राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने किशोरों के लिए कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत की घोषणा कर दी है। घोषणा के अनुसार 3 जनवरी से 15 से 18 वर्ष के बच्चों को भी कोविड-19 वैक्सीन दी जाएगी। इस घोषणा के साथ ही अभिभावकों में यह चिंता पैदा होने लगी है कि क्या कोविड वैक्सीन कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन पर भी प्रभावी होगी? हम हेल्थशॉट्स के इस लेख में इस शंका का निवारण करने वाले हैं। तो बस पढ़ते रहिए।
देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के तेजी से बढ़ने पर नई आशंकाएं पैदा हो रही हैं। वैरिएंट के फैलने की रफ्तार इस चिंता को और बढ़ा रही है। साथ ही यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या वैक्सीन इस नए वैरिएंट पर भी असर करेगी?
हालांकि अभी तक किसी भी विशेषज्ञ ने इस पर कोई स्पष्ट राय नहीं दी है। पर अलग-अलग कंपनियों द्वारा वैक्सीन के प्रभाव पर कई टिप्पणियां सामने आईं हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के महानिदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि वायरस के नए वैरिएंट से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैक्सीन में थोड़ा बदलाव करना पड़ सकता है।
बदलाव इसलिए जरूरी है क्योंकि कोरोना के लिए मौजूद सभी टीके वायरल बीमारी के खिलाफ प्रभावी हैं, लेकिन नए वैरिएंट के साथ इम्यूनिटी कम होने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में इससे लड़ने के लिए ज्यादा एंटीबॉडी की जरूरत पड़ सकती है। जो बूस्टर डोज देगी।
भारत में ज्यादातर लोगों को सिरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई एस्ट्राजनिका की कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई। इस वैक्सीन पर शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया। इसके लिए ब्राजील और स्कॉटलैंड के डाटा का विश्लेषण किया गया। स्टडी के नतीजे बताते हैं कि जिन लोगों ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाई है, उनको गंभीर बीमारी से सुरक्षा पाने के लिए बूस्टर डोज लगवानी पड़ेगी।
शोधकर्ताओं के अनुसार स्कॉटलैंड में दूसरी डोज लेने के करीब 2 हफ्ते बाद की तुलना में डोज लेने के 5 महीने बाद अस्पताल में भर्ती या कोरोना से मरने वालों की संख्या में लगभग पांच गुना वृद्धि पाई गई थी। इसका अर्थ यह है कि वैक्सीन की प्रभावशीलता में लगभग 3 महीने में ही गिरावट देखने को मिली है।
वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के 4 महीने बाद इसका असर और कम हो जाता है और शुरुआती सुरक्षा की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने और मौत का खतरा करीब 3 गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
भारत में इस नए वैरिएंट का पहला मामला 2 दिसंबर को सामने आया था। जिसके बाद आज इसकी संख्या 213 पहुंच चुकी है। आपको बता दें कि बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने की बात कही गई है।
इसके चलते एम्स के महा निर्देशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी जारी की है। गुलेरिया के अनुसार इस नए वेरिएंट से बचने के लिए केवल दो ही तरीके हैं- “पहला है टीका लेना और दूसरा है कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना।”
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