फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) के खतरनाक चौथे चरण (Stage 4) से पीड़ित 79 वर्षीय एक व्यक्ति को गुड़गांव में एक निजी अस्पताल में इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) कराने के बाद नया जीवन मिला है। अस्पताल के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पारस अस्पताल गुड़गांव के एक बयान के मुताबिक, एक धारणा है कि फेफड़ों के कैंसर की गंभीर अवस्था वाले रोगियों की जीवन प्रत्याशा एक वर्ष की हो सकती है। जबकि इस मामले में 79 वर्षीय बुजुर्ग को फिर से नया जीवन दिया गया है।
अस्पताल की ओर से बयान में कहा गया, “इम्यूनोथेरेपी के उपयोग के साथ, हम 79 वर्षीय रोगी को जीवन की उत्कृष्ट गुणवत्ता के साथ जीवित रख पाने में सक्षम हैं। वह शायद चरण चार के फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वालों में से एक हैं, जिन्हें आधुनिक चिकित्सा का लाभ मिला है।”
बयान में दावा किया गया है कि रोगी के 2016 में चरण चार के फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित होने का पता चला था। तब से उन्हें इम्यूनोथेरेपी दी गई। उन पर इलाज का अच्छा असर हुआ है और वह भारत में इस चरण के कैंसर पीड़ितों में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वालों में से एक हैं।
2016 में उनकी बीमारी का पता लगने के बाद, रोगी पर विभिन्न प्रकार के कीमोथेरेपी का असफल परीक्षण किया गया था। वह काफी कमजोर थे और व्हीलचेयर पर ही रहते थे।
पारस कैंसर केंद्र, पारस अस्पताल, गुड़गांव के वर्तमान अध्यक्ष डॉ (सेवानिवृत्त कर्नल) आर रंगा राव ने उन्हें इम्यूनोथेरेपी की सलाह दी, जो उस समय भारत के लिए काफी नई थी और कुछ हफ्तों के बाद, वह चल पा रहे थे।
हालांकि इम्युरोथेरेपी शुरू करने के बाद उन्हें कुछ साइड इफैक्ट का भी सामना करना पड़ा। इसमें उन्हें त्वचा पर चकत्ते और थायरॉइड की समस्या होने लगी। जिसे तत्काल नियंत्रित किया जाना जरूरी था और डॉक्टर इसमें कामयाब रहे।
उल्लेखनीय है कि कीमोथेरेपी के विपरीत, इम्यूनोथेरेपी कैंसर को नहीं मारती है। यह कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं को अधिक प्रभावी बनाती है।
वर्तमान में मरीज के स्वास्थ्य में बहुत सुधार हो रहा है और अगले साल की शुरुआत में वे अपना 80वां जन्मदिन मनाने का इंतजार कर रहे हैं।
इसके बारे में राव ने कहा, “एक खतरनाक चरण चार के कैंसर के बावजूद, उन्होंने कैंसर से लड़ाई लड़ी है और बिना किसी सर्जरी के इससे बच हुए हैं। कैंसर के इलाज में नई तकनीकों के विकास और चिकित्सा के सही विकल्प के चयन के माध्यम से खतरनाक चरणों वाले और वृद्धावस्था में भी फेफड़ों के कैंसर से निपटा जा सकता है।”
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