पिछले कुछ दिनों से अमेरिका में गर्मी बढ़ी है। इसलिए ठंडे पानी की तलाश में लोग स्वीमिंग पूल, स्प्रिंग और पानी के अन्य स्रोतों के पास अधिक समय बिताने लगे हैं। पर ठंडक पाने की उनकी चाह मौत की आशंका से घिर रही है। कारण पानी के इन स्रोतों में ब्रेन ईटिंग अमीबा की मौजूदगी। पिछले दिनों ब्रेन ईटिंग अमीबा यानी नेगलेरिया फाउलेरी कम से कम दो लोगों की मौत का कारण बना। यह अमीबा ब्रेन टिश्यू खाने के लिए कुख्यात है? क्या भारत में भी इसकी मौजूदगी है? इससे संक्रमित होने पर क्या उपचार हो सकता है? जानते हैं इस खतरनाक ब्रेन ईटिंग अमीबा (brain eating amoeba) के बारे में सब कुछ।
केरल में जुलाई की शुरुआत में ही एक टीनएजर की मृत्यु ब्रेन ईटिंग अमीबा के संक्रमण की वजह से हो चुकी है। वर्ष 2021 में भी केरल में इससे संक्रमण के पांच मामले सामने आए थे। सभी संक्रमित मरीजों की मृत्यु हो गई थी। भारत में अब तक 16 मरीज के इससे संक्रमित होने के मामले आये हैं। इनमें से 4 लोगों की जान बचाई जा सकी।
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका है कि मरीज की ब्रेन ईटिंग अमीबा से ही मृत्यु हुई है।
जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल बायोलोजी के अनुसार, ब्रेन ईटिंग अमीबा या नेगलेरिया फाउलेरी दूषित पानी में रहता है। यह सिंगल सेल फ्री लीविंग जीव है, जो मिट्टी और गर्म मीठे पानी, जैसे झीलों, नदियों और हॉट स्प्रिंग में रहता है। पानी को क्लोरीनेटेड नहीं करने पर भी इसकी मौजूदगी हो सकती है। यह खारे पानी में जीवित नहीं रह सकता है। इसलिए सी वाटर में अब तक इसका पता नहीं चला है। अमीबा थर्मोफिलिक होता है।इसलिए यह गर्म वातावरण में होता है।
यह पानी संबंधित गतिविधियों जैसे कि छींटे मारना, तैरना या पानी के अंदर रहने के दौरान नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यहां से फिर मस्तिष्क तक चला जाता है।
इस अमीबा से संक्रमण के बाद प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) हो जाता है। यह आम तौर पर घातक होता है। हालांकि नेगलेरिया फाउलेरी पर्यावरण में आम है, लेकिन संक्रमण बेहद दुर्लभ है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ के शोध बताते हैं कि संक्रमण के लक्षण शरीर में अचानक दिखने लगते हैं। ये शुरुआत से ही गंभीर हो सकते हैं। आम तौर पर संक्रमण के पांच दिन बाद लक्षण दिखने लगते हैं, लेकिन कभी-कभी 12 दिन बाद भी दिखाई दे सकते हैं।
लक्षण दिखने के बाद संक्रमण तेजी से बढ़ता है। 5 दिनों के भीतर संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी इसके लक्षण होते हैं।
गर्दन में अकड़न, इलूजन और कोमा भी हो सकता है। यदि ये लक्षण दिखते हैं, तो चिकित्सक की तुरंत मदद लेनी चाहिए।
संक्रमण इतना दुर्लभ होने के कारण वैज्ञानिक प्रभावी उपचार के बारे में निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। मिल्टेफ़ोसिन जैसी दवाएं प्रभावी हो सकती हैं। मरीजों पर इसका उपयोग किया जाता रहा है, हालांकि 97 प्रतिशत मामलों में व्यक्ति की मौत हो जाती है।
मानव शरीर आम तौर पर नेगलेरिया फाउलेरी के प्रति संवेदनशील होता है, लेकिन संक्रमण अत्यंत दुर्लभ होते हैं। कुछ कारक जैसे कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Weak immune system) , नाक या साइनस संबंधी समस्याओं की हिस्ट्री या गर्म ताजे पानी के संपर्क में आने वाली गतिविधियां भी इसके संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें :- कैंसर के खतरे को भी कम करता है फिजिकली एक्टिव रहना, शोध कर रहे हैं दावा