हममें से ज्यादातर लोग सुबह गर्म चाय लेना पसंद करते हैं। कुछ लोग दूध वाली चाय, तो कुछ ब्लैक टी या नींबू की चाय या फिर ग्रीन टी लेना पसंद करते हैं। ग्रीन टी कई प्रकार और रंगों में आती है। वजन कम करने में भी ग्रीन टी मददगार माना जाता है। स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाने के कारण यह वर्षों से लोगों द्वारा खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन हालिया अध्ययन इस बात का संकेत देता है कि ग्रीन टी लीवर को क्षति भी पहुंचा सकता है।
काली चाय, ओलोंग चाय, सफेद चाय है, लेकिन ग्रीन टी नॉन फरमेंटेड पेय है।रिसर्चगेट के अनुसार, ग्रीन टी पारंपरिक चीनी चिकित्सा का हिस्सा रही है। हाल के अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि यह कुछ प्रकार के कैंसर और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में योगदान दे सकती है। यह ओरल हेल्थ और अन्य शारीरिक कार्यों जैसे शरीर के वजन नियंत्रण, बेहतर बोन मिनरल डेंसिटी को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए भी जाना जाता है। स्वाभाविक रूप से, स्वास्थ्य लाभों के कारण ही यह लोगों के बीच अधिक लोकप्रिय है। लेकिन किसी भी चीज़ की अति समस्या पैदा कर सकती है।लंबे समय तक ग्रीन टी पीने से लिवर को नुकसान पहुंच (green tea effect on liver)सकता है।
अगर कोई ग्रीन टी का सेवन करता है, तो यह मोटापा, कैंसर, हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। हालांकि द जर्नल ऑफ डाइटरी सप्लीमेंट्स में प्रकाशित रटगर्स के शोध के अनुसार, इस पेय का बहुत अधिक सेवन लिवर के लिए सही नहीं है।
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक हमीद समावत के अनुसार, यह जानना महत्वपूर्ण है कि लीवर को कौन नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे सबूत हैं जो दिखाते हैं कि ग्रीन टी से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन सुरक्षित रूप से फायदेमंद हो सकता है।
मिनेसोटा ग्रीन टी ट्रायल के डेटा स्तन कैंसर पर ग्रीन टी के प्रभाव पर विस्तृत अध्ययन है। इसका उपयोग अनुसंधान दल द्वारा नए अध्ययन के लिए किया गया। जांच में देखा गया कि ग्रीन टी में प्रमुख एंटीऑक्सीडेंट के 843 मिलीग्राम हर दिन सेवन करने से प्रभाव पड़ा। एक साल बाद कुछ आनुवंशिक विविधता वाले लोगों में लिवर स्ट्रेस के लक्षण दिखने की संभावना अधिक थी। एंटीऑक्सिडेंट एक कैटेचिन है, जिसे एपिगैलोकैटेचिन गैलेट (ईजीसीजी) के रूप में जाना जाता है।
शोधकर्ताओं का नेतृत्व करने वाली लौरा अकोस्टा ने प्रश्न में दो आनुवंशिक विविधताओं का चयन किया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि प्रत्येक भिन्नता ईजीसीजी को तोड़ने वाले एंजाइम के संश्लेषण को नियंत्रित करती है।
शोध दल के एक विश्लेषण के अनुसार, कैटेकोल-ओ-मिथाइलट्रांसफेरेज़ जीनोटाइप में एक भिन्नता के साथ प्रतिभागियों में लीवर की क्षति के शुरुआती लक्षण सामान्य से कुछ अधिक थे। ये सभी महिलाएं थीं और यूरिडीन 5′ में भिन्नता देखी गई। इनमें डिफोस्फो-ग्लुकुरोनोसिलट्रांसफेरेज़ 1ए4 जीनोटाइप देखा गया।
औसतन, अधिक जोखिम वाले इस जीनोटाइप वाली महिलाओं में नौ महीने तक ग्रीन टी के सप्लीमेंट का सेवन करने के बाद लीवर स्ट्रेस को लगभग 80 प्रतिशत तक बढ़ने का संकेत मिला।
शोधकर्ताओं ने माना कि यह बताना संभव नहीं है कि कौन सुरक्षित रूप से ग्रीन टी का हाई लेवल एक्सट्रेक्ट ले सकता है और कौन नहीं। लेकिन लिवर टोक्सिसिटी का जोखिम केवल हाई लेवल ग्रीन टी की खुराक से जुड़ा हुआ है।
एक जीनोटाइप में भिन्नता अध्ययन के प्रतिभागियों के बीच लीवर एंजाइम परिवर्तन में भिन्नता को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं करती है। पूर्ण स्पष्टीकरण में संभवतः कई अलग-अलग अनुवांशिक विविधताएं और विभिन्न गैर-आनुवंशिक कारक शामिल हैं।
शोध दल मानते हैं कि ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट की ज्यादा खुराक लिवर के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
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