जब आपके पेरेंट्स की उम्र बढ़ने लगती है, तो वे छोटी-छोटी चीजें भी जिन्हें वे अभी तक हल्के में ले जाते थे, अब उनके लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी करने लगती हैं। फिर चाहें वह ठंडा-खट्टा खाना हो, एसी चिल्ड कमरा या फिर वातावारण में हल्का सा भी प्रदूषण। ये वे चीजें हैं जो सांस लेने की प्रक्रिया को बाधित कर सकती हैं। आज विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day 2022) पर यहां उन चीजों के बारे में बताया जा रहा है, जो श्वास संबंधी समस्याओं (Breathing issues) से जूझ रहे आपके पेरेंट्स के जीवन को आसान बना सकती हैं।
दुर्भाग्य से पिछले दो वर्ष अस्थमा के मरीजों के लिए और भी चिंताजनक रहे हैं। श्वास नली में सूजन आना जहां उनके लिए समस्याएं पैदा करता है, वहीं कोरोनावायरस ने उनके फेफड़ों पर हमला किया। इससे जो लोग पहले से ही श्वास संंबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे उनके लिए स्थितियां और भी विकट हो गईं। लॉन्ग कोविड के ज्यादातर मामले उन्हीं लोगों में नजर आए, जो पहले से ही ज्यादा कफ बनने या श्वास नली में सूजन की समस्या से जूझ रहे थे।
अब जब कोविड-19 की चौथी लहर की आशंका फिर से बढ़ने लगी है, आपके लिए यह जरूरी है कि आप अपने पेरेंट्स की एक्स्ट्रा केयर करें। अगर उन्हें सांस लेने में दिक्कत है, श्वास में सीटी जैसी आवाज़ या घरघराहट महसूस होती है, तो आपको सचेत हो जाना चाहिए। अस्थमा और कोविड-19 के साथ जन्मी नई जटिलताओं के बारे में और भी विस्तार से जानने के लिए हमने डॉ रवि शेखर झा से बात की। डॉ झा फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद में , एडिशनल डायरेक्टर एंड यूनिट हैड, पल्मोनोलॉजी हैं।
डाॅ झा बताते हैं, “धूल, धुआं और प्रदूषण जैसी आम वजहों के अलावा वायरल इंफेक्शन भी अस्थमा को ट्रिगर करने की बड़ी वजह है। कोविड इंफेक्शन ऐसा ही वायरल इंफेक्श है, जिसमें हमारे सांस लेने का रास्ता सिकुड़ जाता है। यही अस्थमा अटैक (Asthma attack) कहलाता है। कोविड वैक्सीनेशन से इस अटैक के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।”
अस्थमा के मरीज़ों को कोविड इंकेफ्शन के दौरान अपने इनहेलर की खुराक को बंद या कम नहीं करना चाहिए। इनहेलर्स में इनहेल्ड ब्रोंकिडाइलेटर और/या इनहेल्ड स्टेरॉयड हो सकते हैं। अस्थमा का अटैक होने पर दोनों ही बहुत काम आते हैं, चाहे अटैक का कारण कुछ भी हो।
डॉ रवि शेखर झा सुझाव देते हैं, “इनहेलर अस्थमा का सबसे बढ़िया इलाज है। अस्थमा ऐसी बीमारी है, जिसमें सांस लेने के रास्ते बहुत ज़्यादा संवेदनशील हो जाते हैं और वे कई वजहों से प्रतिक्रिया देने लगते हैं। वे खुद को सिकोड़ कर प्रतिक्रिया देते हैं। जब सांस की नली संकरी हो जाती है, तो व्यक्ति को खांसी, सीने में जकड़न और सांस फूलने की समस्या होने लगती है, ऐसा खासकर सुबह और रात के समय होता है।”
इनहेलर्स के अलावा, यह भी ज़रूरी है कि अस्थमा को ट्रिगर करने वाले दूसरे कारणों से बचा जाए। कोविड के समय सामान्य तौर से दी जाने वाली कुछ नॉन-स्टेरॉयडल एंटीइंफ्लेमेटरी (non-steroidal anti-inflammatory drugs) दवाएं अस्थमा के कुछ मरीज़ों के लिए सुरक्षित नहीं होती। इसलिए मरीज़ों को अपने डॉक्टर को अस्थमा या एलर्जी की पूरी जानकारी देनी चाहिए।
इसी तरह, ख़ून को पतला करने वाली एस्पिरिन जैसी दवाईयां भी कुछ ख़ास तरह के अस्थमा मरीज़ों के लिए सुरक्षित नहीं है।
इसके साथ ही ठंड से भी बचने की कोशिश करनी चाहिए। कोशिश करें कि आपके सांस लेने के रास्ते में सूखी ठंडी हवा न जाए। हाई कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन से बचें और शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें ताकि आपके फेफड़ों का स्राव अंदर से सूख न पाए।
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