नर्स की अहमियत तब पता चलती है जब कोई अपना सगा-संबंधी, रिश्तेदार, मित्र या खुद हम गंभीर रुप से बीमार होते हैं। अस्पताल में डॉक्टर की सलाह के बाद हर वक्त मरीज की देख-रेख के लिए वे अपनी निगाहें टिकाए रहती हैं। ठीक होने तक वह निश्चित अंतराल के बाद मरीज के बेड तक चक्कर लगाती रहती हैं। यानी हमारी रिकवरी में जिनका सबसे ज्यादा योगदान होता है, वे नर्स ही हैं। आज इंटरनेशनल नर्सेज डे (INTERNATIONAL NURSES DAY 2022) के अवसर पर क्यों न उन सभी के प्रति आभार जताएं। और आज ही से संकल्प करें कि हम अपने स्वास्थ्य की वैसी ही देखरेख करेंगे, जैसे एक नर्स करती हैं। जानना चाहती हैं कैसे, तो आपकी मदद करने के लिए हम यहां हैं।
अपने बिगड़ते स्वास्थ्य को सुधारने के लिए हमें खुद अपने लिए नर्स की भूमिका अदा करनी होगी । सुनकर हैरानी हो रही है कि खुद के लिए नर्स। लेकिन यही एक विकल्प हैं। तो आज समझिए ऐसा कर आप न सिर्फ अपना वजन कंट्रोल करेंगे, बल्कि आप अपने शरीर के मेटाबेलिक रेट को दुरुस्त कर सेहतमंद हो सकेंगे। आपके शरीर की कार्यक्षमता बढ़ जाएगी और आप हमेशा एक्टिव महसूस कर सकेंगें।
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अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 12 मई को विश्व भर में मनाया जाता है। आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक रही फ्लोरेंस नाईटेंगल की जयंती के मौके पर हर साल इस दिवस को पूरे विश्व में मनाया जाता है। किसी भी देश में वहां के स्वास्थ संरचना के लिए नर्सों को रीढ़ के समान माना जाता है। स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत नर्सों को उनके परिश्रम और सेवा के लिए समाज में सम्मान देने के तौर पर 12 मई के दिन इस दिवस को सेलिब्रेट किया जाता है।
पिछले करीब ढाई साल से कोरोनावायरस का संक्रमण विश्वभर में चर्चे का विषय बना हुआ है। कोविड-19 महामारी को देखते हुए इंटरनेशलन काउंसिल ऑफ नर्स ने इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2022 का थीम “Nurses: A Voice to Lead – Invest in Nursing and Respest Rights to Secure Global Health” तय किया है। इस साल के थीम जरिए ये बताने की कोशिश की गई है कि आने वाले दिनों में नर्सिंग कैसी होगी और यह कैसे सुरक्षित वैश्विक स्वास्थ्य के अधिकारों को सम्मानपूर्वक मुहैया करा सकेगी।
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मेटाबोलिज्म की दर इससे तय होती है कि हमारा शरीर अपने कामकाज में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा के लिए कितने कैलोरी की खपत कर पाता है। हालांकि इस दर का सीधा कनेक्शन हमारी आयु, लिंग, आनुवंशिकी, शरीर में वसा की मात्रा, मांसपेशियों और एक्टिविटी जैसे तमाम पहलुओं से हैं और इन्ही सबसे से तय भी होता है।
लाइफस्टाइल बिगड़ने के कारण हमारे शरीर का मेटाबोलिक रेट प्रभावित होता है। इस खराबी के कारण हमें मोटापा और फिर तमाम बीमारियां होनी शुरु हो जाती है। वर्ल्ड जर्नल ऑफ डॉयबिटीज में छपे एक शोध के मुताबिक शरीर में साइटोकाइंस प्रोटीन और लेप्टिन हार्मोन का निर्माण होने के कारण मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्या उभरती है।
दरअसल फैट बढ़ने से पूरे शरीर की हार्मोनल और मेटाबोलिक घटनाएं बिगड़ने लगती हैं। जिसके चलते हमें तमाम तरह की बीमारियां घेरने लगती है। इन बीमारियों से बचने के लिए हमें अपने खराब लाइफस्टाइल में बदलाव करने की जरुरत होती है। इस बदलाव के लिए हमें खुद एक नर्स की तरह हमेशा अपने शरीर की देखरेख करनी होगी।
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कस्टमाइज़ करेंशरीर का मेटाबोलिज्म ज्यादा होगा तो सोते या आराम करते समय और एक्टिविटी के दौरान उर्जा के लिए ज्यादा कैलोरी इस्तेमाल होगी। इन दोनों ही अवस्थाओं में मेटाबोलिक रेट ज्यादा होगी, तो हमारे के वजन में तेजी से कमी देखने को मिलेगी और जल्दी ही अपनी मनचाही फिटनेस को हासिल कर सकेंगे। लेकिन ये सब तभी संभव हो सकेगी जब हम अपने लाइफस्टाइल में आमूलचूल परिवर्तन करेंगें।
हल्के फुल्के वर्कऑउट की बजाय ज्यादा समय तक बॉडी बिल्डिंग एक्टिविटी और वेटलिफ्टिंग एक्टिविटी करने से आपका मेटाबॉलिज्म दुरुस्त होगा और शरीर का फैट लगतार घटता जाएगा। अगर आप अपने मेटाबॉलिज्म को हाई करना चाहती हैं, तो जिम जाकर बॉडी बिल्डिंग एक्टिविटी करें। साथ ही रोजाना सैर के दौरान जॉगिंग करती रहें।
इसके आलावा आप हाई-इंटेंसिटी इंटर्वल ट्रेनिंग (HIIT), दौड़ना, तैरना और साइकिल चलाना और तमाम तरह के अलग-अलग हाई-इंटेंसिटी व लो- इंटेंसिटी वाले वर्कआउट को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना सकती हैं। ऐसा करके आप अपने शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर कर पाने में जरुर कामयाब हो सकेंगी।
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अपनी खराब लाइफस्टाइल को दुरुस्त बनाए रखने के लिए बतौर नर्स आपको हमेशा हाइड्रेटेड बने रहना होगा। ऐसा करके आप अपने शरीर के मेटाबोलिज्म को सबसे अच्छा बना सकती है।
एक अध्ययन में पाया गया कि रोजाना डेढ़ लीटर पानी पीने वाले लोगों के वजन में औसत कमी और 18 से 23 आयु वर्ग की अधिक वजनी महिलाओं के बॉडी मास इंडेक्स के बराबर है। आपके शरीर में थोड़ी सी पानी की मात्रा कम हुई तो उससे आपका मेटाबोलिज्म में कमी देखने को मिलेगी।
हर रोज एक निश्चित समय और अंतराल के बाद खाना खाने से मेटाबॉलिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। कहने का मतलब ये हैं कि हर 3 से 4 घंटे में थोड़े मात्रा में खाना नाश्ता करने से शरीर की मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रहती है, ऐसा करके एक दिन में ज्यादा कैलोरी बर्न किया जा सकता हैं।
कई स्टडीज में ये बात सामने आई कि जो लोग रोजाना खाना खाने के समय थोड़ा सा आहार या नाश्ता लेते हैं, उनका शरीर ज्यादा कैलोरी बर्न करता है और जो लोग एक साथ भरपूर भोजन करते हैं, उनका शरीर बार-बार थोड़े समय के अंतराल पर नाश्ता करने वालों की तुतना में कम कैलोरी बर्न करता है। एक साथ पेट भर भोजन करने वालों को लंबे समय तक भूख नहीं लगती है और ऐसे लोगों के शरीर में फैट इकट्ठा होने लगता है।
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कुछ स्टडी दावा करती है कि ग्रीन टी हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ाने और फैट कम करने का काम करती है। एक अन्य शोध बताती हैं कि मध्यय इंटेंस एक्सरसाइज करने वाले लोग यदि 2 से 4 कप ग्रीन टी पिए तो उनके शरीर की कैलोरी बर्न करने की क्षमता 17% फीसदी बढ़ जाती है।
दरअसल ये ग्रीन टी उनके शरीर को कैलौरी बर्न करने के लिए प्रेरित करती है। ग्रीन टी निश्चित रुप से बाकी मीठे जूस से बेहतर होती है और तो और इस टी को पीने से हम और हाइड्रेटेड होते हैं।
मोटापा बढ़ने के कई कारणों में से एक नींद भी है और कम सोने की वजह से ये बढ़ती है। भरपूर नींद न ले पाने के कारण आंशिक रूप से हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। साथ ही इसकी वजह से शरीर में शुगर लेवल की बढ़त और इंसुलिन रेजिस्टेंस देखने को मिलती है। इसके चलते टाइप 2 डॉयबिटीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
कई ऐसे भी लोग हैं जो भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं। उन्हें भूख भी नहीं लगती है और तो और कुछ ऐसे भी लोग हैं जो वजन कम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन सब की वजह नींद की कमी है। इसी कमी के कारण भूख लगने में मददगार हार्मोन ग्रेलिन को बूस्ट करती है और शरीर में पर्याप्त लेप्टिन हार्मोन की मात्रा में कमी होती है।
हालांकि हर एक के नींद लेने की सही मात्रा अलग-अलग है। स्टडी बताती है कि एक स्वस्थ वयस्क को रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरुरी है।
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