ओमिक्रोन, कोरोना वायरस के परिवार का एक ऐसा वैरिएंट जिसको विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा “वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न” की सूची में शामिल किया गया था। कहा जा रहा था कि नया वैरिएंट ओमिक्रोन भारत में डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक हालात उत्पन्न कर सकता है। हालांकि भारत में इस नए वैरिएंट के लक्षण और प्रभावशीलता बहुत गंभीर नहीं रही। तेजी से फैलने वाले इस नए वैरिएंट की लहर काफी तेजी से ऊपर जाने के बाद फिर थमने लगी है। फिलहाल देश में डेली पॉजिटिविटी रेट 3.89% है।
भारत में ओमिक्रोन यूके और साउथ अफ्रीका की तुलना में क्यों कम रहा, यह जानने के लिया एक अध्ययन किया गया है। जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं। अध्ययन के बारे में जानने से पहले एक बार देश में कोरोना के आंकड़ों और बदल रहे हालात पर नज़र डालते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना के मामले कम हो रहे हैं। बीते 24 घंटे के दौरान 58,077 नए मामले दर्ज किए गए। वहीं 657 लोगों की संक्रमण के कारण मौत हो गई। देश में पॉजिटिविटी रेट 4 फीसदी से भी कम हो गई है। अब तक इस वायरस से देश भर में 5,07,177 लोगों की मौत हुई है। जबकि आंकड़ों में रिकवरी होने वाले लोगों की संख्या 1,50,407 है।
कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की प्रभावशीलता की जांच के उद्देश्य से किए गए इस अध्ययन में भारत में के लिए खास है। अध्ययन बताता है कि भारत में ओमिक्रोन वैरिएंट कम प्रभावी होने के पीछे का कारण हाइब्रिड इम्युनिटी है। जो भारत की आधी से ज्यादा आबादी में तैयार हो चुकी थी।
अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं के अनुसार हाइब्रिड इम्युनिटी तब तैयार होती है, जब कोई व्यक्ति पहले से ही वायरस से संक्रमित हो चुका हो और उसे टीका भी लगा दिया जाए।
इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले डॉ पद्मनाभ शेनॉय के अनुसार हाइब्रिड इम्यूनिटी इंसान के शरीर में प्राकृतिक संक्रमण या टीकाकरण के माध्यम से तैयार होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शेनॉय द्वारा कहा गया है कि “हाइब्रिड इम्युनिटी तब उत्पन्न होती है, जब पूर्व संक्रमण वाले व्यक्ति को कोविड का टीका लगाया जाता है।
अध्ययन बताता है कि भारत में दूसरी लहर (Delta Second Wave) के दौरान 70% से भी ज्यादा भारतीय संक्रमण की चपेट में आए थे। 16 जनवरी 2020 से चल रहे टीकाकरण अभियान में 95% योग्य आबादी का टीकाकरण हो गया था। यही कारण रहा कि भारत की तीन चौथाई आबादी के पास हाइब्रिड इम्युनिटी थी। इसी के कारण भारत में ओमिक्रोन गंभीर रूप नहीं ले पाया।
इस शोध में केरल स्थित केयर (autoimmune rheumatic diseases at the Centre for Arthritis & Rheumatism Excellence (CARE) के लगभग 2,000 रोगियों को शामिल किया गया था। प्रारंभिक अध्ययनों के दौरान यह पाया गया कि हाइब्रिड इम्युनिटी ने उन लोगों की तुलना में 30 गुना अधिक एंटीबॉडी स्तर उत्पन्न किया, जिन्होंने टीकों की दो खुराक प्राप्त की है।
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