अब एक साथ अपने काम, परिवार और अन्य कई तरह की जिम्मेदारियों में उलझी होती हैं। इन सभी के बीच खुदको समय देना जरूरी है, जिसे हम “सेल्फ केयर” कहते हैं। सेल्फ केयर यानी की आत्मा देखभाल सुनने में एक बेहद छोटा सा शब्द लग सकता है, परंतु असल में एक व्यक्ति के जीवन में इसका बहुत बड़ा महत्व होता है। खुद के अच्छे, बुरे और जरूरतों का ध्यान रखना, खुद की सेहत और खुशियों की प्रति अपने कमिटमेंट को पूरा करना, यही सेल्फ केयर है। यह आपके जीवन को बेहद आसान बना सकता है।
पर असल में कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें सेल्फ केयर से जुड़ी सही जानकारी नहीं है और वे आज भी आत्म देखभाल से जुड़ी अवधारणाओं में विश्वास रखते हैं। जिसकी वजह से वे इसे नजरंदाज करते हैं। ऐसा करना आपके लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। आज हेल्थ शॉट्स लाया है सेल्फ केयर से जुड़े कुछ मिथ और उनकी सच्चाई। यदि आप भी सेल्फ केयर पर भरोसा नहीं करती, तो इस लेख को जरूर पढ़ें।
24 जून को सेल्फ केयर मंथ की शुरुआत होती है और 24 जुलाई को इसकी समाप्ति इसलिए 24 जुलाई को हम सेल्फ केयर डे के रूप में मनाते हैं। 24 जुलाई यानी की “24/7” को हफ्ते के सातों दिन 24 घंटे सेल्फ केयर करने के महत्व को दर्शाया गया है। इस दिन लोगों को सेल्फ केयर के महत्व को समझ कर इसे जीवन शैली में शामिल करने के प्रति जागरूक करने की कोशिश की जाती है।
सेल्फ केयर डे सेलिब्रेट करने के कई खास महत्व हैं। यह मेंटल, फिजिकल और इमोशनल हेल्थ पर सकारात्मक असर डालता है, इसलिए लोगों को इसके प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है।
इस दिन सेल्फ केयर और सेल्फ केयर इंटरवेंशन को लेकर अवेयरनेस बढ़ाने के लिए ऑर्गेनाइजेशन, हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेजेज आदि द्वारा तरह-तरह के प्रोग्राम्स और अन्य इवेंट्स ऑर्गेनाइज्ड करवाए जाते हैं। लोगों द्वारा उनके जीवन की उपलब्धि को पहचानना और अब तक जो हासिल किया है, उसे प्रोत्साहित करना जरूरी है।
जब लोग खुद की वैल्यू को समझना शुरू कर देते हैं, और आत्मा देखभाल को प्राथमिकता देते हैं, तो इससे न केवल आपका फायदा है, बल्कि यह पूरे परिवार, सोसाइटी और देश के लिए भी पॉजिटिव साबित हो सकता है।
फैक्ट: बिल्कुल नहीं ! सेल्फ केयर लग्जरियस स्पा, एक्सपेंसिव वर्कआउट इक्विपमेंट, स्किन केयर प्रोडक्ट्स और एग्जॉटिक फूड और फ्लावर्स ताकि ही सीमित नहीं है। घर का बना पौष्टिक खाना खाना, पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखना, समय पर सोना-जागना और व्यायाम करना, बिल्कुल भी खर्चीला नहीं है। इसके अलावा प्रकृति में वक्त बिताना, पसंदीदा गाने सुनना, गार्डनिंग, मेडिटेशन, योग आदि जैसी गतिविधियां सेल्फ केयर का हिस्सा हैं, और आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं। इसलिए सेल्फ केयर को एक्सपेंसिव समझकर इसे इग्नोर करना बंद करें।
फैक्ट : नहीं ऐसा नहीं है! लोगों को लगता है कि सेल्फ केयर का एक फिक्स शेड्यूल होना चाहिए। हालांकि, असल में ऐसा नहीं है, सेल्फ केयर कंसिस्टेंसी मांगती है, ये कोई लंबा समय और शेड्यूल नहीं मांगती। 5 मिनट के मेडिटेशन,15 मिनट के मॉर्निंग वॉक और रोजाना 30 मिनट फैमिली और फ्रेंड्स के साथ समय बिताकर भी सेल्फ केयर किया जा सकता है। ये गतिविधियां एक स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी हैं।
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फैक्ट: नहीं, इसे सभी को करना चाहिए! कहीं न कहीं सेल्फ केयर का नाम सुनते ही लोगों के मन में स्किन केयर, बॉडी केयर, हेयर केयर आदि जैसी बातें आती हैं। वहीं लोग इसे जेंडर स्पेसिफिक बना देते हैं। महिला, पुरुष एवं ट्रांस सभी जेंडर के लोगों को सेल्फ केयर पर ध्यान देना चाहिए। इससे शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है। यह समझना जरूरी है कि सेल्फ केयर खुद को शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है, और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना सभी के लिए जरूरी है।
फैक्ट : एकदम गलत, बल्कि जब आप सेल्फ केयर को इग्नोर करते हैं तब तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ापन के साथ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को भी न्यौता देते हैं। सेल्फ केयर एक पर्सनल चॉइस है, इसे एक नॉर्मल हो या बीमार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन शैली में शामिल कर सकता है। इसे अपनाने के लिए किसी को बीमार होने या मेंटली अनस्टेबल होने की आवश्यकता नहीं है। हां, परंतु सेल्फ केयर आपके मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में आपकी मदद जरूर कर सकता है।
फैक्ट: जी नहीं! कंसिस्टेंट सेल्फ केयर हैबिट्स सेहत संबंधित कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम कर देती है। यह ब्रेन को स्टिम्युलेट करती है और फिर फील गुड हार्मोन रिलीज करती है, जिससे बॉडी पॉजिटिव रिस्पांस करती है। जब आप अंदर से खुश रहती हैं तो आपकी स्किन और आपका हेल्थ दोनों ही ग्लो करता है। नियमित सेल्फ केयर इस ग्लो को लंबे समय तक बरकरार रखती है।
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