य नियमों का पालन करें। इनमें लक्षण उभरने पर अलग-थलग रहना और यदि जरूरी हो, तो परीक्षण कराना और मास्क पहनना भी जरूरी है।
बच्चे को निमोनिया से बचाव के लिए उनका समय पर टीकाकरण कराएं। 6 महीने या उससे अधिक उम्र के सभी बच्चों को सालाना फ्लू का टीका लगवाना चाहिए। भले ही उन्हें अंडे से एलर्जी हो। बच्चों को छींकते और खांसते समय अपने नाक और मुंह को टिश्यू या शर्ट की आस्तीन से ढंकना सिखाएं। उपयोग के बाद टिश्यू को फेंकना न भूलें।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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